देश

अब नही रहेगी आक्‍सीजन की कमी, राजस्‍थान में यहां बनेगा पहला Breath Bank


जोधपुर। देश में आपने कई तरह के बैंक देखे या सुने होंगे, लेकिन जोधपुर शहर में पहला ब्रेथ बैंक या श्‍वास बैंक (Breath Bank) बनने जा रहा है। यहां कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप से ऑक्सीजन (Oxygen) की भारी किल्लत देखने को मिल रही है। इसके चलते शहर के भामाशाह मिलकर पहले चरण में 500 ऑक्सीजन जनरेटर लगवा रहे हैं।

जोधपुर शहर के समाजसेवी निर्मल गहलोत ने कोरोना संक्रमण (Corona infection) के तेजी से हो रहे फैलाव और ऑक्सीजन की कमी से बढ़ रहे मौतों के आकड़ों को देखते हुए शहर में श्वास बैंक (Breathing bank) स्थापित करने की पहल की है। निर्मल गहलोत ने 25 ऑक्सीजन जनरेटर (Oxygen generator) का ऑर्डर दिया है। इसके साथ ही उन्होंने अन्य भामाशाहों से श्वास बैंक स्थापित करने में आगे आने का अनुरोध किया है। निर्मल गहलोत (Nirmal Gehlot) की अपील पर देखते ही देखते कई उद्यमी आगे आए हैं। जल्द ही 500 ऑक्सीजन जनरेटर का श्वास बैंक स्थापित करने की योजना है।


हर मिनट 5 लीटर ऑक्सीजन
ऑक्सीजन जनरेटर से हर मिनट 5 लीटर ऑक्सीजन बनाई जा सकती है। यह इस्तेमाल करने में भी बहुत आसान है। यह बाहरी हवा से ऑक्सीजन जनरेट कर ऑक्सीजन सप्लाई करता है। इस ऑक्सीजन जनरेटर का कोई भी व्यक्ति आसानी से इस्तेमाल कर सकता है। कोरोना संक्रमण काल मे ये ऑक्सीजन जनरेटर पीड़ितों के लिए रामबाण साबित हो सकते हैं।

15 दिन में शुरू करने का है प्‍लान
समाजसेवी निर्मल गहलोत ने मुहिम शुरू की तो भामाशाह विष्णु गोयल (Bhamashah Vishnu Goyal) आगे आए। उसके बाद इस मुहिम में अन्य समाजसेवी और भामाशाह को जोड़ने का सिलसिला शुरू हो गया। बुधवार को शुरू हुई इस मुहिम में अब तक 128 ऑक्सीजन जनरेटर का ऑर्डर दे दिया गया है। अगले 15 दिन में 500 ऑक्सीजन जनरेटर जोधपुर में मंगवाकर श्वास बैंक स्थापित कर दिया जाएगा। उम्मीद जतायी जा रही है कि उसके बाद जोधपुर शहर में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं रहेगी ।

Share:

Next Post

अपने होने का अहसास कराओ... विश्वास का आभास दिलाओ... अब तो सांसे बचाओ...

Thu Apr 22 , 2021
बस अब और नहीं ईश्वर… अब और नहीं… क्या कर डाला यह… अपनी ही तपोभूमि को श्मशान बना डाला… शंखनाद करते कंठों को रुदन से भर डाला… भक्ति भाव से झूमते लोगों को मरघट के सन्नाटों की भेंट चढ़ा डाला… और कितनी लाशें, कितने शव, कितने आंसू… कोई भला अपने सृजन का स्वयं ही ऐसा […]