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‘Mix and Match’ वैक्सीन से कोरोना वायरस के खिलाफ मिल सकती है अतिरिक्त सुरक्षा, स्टडी में खुलासा

नई दिल्ली ।कोरोना वायरस (Corona Vaccine) की वैक्सीन पर दुनिया भर में रिसर्च चल रहे हैं. मिक्स एंड मैच वैक्सीन (mix and match vaccine) पर हुई एक नई स्टडी में दावा किया गया है कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका (Oxford-AstraZeneca) की डबल डोज (double dose) देने के बाद बूस्टर के तौर अगर कोई अलग वैक्सीन (Vaccine)  दी जाए तो इससे इम्यून रिस्पॉन्स (immune response) और मजबूत हो सकता है. ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ग्रुप (oxford vaccine group) के प्रोफेसर मैथ्यू स्नैप का कहना है कि ‘मिक्स एंड मैच’ वैक्सीन (mix and match vaccine) से कोरोना वायरस (Corona Virus) के खिलाफ अतिरिक्त सुरक्षा मिल सकती है. प्रोफेसर मैथ्यू ने दो वैक्सीन को मिक्स करके दिए जा रहे क्लिनिकल ट्रायल के नतीजे सामने आने के बाद ये बात कही.

इस स्टडी के नतीजों के अनुसार जिन लोगों ने एस्ट्राजेनेका वैक्सीन पहले ली और चार हफ्तों के बाद वहीं वैक्सीन लेने की बजाय फाइजर डोज ली उन लोगों में एंटीबॉडी नौ गुना ज्यादा पाई गई. ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोरोना वायरस वैक्सीन भारत में कोविशील्ड के नाम से दी जा रही है. वहीं जिन वॉलंटियर्स ने फाइजर की वैक्सीन पहले ली और दूसरी डोज में एस्ट्राजेनेका ली उन लोगों में दोनों डोज ऑक्सफोर्ड की लेने वालों की तुलना में एंटीबॉडी का स्तर पांच गुना ज्यादा पाया गया. फाइजर की दो डोज भी एंटीबॉडी लेवल स्तर बहुत बढ़ाती है लेकिन टी सेल रिस्पॉन्स उन लोगों में ज्यादा पाया गया जिन्होंने दोनों डोज अलग-अलग वैक्सीन की ली थी.


स्टडी में शामिल प्रोफेसर स्नैप ने बताया, ‘दो वैक्सीन के कॉम्बिनेशन से इम्यून रिस्पॉन्स ज्यादा बढ़ जाता है. आने वाले ठंड के मौसम में जब तीसरी डोज यानी बूस्टर दी जानी हो तो ये स्टडी के ये डेटा बहुत काम आ सकते हैं. इससे हमें ये पता चल सकता है कि हमें किस वैक्सीन के साथ कौन सी दूसरी वैक्सीन मिक्स करनी चाहिए.प्रोफेसर स्नैप ने कहा, ‘हमारी स्टडी से आप ये सोच सकते हैं कि अगर आपने एक्स्ट्राजेनेका की पहली या दूसरी डोज ली है तो आगे आपको RNA वैक्सीन (फाइजर या मॉडर्न) लगवाने से फायदा होगा.’ वहीं कोव-बूस्ट के नाम से एक और स्टडी की जा रही है जिसमें एस्ट्राजेनेका और फाइजर की दोनों डोज लेने वालों के लिए बूस्टर शॉट्स के कॉम्बिनेशन का ट्रायल किया जा रहा है.

इस स्टडी के नतीजे भी सितंबर तक आ सकते हैं. जरूरत पड़ने पर ठंड के मौसम में लोगों को बूस्टर शॉट देने की शुरुआत हो सकती है. इससे पहले द लैंसेट में छपी एक स्टडी में कहा गया था कि दो अलग-अलग वैक्सीन लगवाने से बुखार और सिर दर्द जैसे साइड इफेक्ट ज्यादा महसूस होते हैं जो एक से दो दिनों तक रहते हैं. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए एक रिसर्च के अनुसार वैक्सीन की दूसरी डोज के कम से कम छह महीने के बाद बूस्टर लगवाने से इम्यूनिटी अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच जाती है.  ये एंटीबॉडी और टी सेल का स्तर भी बढ़ाता है

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