नई दिल्ली/सोनीपत। केंद्र सरकार के तीन नये कृषि कानूनों (new agricultural laws) के खिलाफ पिछले 11 महीने से अधिक समय से चले रहे सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन (peasant movement) के लिए बने मंच के पास हुई दलित शख्स लखबीर सिंह की हत्या के मामले में आखिरकार निहंग सरबजीत सिंह (Nihang Sarabjit Singh) ने गत दिवस पुलिस के सामने सरेंडर किया था, जिसे आज पुलिस कोर्ट में पेश करेगी। पुलिस कोर्ट से सरबजीत की 14 दिनों की रिमांड मांगेगी।
इस पूरे मामले को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने बयान में कहा कि वह स्पष्ट करना चाहता है कि घटना में शामिल दोनों पक्षों, निहंगों के समूह और मृतक का किसान मोर्चा से कोई संबंध नहीं है। किसानों का शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक प्रदर्शन किसी भी तरह की हिंसा का विरोध करता है। वहीं, इस पर कांग्रेस ने कहा कि मामले की जांच करना सरकार की जिम्मेदारी है और कानून को अपना काम करना चाहिए. जबकि भाजपा ने किसान नेताओं को निशाने पर लेते हुए कहा कि इन प्रदर्शनों के पीछे के ‘अराजकतावादियों’को बेनकाब करने की जरूरत है, क्योंकि वे देश का बड़ा नुकसान कर रहे हैं।
इस हत्या के पीछे सरबलोह ग्रंथ की बेअदबी का मामला बताया जा रहा है. वैसे सरबलोह ग्रंथ का शाब्दिक रूप से अर्थ ‘सर्वव्यापी धर्मग्रंथ’ है, लेकिन श्री गुरु ग्रंथ साहिब के विपरीत सरबलोह ग्रंथ कुछ हिस्सों को छोड़कर मुख्यधारा के सिख समुदाय द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है, हालांकि निहंग इसे उच्च सम्मान में रखते हैं।
विदित हो कि सिंघू बॉर्डर पर मारे गए युवक की पहचना तरन तारन निवासी लखबीर सिंह के रूप में हुई है। चीमा कलां गांव में मृतक लखबीर सिंह के घर पर पहुंचे ASI कबाल सिंह ने बताया कि उनके परिवार में पत्नी, तीन बेटियां हैं। कबाल सिंह ने बताया कि 5-6 साल पहले लखबीर सिंह को उसकी पत्नी ने उन्हें छोड़ दिया था और वो अलग रहती हैं, हालांकि परिजनों का कहना था कि इसकी जांच होनी चाहिए और उसे न्याय मिलना चाहिए। Share: