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भारत और ब्रिटेन इसी साल एफटीए पर कर सकते हैं हस्ताक्षर, वाणिज्य सचिव ने कही ये बात

नई दिल्ली। भारत और ब्रिटेन इस साल मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर कर सकते हैं दोनों देश आर्थिक वृद्धि और रोजगार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रस्तावित समझौते की व्यापक रूपरेखा पर आम सहमति पर पहुंच गए हैं।

भारत के वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा, “हम जल्द से जल्द सौदे को अंतिम रूप देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि लगभग सभी विवादास्पद मुद्दों पर बातचीत पूरी हो चुकी है और साल के समाप्त होने के बहुत पहले ही समझौते पर हस्ताक्षर किए जा सकते हैं।”

भारत ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को खुद को बड़ा निर्यातक बनाने के लिहाज से महत्वपूर्ण मानता है, जबकि ब्रिटेन को इस समझौते से अपनी व्हिस्की, प्रीमियम कारों और कानूनी सेवाओं के लिए भारतीय बाजार में व्यापक पहुंच मिलेगी।

पिछले साल ऑस्ट्रेलिया के साथ अंतरिम व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद भारत के लिए ब्रिटेन के साथ एफटीए किसी विकसित देश के साथ पहला समझौता होगा। ब्रिटेन के लिए यह यूरोपीय संघ से 2020 के बाहर निकलने के बाद विविध वैश्विक व्यापार संबंधों की खोज का हिस्सा है।


अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों को देखते हुए यह समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए एक महत्वपूर्ण समय आएगा, पीएम आम चुनाव से पहले भारत की व्यापार-अनुकूल छवि को मजबूत करना चाहते हैं। बर्थवाल और वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल की यात्रा के दौरान हाल ही में लंदन में 11वें दौर की वार्ता संपन्न हुई थी।

बर्थवाल ने कहा कि एफटीए के कुल 26 अध्यायों में से 19 पर चर्चा बंद हो गई है, जिसमें संवेदनशील ऑटोमोबाइल क्षेत्र से संबंधित मुद्दे भी शामिल रहे हैं। व्यापार मंत्रालय के अलग-अलग सूत्रों ने कहा कि हालांकि दोनों देशों के बीच बौद्धिक संपदा अधिकारों, उत्पत्ति के नियमों और निवेश संधि पर मतभेदों को अभी तक दूर नहीं किया जा सका है।

आर बर्थवाल ने कहा कि निवेश के नियमों के मुद्दे पर सैद्धांतिक रूप से सहमति बन गई है, लेकिन दोनों देशों के सीमा शुल्क अधिकारी अभी भी इस तौर-तरीकों पर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा ब्रिटेन को दी जा रही रियायतों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘जब तक सब कुछ अंतिम नहीं हो जाता, तब तक कुछ भी अंतिम नहीं है। भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार मार्च में समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष 2022-23 में सालाना आधार पर 16.6% बढ़कर $20.42 बिलियन डॉलर हो गया।

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