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चारधाम यात्रा में दक्षिणा पर प्रतिबंध और ड्रेस कोड को लेकर फैलाई जा रही खबरें भ्रामक – अजेंद्र अजय


देहरादून । उत्तराखंड में (In Uttarakhand) 22 अप्रैल से शुरु हो रही (Starting from 22 April) चारधाम यात्रा से पहले (Before Chardham Yatra) उपजे विवाद के बीच (Amid Controversy) बद्री-केदार मंदिर समिति अध्यक्ष (Badri-Kedar Temple Committee President) अजेंद्र अजय (Ajendra Ajay) ने दक्षिणा पर प्रतिबंध और ड्रेस कोड को लेकर (About Dakshina Ban and Dress Code) फैलाई जा रही खबरों को (Spreading News) भ्रामक बताया है (Described as Misleading) । हालांकि, उन्होंने कहा कि देश के प्रतिष्ठित मंदिरों के अध्ययन पर चर्चा की जा रही है। इस विवाद को लेकर श्रद्धालु तो असमंजस में हैं ही साथ ही सरकार और बद्री-केदार मंदिर समिति भी सकते में आ गई ।


दरअसल, चारधाम यात्रा में हर साल श्रद्धालुओं की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। ऐसे में चारधाम की व्यवस्थाओं को और ज्यादा सुलभ और सुविधाजनक बनाने के लिए बद्री-केदार मंदिर समिति ने देश के चार प्रमुख बड़े प्रतिष्ठित मंदिरों में अध्ययन दल भेजा था। जिसकी रिपोर्ट के आधार पर बदरीनाथ और केदारनाथ धाम में व्यवस्थाओं के सुधारीकरण की कवायद शुरू की गई है। हालांकि, अभी अध्ययन दल की रिपोर्ट मंदिर समिति की बोर्ड बैठक में रखी गई है।

अभी रिपोर्ट का प्रेजेंटेशन हुआ है। चारधाम यात्रा के दौरान कौन से नियम बदले जाएंगे? इसको लेकर अभी अधिकृत रूप से फैसला नहीं हुआ है, लेकिन उससे ठीक पहले ही कुछ पुरोहितों समेत अन्य लोगों ने चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं को लेकर विवाद खड़ा कर दिया है। इतना ही नहीं कुछ पुरोहितों ने तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की तरह हश्र होने की बात भी कही। इसके लिए उन्होंने चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड का हवाला भी दिया। जिस पर बद्री-केदार मंदिर समिति की ओर से स्पष्टीकरण दिया गया है।

बद्री-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने स्पष्ट किया है कि बद्रीनाथ और केदारनाथ में जिस तरह से दक्षिणा को प्रतिबंधित करने की अफवाह फैलाई जा रही है, यह पूरी तरह से भ्रामक है। उन्होंने बताया कि देश के चार प्रतिष्ठित मंदिरों के अध्ययन रिपोर्ट पर अभी चर्चा हो रही है। जहां तक बात दक्षिणा को लेकर है तो दक्षिणा तीर्थ पुरोहित और पंडितों का अपना अधिकार है। उसमें किसी भी तरह का हस्तक्षेप मंदिर समिति की ओर से नहीं किया जा सकता। जहां तक बात पैसे न देने की की जा रही है तो मंदिरों में मौजूद मंदिर समिति के जो अन्य स्टाफ वेतन भोगी कर्मचारी होते हैं, वो किसी भी तरह का कोई पैसा नहीं लेंगे और मंदिरों में दान पेटियां लगाई जाएगी। श्रद्धालु उन दान पेटी में अपना श्रद्धा के अनुरूप दान डालेंगे। बाकी मंदिर में मौजूद तीर्थ पुरोहित की जहां तक बात है, वो पुजारियों का अपना हक है। जिस पर कोई प्रतिबंध नहीं है। न ही किसी पर कोई दबाव है। यह केवल श्रद्धा का विषय है।

इसके अलावा ड्रेस कोड को लेकर भी भ्रांतियां फैलाई जा रही है। जिसके तहत चारधाम यात्रा के लिए श्रद्धालुओं को ड्रेस कोड का पालन करना होगा। इस जानकारी को उन्होंने पूरी तरह से भ्रामक करार दिया। बद्री-केदार मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि ड्रेस कोड को लेकर अभी केवल चर्चा की जा रही है। यह ड्रेस कोड केवल मंदिर समिति के वेतन भोगी कर्मचारियों के लिए लागू करने पर चर्चा की जा रही है, ताकि धामों में समरूपता हो। मंदिर समिति के लोगों को पहचाना जा सके।

कोई भी श्रद्धालु या भक्त मंदिर समिति के लोगों से अधिकृत जानकारी या फिर सहयोग ले सकें। ऐसा इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि यात्रा के दौरान एक अधिकृत समरूपता न होने की वजह से श्रद्धालुओं और यात्रियों को असुविधाएं होती है। कोई मदद करने वाला नहीं होता है या फिर मदद करने वाला सही है या गलत इसकी भी पुष्टि नहीं हो पाती है। इसके लिए मंदिर समिति चाहती है कि मंदिरों में बेहतर व्यवस्था के लिए उनके कर्मचारी एक निर्धारित ड्रेस कोड में मौजूद रहें, ताकि मंदिरों में व्यवस्थाएं बनाने में आसानी हो।

चारधाम यात्रा के दौरान यूट्यूबर और मोबाइल फोन को प्रतिबंधित करने को लेकर अजेंद्र अजय का कहना है कि देश के मंदिरों में अध्ययन पर गई टीम ने अपनी रिपोर्ट में यह बताया है कि देश के इन धामों में कई जगहों पर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस प्रतिबंधित है। मंदिर के गर्भगृह में किसी भी तरह का मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस ले जाना मना है। साथ ही मंदिर परिसर के बाहर एक सीमित दायरे तक फोटोग्राफी भी प्रतिबंधित है।

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