नई दिल्ली। अगले साल के आयकर रिटर्न (ITR) फॉर्म में क्रिप्टोकरेंसी के लिए अलग से एक कॉलम होगा। राजस्व सचिव तरुण बजाज ने बताया कि इसमें करदाताओं को क्रिप्टोकरेंसी से हुई कमाई का ब्योरा देना होगा। वित्त विधेयक में यह प्रावधान डिजिटल परिसंपत्तियों पर टैक्स से जुड़ा है, जो क्रिप्टोकरेंसी पर कर लगाने की स्पष्टता के लिए लाया गया है।
हालांकि, इससे क्रिप्टो की वैधता को लेकर कोई राय नहीं जाहिर की गई है। इस संबंध में संसद में विधेयक के बाद ही स्थिति साफ होगी। उन्होंने कहा कि क्रिप्टो से होने वाली 50 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 फीसदी कर के अलावा 15 फीसदी की दर से उपकर और अधिभार चुकाना होगा।
इससे पहले केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को बजट पेश करने के दौरान क्रिप्टो से होने वाली आय पर 30 फीसदी का टैक्स लगाने समेत कई निर्णय लिए थे। बुधवार को इस मुद्दे पर बोलते हुए वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने कहा कि निजी क्रिप्टो में निवेश करने वाले लोगों को यह समझना चाहिए कि इसके पास सरकार का प्राधिकरण नहीं है। आपका निवेश सफल होगा या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं है। उन्होंने कहा कि इसमें होने वाले नुकसान के लिए सरकार कतई जिम्मेदार नहीं है।
आरबीआई का डिजिटल रुपया लीगल टेंडर
डिजिटल करेंसी को आरबीआई का समर्थन मिलेगा जो कभी भी डिफॉल्ट नहीं होगा। पैसा आरबीआई का होगा लेकिन प्रकृति डिजिटल होगी। आरबीआई द्वारा जारी किया गया डिजिटल रुपया लीगल टेंडर होगा। बाकी सभी लीगल टेंडर नहीं हैं, और कभी लीगल टेंडर नहीं बनेंगे। इथेरियम का वास्तविक मूल्य कोई नहीं जानता। उनकी दर में दैनिक उतार-चढ़ाव होता है। सरकार की नई नीति यह है कि क्रिप्टो के जरिए कमाई करने वालों को अब 30 फीसदी टैक्स का भुगतान करना होगा।
क्रिप्टोकरेंसी को बताया सट्टा लेन-देन
सोमनाथन ने कहा कि क्रिप्टो एक सट्टा लेन-देन है, इसलिए हम इस पर 30 फीसदी की दर से कर लगा रहे हैं। यह केवल क्रिप्टो के लिए नहीं है, यह सभी सट्टा आय के लिए है। उदाहरण के लिए, यदि मैं घुड़दौड़ लेता हूं, तो उस पर भी 30 फीसदी कर लगता है। किसी भी सट्टा लेन-देन पर पहले से ही 30 फीसदी कर है। इसलिए हमने उसी दर से क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स लगाने का फैसला किया है।
निवेश पर रहेगी नजर
क्रिप्टोकरेंसी पर 30 फीसदी टैक्स लगाने का सरकार का मकसद निवेशकों और निवेश पर नजर रखना है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) चेयरमैन जेबी महापात्र ने कहा कि बजट में क्रिप्टोकरेंसी या ऑनलाइन डिजिटल संपत्तियों को कर के दायरे में लाने की घोषणा आयकर विभाग के लिए देश में इस मुद्रा के कारोबार की गहराई का पता लगाने, निवेशकों और उनके निवेश की प्रकृति को जानने में मददगार होगी। इसका मतलब यह नहीं है कि क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन वैध हो जाएगा।
क्रिप्टोकरेंसी के लिए राष्ट्रीय स्तर पर नीति निर्माण का काम जारी है। आयकर विभाग इस क्षेत्र में ऐसे समय प्रवेश कर रहा है, जब नीति पर काम जारी है। कर अधिकारियों के लिए इस क्षेत्र में प्रवेश का यह सही समय है। टैक्स व्यवस्था से यह जानने में भी मदद मिलेगी कि क्या निवेश गलत तरीके से किया गया है या अवैध है। अगर वह बेहिसाब आय डाल रहा है या यह किसी और की ‘बेनामी’ संपत्ति है तो उसके बाद आगे की कार्रवाई होगी।
गलतियों को दुरुस्त करने के लिए दी गई दो साल की मोहलत में कोई माफी योजना नहीं
वहीं, राजस्व सचिव तरुण बजाज ने बुधवार को कहा कि आयकर रिटर्न (ITR) में की गई गलतियों को दुरुस्त करने के लिए करदाताओं को दी गई दो साल की मोहलत कोई माफी योजना नहीं है। करदाताओं को पहले खुलासा नहीं की गई आय पर 25 फीसदी कर चुकाना होगा। उन्होंने कहा कि आज के दौर में छोटे करदाता बड़े पैमाने पर वित्तीय लेनदेन कर रहे हैं। आईटीआर में कुछ आय का ब्योरा छूट जाने की गुंजाइश बनी रहती है। विदेश गए लोगों के भी आईटीआर जमा न कर पाने की आशंका होती है। इसलिए उन्हें भी मौका मिलेगा।
करदाताओं के पास आईटीआर में किसी आय का ब्योरा न देने की कुछ वाजिब वजहें हो सकती हैं। दो साल की यह मोहलत उन्हें रिटर्न में सुधार का एक मौका देती है। उन्हें रिटर्न में संशोधन का यह मौका स्थायी रूप से दिया जाएगा। संशोधित आईटीआर में घोषित अतिरिक्त आय पर करदाताओं को कर एवं ब्याज का भी भुगतान करना होगा। 12 महीने के भीतर आईटीआर संशोधित करने पर करदाता को 25 फीसदी टैक्स व ब्याज देना होगा। 12 महीने के बाद और 24 महीने के पहले संशोधन करने पर 50 फीसदी तक टैक्स का भुगतान करना होगा।
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