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अब दुनिया जल्द चखेगी MP के कॉफी बीन्स का स्वाद

बैतूल (Betul)। मध्‍यप्रदेश के बैतूल (Betul) का जिला प्रशासन अब इन कॉफी बीन्स को विदेशों तक पहुंचाने की तैयारी शुरू कर चुका है. इन बीन्स को विदेश भेजने से पहले लैब में टेस्ट कराया गया. अब इसकी टेस्ट रिपोर्ट आ गई है. ये लैब टेस्ट रिपोर्ट बताती है कि कुकरू की कॉफी बीन्स (coffee beans) दुनिया में धाक जमा सकती है. इसके बीन्स शानदार हैं.

बता दें, कुकरू कॉफी बागान की स्थापना 80 साल पहले हुई थी. 1944 में ब्रिटिश महिला फ्लोरेंस हेंड्रिक्स ने इस कॉफी बागान की शुरुआत की थी. उन्होंने कुकरू के 44 हेक्टेयर क्षेत्र में इस कॉफी बागान को स्थापित किया था. वे यहां के कॉफी बीन्स को ब्रिटेन भेजती थीं. यहां तब से लेकर आज तक बेस्ट क्वालिटी की कॉफी उत्पादित हो रही है.



अब एक बार फिर विदेशी कंपनियां इस कॉफी बागान में रुचि दिखा रही हैं. बैतूल जिले का पचमढ़ी कहा जाने वाला कुकरू क्षेत्र अपनी नैसर्गिक सुंदरता के लिए भी विख्यात है. यहां पर्यटक कॉफी बागान के साथ-साथ इसकी सुंदरता भी देखने आते हैं. कुकरू का ये बागान मध्य प्रदेश और मध्य भारत में एकलौता कॉफी उत्पादक क्षेत्र है. यहां आज भी चार हेक्टेयर क्षेत्र में कॉफी उत्पादन हो रहा है.

मौजूदा समय में वन विभाग की देखरेख में कुकरू कॉफी बागान से सालाना 10 क्विंटल से अधिक कॉफी उत्पादित की जा रही है. आसपास निर्माण कार्यों के चलते ये बागान अब चार हेक्टेयर में सिमट चुका है. लेकिन, मध्यप्रदेश ईको पर्यटन विभाग इस दुर्लभ कॉफी बागान को दोबारा गुलजार करने में जुट गया है. वह इसकी पहचान का दायरा बढ़ाने जा रहा है.

बैतूल, दक्षिण वन मंडल की डीएफओ विजयानंतम टीआर बताते हैं कि कुकरू कॉफी बीन्स के लैब टेस्ट से पता चला है कि ये बीन्स देश की उम्दा कॉफी बीन्स में से है. कुछ प्रक्रियाओं के बाद ये एक्सपोर्ट क्वालिटी के लायक बन जाएगी. कुछ विदेशी कम्पनियों ने भी इस कॉफी बागान को लेकर रुचि दिखाई है. यहां की कॉफी अगर विदेश तक पहुंच गई तो न सिर्फ ये स्थानीय लोगों के लिए बल्कि मध्य प्रदेश के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि होगी.

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