सम्बलपुर (Sambalpur) । ओडिशा (Odisha) में पिछले लगभग ढाई दशक से निर्बाध राज कर रहे बीजद नेता मुख्यमंत्री नवीन पटनायक (BJD leader Chief Minister Naveen Patnaik) को इस चुनाव (Election) में पहली बार कड़ी चुनौती मिल रही है। भाजपा (BJP) द्वारा उठाए गए ओडिशा अस्मिता के मुद्दे की यहां पर खासी चर्चा है और लोग नवीन पटनायक के आसपास के लोगों पर सवाल खड़े कर रहे हैं। ऐसे में भाजपा को राज्य में अपनी जड़ें जमाने का मौका मिल गया है और पहले ही दूसरे नंबर की पार्टी बन चुकी भाजपा अब सत्ता के लिए भी दम ठोक रही है। यही कारण है कि राज्य में एक साथ हो रहे लोकसभा और विधानसभा चुनाव में बीजद के चुनाव चिह्न शंख और पद्म (कमल को उड़िया में पद्म कहा जाता है) में जोरदार जोर आजमाइश है।
ओडिशा की राजनीति अन्य राज्यों की तरह बहुत ज्यादा तोड़फोड़ और उठापटक वाली नहीं रही, लेकिन इस चुनाव में बीजद के कई प्रमुख नेताओं ने पार्टी छोड़ी और भाजपा का दामन थाम लिया। इसे बीजद की अंदरूनी कलह से तो जोड़ा ही जा रहा है, साथ ही मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के नजदीक माने जा रहे वीके पांडियन को लेकर बढ़ रही नाराजगी से भी जोड़कर देखा जा रहा है।
लोग मान रहे, चुनाव एकतरफा नहीं
पश्चिम ओडिशा के मुख्य शहर संबलपुर में लोगों का कहना है कि नवीन बाबू तो अच्छा काम कर रहे हैं, लेकिन उनके आसपास के लोग ठीक नहीं हैं। स्थानीय निवासी प्रमोद नायक का कहना है कि इस बार की लड़ाई बड़ी है, एकतरफा चुनाव नहीं है। भाजपा ने भी पूरी ताकत लगाई हुई है। उनका कहना है कि वह लोकसभा में मोदी को पसंद कर रहे हैं, लेकिन विधानसभा के लिए अब भी नवीन पटनायक को बड़ा नेता मानते हैं।
एक ही पार्टी को वोट देना जरूरी नहीं मान रहे
संबलपुर से अंगुल तक के रास्ते में सड़क तो बेहद खराब है लेकिन लोगों का मन साफ है। उनका कहना है कि लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनाव भले ही साथ हैं, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि एक ही पार्टी को दोनों चुनाव में लोग वोट दें। उम्मीदवार और नेता दोनों को ही देख रहे हैं। विनय महापात्र का कहना है कि अब बीजद पहले जैसी नहीं रही है। उसमें बाहरी लोगो का दबदबा काफी ज्यादा है। यह ओडिशा की संस्कृति पर असर डाल रहा है। उनका सीधा इशारा पांडियन की तरफ है, जो अब बीजद के बड़े निर्णय ले रहे हैं। यहां के लोग इसे अच्छा नहीं मान रहे।
विधानसभा चुनाव में चेहरे को लेकर हिचकिचाहट
अंगुल के रमेश पुजारी का कहना है कि नवीन पटनायक का अब प्रशासन पर उतना नियंत्रण नहीं रहा, लेकिन वह पटनायक को ईमानदार और स्वच्छ नेता मानते हैं। विधानसभा चुनाव को लेकर लोगों के मन में अभी हिचकिचाहट है कि वह एक बार फिर से नवीन पटनायक को ही चुनें या फिर बदलाव के रूप में भाजपा को लेकर आएं। दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव को लेकर लोगों के मन में साफ है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेहतर काम किया है और यही वजह है कि बीजद ने भी लोकसभा में समय समय पर उनका समर्थन किया है।
पांडियन को घेर पटनायक को चुनौती दे रही भाजपा
बीजद के कई प्रमुख नेता हाल में पार्टी छोड़कर गए हैं। दूसरी तरफ भाजपा ने यहां पर ओडिशा अस्मिता को बड़ा मुद्दा बनाया है और पांडियन को घेर कर वह नवीन पटनायक को चुनौती दे रही है। भाजपा ने बीजद से 2009 में गठबंधन टूटने के बाद राज्य में अपनी जगह मजबूत की है। पिछले लोकसभा चुनाव में उसने नौ सीटों पर जीत दर्ज की थी। साथ ही विधानसभा में वह मुख्य विपक्षी दल बन चुकी है। अब उसका लक्ष्य राज्य में सत्ता को हासिल करना है, लेकिन उसकी राह में अब भी सबसे बड़ा रोड़ा नवीन पटनायक ही हैं।