इंदौर न्यूज़ (Indore News) मध्‍यप्रदेश

300 से ज्यादा अवैध निर्माण बायपास पर चिह्नित, निगम थमाएगा नोटिस

  • जोडियक मॉल की भी करवाई नपती… 10 फीसदी से ज्यादा मिला अवैध निर्माण… अब भवनपूर्णता और अधिभोग प्रमाण-पत्र भी उलझ गया

इंदौर। नगर निगम (municipal corporation) का बायपास (bypass) पर सर्वे लगभग पूरा हो गया है, जिसमें 45 मीटर के कंट्रोल एरिया (control area) में अवैध निर्माणों को चिह्नित किया गया है। लगभग 300 से ज्यादा छोटे-बड़े अवैध निर्माण (illegal construction) मिले हैं, जिन्हें अब निगम नोटिस (corporation notice) जारी कर उनसे निर्माणों से संबंधित अनुमतियों के कागजात मांगेगा और अवैध निर्माण पाए जाने पर नियम के मुताबिक कार्रवाई होगी। योजना 140 में बने जोडियक मॉल (zodiac mall)को भी निगम ने सील करने के नोटिस दिए और यहां चल रहीं दुकानों को भी बंद करवा दिया। अब निगम ने इस मॉल की नपती भी कर ली, जिसमें 10 फीसदी से ज्यादा अवैध निर्माण पाया गया है, जिसकी कम्पाउंडिंग (compounding) भी नहीं की जा सकती। नतीजतन भवनपूर्णता और अधिभोग प्रमाण-पत्र हासिल करने का मामला भी उलझ गया है।


कलेक्टर मनीष सिंह (collector manish singh) ने जहां बायपास को बचाने की मुहिम शुरू की, वहीं दोनों तरफ 45-45 मीटर के कंट्रोल एरिया (control area) में हुए निर्माणों को चिह्नित भी करवाना शुरू किया। पहले नगर तथा ग्राम निवेश ने 22 अभिन्यासों को एक साथ निरस्त कर दिया, उसके बाद नगर निगम ने दोनों तरफ बने वैध-अवैध निर्माणों को चिह्नित करना शुरू किया। निगमायुक्त प्रतिभा पाल (municipal commissioner pratibha pal) ने बायपास का दौरा भी किया और अपर आयुक्त भवन अनुज्ञा व कालोनी सेल प्रभारी संदीप सोनी को जिम्मेदारी दी कि वह सारे भवन अधिकारियों-निरीक्षकों से वैध-अवैध निर्माणों की सूची तैयार करवाएं। सोनी के मुताबिक 300 से ज्यादा छोटे-बड़े अवैध निर्माण अभी तक बायपास पर चिह्नित किए जा चुके हैं और सर्वे भी लगभग पूरा हो गया है। अब नगर निगम इन सभी निर्माण करने वालों को नोटिस जारी कर रहा है, जिसमें उनके द्वारा ली गई अनुमतियों से संबंधित दस्तावेजों की मांग की जाएगी। नगर निगम मुख्य रूप से तीन तरह के निर्माणों को चिह्नित करेगा। जिन लोगों ने नगर तथा ग्राम निवेश से अनुमति ली है, मगर नगर निगम से नहीं ली और अगर पूर्व में पंचायत से ली गई है तो उसकी वर्तमान में वैधानिक स्थिति क्या है। वहीं कई ऐसे निर्माण भी हैं, जिन्होंने नगर निगम और नगर तथा ग्राम निवेश से अनुमति तो ली, मगर उसके विपरित मौके पर निर्माण किया है। वहीं तीसरी श्रेणी उन निर्माणों की है, जिन्होंने किसी भी तरह की अनुमति ना लेते हुए पूरी तरह से अवैध निर्माण निर्माण मौके पर कर लिया है। दूसरी तरफ जोडियक मॉल (zodiac mall) का मामला भी उलझ गया है। निगम ने बिना भवनपूर्णता और अधिभोग प्रमाण-पत्र के व्यावसायिक गतिविधियां शुरू होने पर आपत्ति लेते हुए सील करने के नोटिस जारी किए थे, जिसके चलते टिंकू सहित कई दुकानें जो खुली वह बंद करना पड़ी और निगम की टीम ने मॉल की नपती भी की, जिसमें 10 फीसदी से ज्यादा अवैध निर्माण मिला है। वर्तमान में 10 फीसदी तक ही कम्पाउंडिंग निगम कर सकता है और 30 फीसदी कम्पाउंडिंग के नियम और आदेश अभी लागू नहीं हुए हैं। ऐसे में जोडियक मॉल (zodiac mall) का भवन पूर्णता और अधिभोग प्रमाण-पत्र भी उलझ गया, क्योंकि निगम बिना अवैध निर्माण हटाए ये प्रमाण-पत्र जारी नहीं कर सकता। नतीजतन मॉल निर्माता की गलती का खामियाजा उन दुकानदारों को भुगतना पड़ रहा है, जिन्होंने किराए या मालिकी हक में दुकानें खरीदकर व्यवसाय भी शुरू कर दिया। अब उन्हें निगम के नोटिस के बाद दुकानें बंद करना पड़ीं। निगम के अपर आयुक्त संदीप सोनी के मुताबिक जोडियक मॉल में स्वीकृत नक्शे से अधिक जो निर्माण मिला है, उसे चिह्नित किया जा रहा है। मगर यह निर्माण 10 फीसदी से अधिक ही है। वहीं कम्पाउंडिंग की शर्तों में एमओएस एवं पार्किंग क्षेत्र में किए गए अवैध निर्माण को वैध नहीं किया जा सकता। लिहाजा निगम यह भी जांच करेगा कि अवैध निर्माण किस श्रेणी का है। दूसरी तरफ बायपास में चल रही जांच से रियल इस्टेट के कई कारोबारियों में हडक़म्प मचा है, क्योंिक अधिकांश रसूखदारों की जमीनें बायपास पर मौजूद है और बीते वर्षों में मनचाही अनुमति भी हासिल कर ली और उसके मुताबिक निर्माण कार्य भी हो गए। अब नोटिसों का जवाब देने से लेकर अदालत के दरवाजे भी खटखटाए जा रहे हैं।

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