इंदौर न्यूज़ (Indore News)

एमपीपीएससी… 4 साल इंतजार के बाद भी अधूरा परिणाम

  • ओबीसी के 13 प्रतिशत अभ्यर्थियों को करना होगा न्यायालय के फैसले का इंतजार
  • प्रिया पाठक अव्वल, इंदौर की सिम्मी यादव का दूसरी बार चयन

इंदौर। मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग ने 2019 परीक्षा का परिणाम लंबे इंतजार के बाद जारी तो कर दिया, लेकिन ओबीसी आरक्षण का मामला न्यायालय में पेंडिंग होने के कारण 87 प्रतिशत पदों का ही परिणाम को घोषित किया गया है। इसमें प्रिया पाठक अव्वल और इंदौर की सिम्मी यादव का चयन दूसरी बार डिप्टी कलेक्टर पद पर हुआ है।

एमपी पीएससी 2019 की परीक्षा 517 पदों के लिए आयोजित की गई थी। तकरीबन 4 साल से अभ्यर्थी परिणामों का इंतजार कर रहे थे। परिणाम में देरी होने के पीछे 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण का मामला अभी भी अटका पड़ा है। प्रकरण हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक कानूनी पेंच में उलझने के कारण परिणाम जारी नहीं हो पाए थे, जबकि एमपीपीएससी ने इसके 1 साल बाद 2020 परीक्षा के परिणाम जारी कर दिए थे। अब इनकी पोस्टिंग (पदस्थापना) इसलिए नहीं हो पा रही, क्योंकि सीनियरिटी का मामला फिर नया विवाद पैदा कर देगा। इसलिए एमपीपीएससी ने कल देर रात 2019 परीक्षा का परिणाम अधूरा ही 472 अभ्यर्थियों का चयन कर जारी कर दिया, जबकि 517 अभ्यर्थियों का चयन इस परीक्षा में होना था। यह 13 प्रतिशत अभ्यर्थियों के लिए एमपीपीएससी को न्यायालय के आदेश का इंतजार रहेगा। कल देर रात जारी हुए परिणामों में प्रिया पाठक ने सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है, वहीं 2020 में डिप्टी कलेक्टर पद पर चयनित सिम्मी यादव का एक बार फिर से 2019 परीक्षा में भी चयन हुआ है।


नाराजगी इतनी कि 389 अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री से मांगी इच्छा मृत्यु परिणाम पर रोक लगाने की मांग
एमपीपीएससी ने भले ही 4 साल के बाद अधूरा परिणाम जारी कर अपनी ओर से खानापूर्ति करने की कोशिश की हो, लेकिन परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों मं आक्रोश बरकरार है। कल परीक्षा देने वाले 389 अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को पत्र लिखकर परिणाम पर रोक लगाने की मांग इसलिए की थी कि मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है और उसकी सुनवाई होने तक इसे जारी न करें । नाराज अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री से इच्छा मृत्यु की मांग भी इस पत्र के माध्यम से की है।

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