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बेटियों की शादी की उमर के फैसले पर मुस्लिम संगठन ने जताई आपत्ति बोला- हम नहीं मानेंगे, लड़कियां गलत राह पर जाएंगी

नई दिल्ली। मोदी केबिनेट (Modi Cabinet) ने लड़कियों (Girls age for Marriage) की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल (Women marriage legal age) करने के कानूनी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके लिए सरकार मौजूदा क़ानूनों में संशोधन लाएगी। हालांकि, अभी कानून बनने से पहले ही इस प्रस्ताव का विरोध होने लगा है। मुस्लिम संगठन जमात- उलेमा-ए-हिंद के सचिव गुलजार अजमी ने कहा कि वे इसे नहीं मानेंगे।

सचिव गुलजार अजमी का कहना है कि सरकार का यह फैसला पूरी तरह से गलत है। बालिग की उर्म 18 से तो शादी की उर्म 21 कैसे हो सकती है। अगर लड़का-लड़की दोनों बालिग हैं मतलब 18 साल के तो लड़की की उर्म 21 क्यूं होनी चाहिए। इससे लड़कियां गलत राह पर चल जाएंगी. यह सरासर गलत है। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे मजहब में लड़का-लड़का 14-15 साल में ही बालिग हो जाते हैं। हम नहीं मानेगें यह कानून।


इसी विषय पर, इस्लामिक स्कॉलर खान मोहम्मद आसिफ (Islamic Scholar Khan Mohammad Asif) ने कहा कि इस्लाम में प्यूबर्टी (Puberty) के बाद शादी की इजाजत है। लेकिन सरकार ये जो कानून लाना चाहती है वो सिर्फ इस्लाम की बात नहीं है। हर धर्म के लोगों को देख कर कानून लाना चाहिए कि लड़की का ड्रॉप आउट रेट (Drop Out Rate) क्या है। कितना एम्प्लॉयमेंट है। उसके बाद सरकार कानून लाती है तो किसी को इसका विरोध नहीं करना चाहिए।

वहीं दूसरी तरफ, अयोध्या में बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार इकबाल अंसारी (Iqbal Ansari, ex-partisan of Babri Masjid in Ayodhya) ने कहा कि सब अपने अपने घरों में चाहते हैं कि जल्द से जल्द शादी व्याह करके निपट लें। लेकिन, सरकार अब जो कर रही है ठीक ही कर रही है। पहले से समाज मे एक परंपरा बनी हुई है। लेकिन, अब सरकार ने कुछ सोचा होगा। इसलिए कर रही होगी।

इसके अलावा हनुमानगढ़ी मंदिर (Hanumangarhi) के महंत राजू दास (Mahant Raju Das) ने कहा कि सनातन धर्म को आगे बढ़ाने के लिए मोदी सरकार (Modi Sarkar) सब कुछ कर रही है। केवल सनातन धर्म ही नहीं मुस्लिम धर्म (Muslim Religion) की कुरीतियों को भी मोदी सरकार हटा रही है, जैसे तीन तलाक-बाल विवा। इन सब पर रोक लगाने के लिए 21 साल करना ठीक है।

बता दें कि इस प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी के बाद सरकार बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 में एक संशोधन पेश करेगी और इसके परिणामस्वरूप विशेष विवाह अधिनियम और हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 जैसे व्यक्तिगत कानूनों में संशोधन लाएगी। बुधवार को दी गई मंजूरी दिसंबर 2020 में जया जेटली की अध्यक्षता वाली केंद्र की टास्क फोर्स द्वारा नीति आयोग को सौंपी गई सिफारिशों पर आधारित हैं, इसका गठन ‘मातृत्व की उम्र से संबंधित मामलों, मातृ मृत्यु दर को कम करने की आवश्यकता, पोषण में सुधार से संबंधित मामलों की जांच के लिए किया गया था।’

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