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MP विधानसभा : 6 विधायकों का नाम स्पीकर पद की दौड़ मे आगे

भोपाल। 22 फरवरी से मध्य प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र शुरू होने जा रहा है, जो 26 मार्च तक चलेगा। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने 33 दिनों तक सत्र चलाए जाने की मंजूरी दी है। खास बात यह है कि शिवराज सरकार बनने के बाद से ही मध्य प्रदेश विधानसभा में अब तक स्थायी विधानसभा अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो पाई है।

बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा पिछले 7 महीने से प्रोटेम स्पीकर के तौर विधानसभा का कामकाज देख रहे हैं। लेकिन बजट सत्र की घोषणा होते ही एक बार फिर स्थायी विधानसभा अध्यक्ष के नाम की चर्चा शुरू हो गई है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि इस बार स्थायी विधानसभा अध्यक्ष की नियुक्ति हो पाती है या नहीं।

कमलनाथ सरकार गिरने के बाद नारायण प्रजापति ने विधानसभा अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद जगदीश देवड़ा को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया। लेकिन शिवराज मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद जगदीश देवड़ा ने प्रोटेम स्पीकर का पद छोड़ दिया और 3 जुलाई 2020 को बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा को प्रोटेम स्पीकर की जिम्मेदारी सौंपी गई। तब से अब तक वे ही इस जिम्मेदारी को संभाल रहे हैं।

सूत्रों की माने तो 22 फरवरी से शुरू होने जा रहे बजट सत्र के पहले हफ्ते में ही स्थायी विधानसभा अध्यक्ष की नियुक्ति हो जाएगी। इसके लिए दावेदारों के नामों पर चर्चा भी शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि इस बार विधानसभा अध्यक्ष का पद विंध्य अंचल से आने वाले बीजेपी के किसी सीनियर विधायक को दिया जा सकता है। जिसके लिए बीजेपी में मंथन शुरू हो गया है। क्योंकि शिवराज सरकार में विंध्य अंचल से ज्यादा विधायकों को मंत्रीमंडल में शामिल नहीं किया गया है। ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष का पद विंध्य की झोली में जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो करीब 17 साल बाद विंध्य अंचल से आने वाला कोई विधायक मध्य प्रदेश का अध्यक्ष बन सकता है। इससे पहले कांग्रेस के दिग्गज नेता श्रीनिवास तिवारी 24 दिसंबर 1993 से लेकर 11 दिसंबर 2003 तक करीब 10 साल मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष रहे चुके हैं।

खास बात यह है कि विंध्य अंचल लगातार 4 से 5 बार के विधायकों की संख्या ज्यादा है। ऐसे में बीजेपी के सामने चुनौती यह है कि इन विधायकों में से किसे विधानसभा अध्यक्ष बनाया जाए। ताकि राजनीतिक, क्षेत्रीय के साथ-साथ जातिगत समीकरणों को भी साधा जा सके। विंध्य अंचल से आने वाले 5 विधायकों के नाम विधानसभा अध्यक्ष की रेस में सबसे आगे हैं। इन विधायकों को में राजेंद्र शुक्ल राजेंद्र शुक्ल, नागेंद्र सिंह नागौद, गिरीश गौतम, नागेंद्र सिंह गुढ़, केदारनाथ शुक्ला और अजय विश्नोई का नाम शामिल है। हालांकि अजय विश्नोई महाकौशल से आते हैं। लेकिन वे लगातार यह मांग कर रहे हैं विधानसभा अध्यक्ष का पद विंध्य या महाकौशल अंचल में से किसी एक को मिलना चाहिए।

खास बात यह है कि कमलनाथ सरकार की तर्ज पर इस बार बीजेपी विधानसभा उपाध्यक्ष का पद भी अपने पास रखने की तैयारी में हैं। सूत्रों का दावा है कि इस बार बीजेपी में ऐसे विधायकों की संख्या बहुत ज्यादा है जो लगातार तीन बार से विधायक बनते आ रहे हैं। अगर विधानसभा अध्यक्ष का पद विंध्य की झोली में जाता है। तो ऐसे में विधानसभा उपाध्यक्ष का पद मध्य भारत या बुंदेलखंड के किसी विधायक को दिया जा सकता है। इतना ही नहीं राजनीतिक जानकारों का यह भी कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के जरिए बीजेपी जातिगत समीकरणों को भी साधने की तैयारी में हैं।

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