नई दिल्ली। पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने कहा है कि कोरोना महामारी के कारण छायी आर्थिक मंदी से बाहर निकलने के लिए भारत को अमरीकी राष्ट्रपति की बनाई योजना की तरफ ध्यान देना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडन के रिकवरी प्लैन से प्रेरणा लेनी चाहिए, जिसने पहले ही अमरीका के कृषि विभाग को उनके खाद्य क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। बादल आज यहां पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी देश कोविड के कारण पैदा हुए आर्थिक संकट से बाहर आने के लिए किसानों और कृषि क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। भारत के कृषि मंत्रालय को किसानों और कृषि क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करके विश्व स्तरीय रणनीति से प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान सेवा और निर्माण क्षेत्र को भारी नुकसान पहुँचा और कृषि क्षेत्र ही देश की आर्थिकता को बचाने के लिए लाभप्रद साबित हुआ है। जब फैक्ट्रियाँ बंद हो गईं और सेवा क्षेत्र में गिरावट आई, जिस पर किसानों ने अपना काम करना जारी रखा और कोरोना के बावजूद फसलों की काश्त जारी रखी।
उनके अनुसार किसानों ख़ासकर पंजाब के किसानों को उनकी मेहनत को सलाम करना बनता है लेकिन भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने किसानों को सम्मानित करने की बजाय कृषि क्षेत्र ख़त्म करने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि जब दुनिया कृषि में ज्यादा निवेश कर रही है, तो केंद्र सरकार कृषि कानून लागू कर कृषि क्षेत्र को अधिक संकट में डालने पर उतारू है। एनडीए सरकार के कृषि कानून किसान विरोधी हैं।
उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी ने किसानों को कमजोर करने की कोशिश में भाजपा की सहायता करने में भूमिका अदा की और किसानों के आंदोलन को बदनाम करने का घटिया यत्न किया है। इसी तरह राजग ने एक-एक कर सभी संस्थाओं पर निशाना साधा है। चुनाव आयोग, न्यायपालिका, अफसरशाही, सीबीआई, मीडिया और अब विधान सभाओं को भी कमजोर कर दिया है। कृषि कानून पास किये जाने की जल्दी यह दिखाती है कि हमारी विधानसभाएं कितनी कमजोर हो गई हैं।
वित्त मंत्री ने कृषि संकट से उभरने के लिए दोतरफा हल सुझाए हैं। पहला, कृषि कानूनों को रद्द किया जाए और दूसरा, भारतीय आर्थिकता को मजबूत करने के लिए विश्वव्यापी तर्ज पर कृषि में व्यापक निवेश की शुरुआत की जाये। हमारे मूलभूत और कृषि क्षेत्र में विकास नहीं होता तो निर्माण और सेवा क्षेत्र का विकास भी संभव नहीं है। आर्थिकता को फिर पटरी पर लाने की अमरीका की योजना का हवाला देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि अमरीका में लगभग तीन करोड़ लोगों को भूख का सामना करना पड़ रहा है और इसमें एक करोड़ 20 लाख बच्चे शामिल हैं। उनकी सहायता के लिए नये अमरीकी प्रशासन ने अन्य सभी मुद्दों की अपेक्षा कृषि और भोजन को प्राथमिकता दी है।
उन्होंने कृषि को पहली प्राथमिकता दी है, इसके बाद वित्तीय सहायता, बुजुर्ग और बेरोजगार हैं। भारत में अमरीका के मुकाबले स्थिति अधिक खराब है। अमरीका में दो करोड़ के मुकाबले भारत में 20 करोड़ लोग खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं। भारत की खाद्य असुरक्षा प्रणाली नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और पाकिस्तान से भी नीचे दर्ज की गई है और कोरोना महामारी के दौरान इसमें और पतन आया है। बादल ने कहा कि ऐसी स्थिति में यह लाजिÞमी है कि भारत सरकार किसान की रोजी-रोटी पर हमला करने की बजाय उनको सहायता प्रदान करे।
Share: