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MP: शिवराज सरकार ने प्रदेश की स्कूली शिक्षा का किया बंटाढारः कमलनाथ

– प्रदेश के 21 हजार स्कूलों में सिर्फ एक-एक शिक्षक, 87 हजार स्कूली शिक्षकों की जरूरत

भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री (Former Chief Minister) एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ (State Congress President Kamal Nath) ने मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) की शिक्षा व्यवस्था (Education system) पर भाजपा (BJP) को घेराव किया है। उन्होंने मंगलवार देर शाम जारी बयान में कहा है कि 17 साल से भाजपा की सरकार होने के बाद भी आज मध्यप्रदेश की शिक्षा व्यवस्था की क्या दुर्दशा हो गई है? आज मध्यप्रदेश की शिक्षा व्यवस्था सिसक रही है? एक शिक्षक वाले स्कूलों की संख्या में मध्यप्रदेश, देश में नम्बर एक पर है। प्रदेश में 21 हजार से अधिक स्कूलों में सिर्फ एक-एक शिक्षक है, जिसमें बहुत बड़ा हिस्सा ग्रामीण स्कूलों का है। इसका सीधा मतलब है कि प्रदेश में नौनिहालों को पढ़ाने की व्यवस्था चरमरा चुकी है।


कमलनाथ ने बताया कि यूनेस्को की स्टेट आफ द एजूकेशन रिपोर्ट फार इंडिया 2021 के अनुसार मध्यप्रदेश में 87 हजार से अधिक शिक्षकों की आवश्यकता है। इतने अधिक शिक्षकों की कमी के कारण ही आज प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था का स्तर गिरता जा रहा है। मानक अनुसार प्राथमिक शालाओं में 30 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक और माध्यमिक शालाओं में 35 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक होने की स्थिति में ही विद्यार्थियों की शिक्षा समुचित रूप से हो पाती है। लेकिन मध्यप्रदेश की शिक्षा व्यवस्था इन मानकों के सामने पूरी तरह नाकाम है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान बताएं कि इन मानकों तक पहॅुचने के लिए उनके पास क्या कार्य योजना है?

उन्होंने पूछा कि मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार पिछले 17 सालों से शिक्षा के सुदृढ़ीकरण पर क्या काम कर रही है? क्या उसे यह भी चिंता नहीं है कि इस व्यवस्था से नौनिहालों का भविष्य खतरे में होगा? प्रदेश का भविष्य खतरे में होगा?

कमल नाथ ने रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि अप्रशिक्षित शिक्षकों की संख्या के मामले में भी मध्यप्रदेश, देश के सर्वाेच्च संख्या वाले राज्यों में शामिल है। इसी से प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता का आकलन किया जा सकता है। यदि शिक्षक ही प्रशिक्षित नहीं होगे तो वे विद्यार्थियों को कैसे पढ़ाएगें? विद्यार्थियों को शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक बुनियादी सुविधाओं के मामले में भी मध्यप्रदेश की स्थिति बेहद खराब है। प्रदेश के लगभग 45 प्रतिशत स्कूल ऐसे हैं, जहां पर बिजली की सुचारू व्यवस्था उपलब्ध नहीं है। स्कूलों की कक्षाओं में बैठक व्यवस्था एवं कक्षाओं की स्थिति भी अच्छी नहीं है। जब बुनियादी सुविधाऐं ही नहीं होंगी तो अध्ययन-अध्यापन कैसे होगा?

उन्होंने कहा कि एक तरफ तो केन्द्र की भाजपा सरकार डिजिटल इंडिया का नारा देती है और दूसरी तरफ प्रदेश की भाजपा सरकार डिजिटल मध्यप्रदेश, डिजिटल सिटी, डिजिटल एप की बातें करती है पर प्रदेश के स्कूलों की वास्तविक स्थिति भिन्न ही है। प्रदेश के स्कूलों की स्थिति बताती है कि डिजिटल इंडिया, डिजिटल मध्यप्रदेश कोरे नारे ही हैं। यूनेस्को की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के 89 प्रतिशत स्कूलों में इंटरनेट की व्यवस्था उपलब्ध नहीं है और मध्यप्रदेश का स्थान देश के निम्नतम 4 राज्यों में शुमार है। शालाओं में कम्प्यूटर की व्यवस्था के मामले में तो मध्यप्रदेश का स्थान देश में निम्नतम है। यही डिजिटल मध्यप्रदेश का सत्य है? प्रदेश के नौनिहालों को कम्प्यूटर और इंटरनेट की व्यवस्था दिए बिना कैसे मध्यप्रदेश, डिजिटल मध्यप्रदेश बनने वाला है? कैसे मध्यप्रदेश की नई पीढ़ी दुनिया से कदम से कदम मिलकर चल पायेगी?

उन्होंने कहा, आज का युग कम्प्यूटर का युग है, इंटरनेट का युग है, ई-शिक्षा का युग है, स्मार्ट क्लासेस का युग है। नई पीढ़ी का भविष्य इंटरनेट और कम्प्यूटर से जु़ड़ा है, पर प्रदेश में 17 सालों से सत्ता में बैठी भाजपा की सरकार को इस क्षेत्र में काम करने की आवश्यकता महसूस नहीं हुई है? क्या मुख्यमंत्री इसकी जिम्मेदारी लेंगे?

उन्होंने कहा कि पिछले 17 सालों से भाजपा की सरकार प्रदेश के युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है। युवा आज बेराजगारी का दंश झेलने को मजबूर हैं। प्रदेश के किसानों का वर्तमान एवं भविष्य बिगाड़ रही है। वे कर्जेदार हैं। प्रदेश को माफियाराज की पहचान दिला रही है। महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों को नियंत्रित करने में पूर्णतः असफल रही है। गरीब और मध्यम वर्ग को आज मंहगाई की मार देकर उनका भविष्य बिगाड़ रही है। अब नौनिहालों का भविष्य भी खतरे में डाला जा रहा है। मध्यप्रदेश की भावी पीढ़ियों का भविष्य खतरे में डाला जा रहा है। हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री जी वर्षों से झूठे भाषणों में, झूठी घोषणाओं में और झूठ परोसने में ही व्यस्त हैं। (एजेंसी, हि.स.)

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