इंदौर न्यूज़ (Indore News)

मेट्रो पोलिटन अथॉरिटी तय करेगी भविष्य का इंदौर, हुकमचंद मिल की 42 एकड़ जमीन पर गिफ्ट सिटी जैसे प्रोजेक्ट को मिल सकती है मंजूरी

अग्निबाण एक्सक्लूसिव… उज्जैन, धार, देवास भी जुड़ेंगे, अपनी पहली यात्रा पर मुख्यमंत्री दे सकते हैं इंदौर को सौगात, प्रमुख सचिव आज पहले हाईकोर्ट, उसके बाद महापौर, कलेक्टर वअधिकारियों के साथ करेंगे चर्चा

इंदौर, राजेश ज्वेल। बीते कई वर्षों से हैदराबाद व अन्य बड़े शहरों की तर्ज पर इंदौर मेट्रो पोलिटन अथॉरिटी की मांग की जाती रही है। पहले कमलनाथ (Kamalnath) और फिर शिवराजसिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने भी मुख्यमंत्री (CM) रहते इसकी घोषणा की। मगर अथॉरिटी गठन की प्रक्रिया फाइलों में ही रही। अब नवागत मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इंदौर को ये सौगात अपनी पहली यात्रा में दे सकते हैं। दरअसल इंदौर का मास्टर प्लान भी लम्बित पड़ा है, जिसमें अब मेट्रो पॉलिटन अथॉरिटी का निर्णय अगर हो जाता है तो इंदौर के साथ-साथ, देवास, धार, उज्जैन को भी शामिल किया जा सकेगा। खासकर उज्जैन में महाकाल लोक बनने के बाद वहां का तेजी से विकास हो रहा है और इंदौर से उज्जैन के बीच यातायात भी बढ़ गया है। हुकमचंद मिल की 42 एकड़ जमीन पर भी गांधी नगर के गिफ्ट सिटी की तर्ज पर कोई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट अमल में लाया जाएगा। इस पर भी आज प्रमुख सचिव इंदौर में चर्चा कर रहे हैं।

उज्जैन निवासी डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद अब इंदौर की उम्मीदें भी इसलिए बढ़ गई क्योंकि उज्जैन का सीधा कनेक्शन इंदौर से ही है और पूर्व में इंदौर-उज्जैन के बीच मेट्रो चलाने की घोषणा भी की गई, क्योंकि महाकाल लोक बनने के बाद लगातार यातायात का दबाव तो बन ही रहा है वहीं इंदौर-उज्जैन रोड पर कई आवासीय व अन्य प्रोजेक्ट भी तेजी से अमल में लाए जा रहे हैं। 2041 के मान से इंदौर के मास्टर प्लान की भी तैयारी की गई। मगर अब प्रबुद्धजनों और इंदौर उत्थान अभियान के दौरान भी इंदौर को मेट्रो पॉलिटन अथॉरिटी का दर्जा दिए जाने की भी मांग उठती रही है। बीते डेढ़ सालों में इंदौर के रियल इस्टेट कारोबार में भी जबरदस्त तेजी देखी गई है और व्यवसायिक राजधानी होने के नाते सबसे अधिक संभावना इंदौर में ही है। अभी 26 दिसम्बर को मुख्यमंत्री के रूप में डॉ. मोहन यादव का पहला इंदौर दौरा होने जा रहा है, जिसमें वे हुकमचंद मिल मजदूरों को राशि वितरण की शुरुआत तो करेंगे ही, साथ ही मेट्रो पॉलिटन अथॉरिटी जैसी कई सौगातें भी दी जाना संभव है। दूसरी तरफ हुकमचंद मिल की जिस 42 एकड़ जमीन के एवज में हाउसिंग बोर्ड ने 425 करोड़ 89 लाख रुपए जमा कर दिए हैं और अब वह जमीन का मालिक भी हो गया। लिहाजा इस जमीन पर भी कोई अतिमहत्वपूर्ण प्रोजेक्ट लाया जाएगा। चूंकि 60 फीसदी जमीन का उपयोग आवासीय और 40 फीसदी का व्यवसायिक किया जाना है, लिहाजा गिफ्ट सिटी, जिसमें आईटी पार्क, गोल्ड सुख या अन्य ऐसे प्रोजेक्ट लाए जा सकते हैं, उसकी प्लानिंग आला अफसरों द्वारा की जा रही है। महापौर पुष्यमित्र भार्गव का कहना है कि उन्होंने वादा किया था कि हुकमचंद मिल के मजदूरों को न्याय दिलवाएंगे और यह कार्य अब हो भी गया है। मुख्यमंत्री ने कल ही बकाया राशि की मंजूरी दे दी और आज प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन एवं विकास नीरज मंडलोई इंदौर रहेंगे। वे पहले हाईकोर्ट पहुंचेंगे, जहां मजदूरों के हित में लिए गए फैसले की जानकारी दी जाएगी। तत्पश्चात वे नेहरू पार्क स्थित स्मार्ट सिटी दफ्तर में बैठक लेंगे, जिसमें महापौर के साथ कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी, निगमायुक्त, आईडीए सीईओ सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहेंगे, जिसमें इंदौर के मास्टर प्लान के साथ-साथ हुकमचंद मिल की जमीन पर लाए जा सकने वाले प्रोजेक्टों पर चर्चा की जाएगी।

100 करोड़ कमा चुका है निगम कम्पाउंडिंग से
अग्रिबाण ने कल ही यह खुलासा किया ता कि मुख्यमंत्री कम्पाउंडिंग सहित टीडीआर और अन्य लम्बित मामलों की समीक्षा कर निर्देश देंगे। नगरीय विकास और आवास विभाग की इस समीक्षा के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 30 फीसदी तक कम्पाउंडिंग की रूकी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने, 24 मीटर या उससे अधिक चौड़ी सडक़ों पर मिक्स्ड लैंड यूज की सशुल्क अनुमति, टीडीआर सहित 24 घंटे में छोटे और 8 दिन में बड़े नक्शों की मंजूरी सहित कई निर्देश जारी किए हैं। नगर निगम हालांकि 100 करोड़ रुपए कम्पाउंडिंग के पहले ही कमा चुका है।

लम्बित मास्टर प्लान प्रारुप शीघ्र
इंदौर के मास्टर प्लान को भी लागू किया जाना है, जिसका प्रारुप प्रकाशन शीघ्र होगा, जिसकी तैयारी नगरीय विकास और आवास मंत्रालय ने कर रखी है। अब मेट्रो पॉलिटन अथॉरिटी के साथ उसमें कुछ आवश्यक संशोधन करना पड़ेंगे, जो कि मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद तय होगा। हालांकि नगर तथा ग्राम निवेश के अफसरों का कहना है कि देवास, धार, उज्जैन को शामिल करते हुए भी अथॉरिटी के मुताबिक प्लान तैयार किया जा सकता है और उसकी भी काफी कुछ तैयारी कर रखी है, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों से अथॉरिटी गठन की चर्चा चल ती रही है।

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