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रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन गूंजी किलकारी, MP के तीन जिलों में इतने बच्चों का हुआ जन्म

इंदौर: अयोध्या (Ayodhya) के राम मंदिर में रामलला के नवीन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के दिन सोमवार दोपहर मध्य प्रदेश के तीन जिलों के अलग-अलग अस्पतालों में कम से कम 47 बच्चों को जन्म हुआ. स्वास्थ्य अधिकारियों ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इंदौर (Indore) के तीन अस्पतालों में 33 बच्चों का जन्म हुआ, वहीं दमोह (Damoh) में 13 और भोपाल (Bhopal) में एक बच्चे का जन्म हुआ.

इंदौर के सरकारी पीसी सेठी अस्पताल (Hospital) के डॉ. ने बताया कि अस्पताल में सोमवार को 18 बच्चों का जन्म हुआ, जिनमें नौ बच्चियां और इतने ही बच्चे शामिल हैं. राजगीर ने बताया कि 17 बच्चों का जन्म सामान्य प्रसव से हुआ, जबकि एक का सीजेरियन प्रक्रिया से हुआ. स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. ने बताया कि सरकारी एमटीएच अस्पताल में 11 शिशुओं का जन्म सामान्य प्रसव से हुआ, जबकि तीन का जन्म सिजेरियन प्रक्रिया से हुआ. इनमें से आठ लड़कियां और छह लड़के हैं. उन्होंने बताया कि सभी शिशु स्वस्थ हैं.


इसी तरह देपालपुर सिविल अस्पताल की डॉ. ने बताया कि अस्पताल में सिजेरियन प्रक्रिया से एक बच्ची का जन्म हुआ. उन्होंने कहा कि यह बच्ची दंपति संजना और लोकेश की है. बच्ची के पिता लोकेश ने कहा, ‘‘मैं 22 जनवरी को प्रसव के लिए अस्पताल के डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों के संपर्क में था, लेकिन मुझे बताया गया कि गर्भावस्था का समय पूरा नहीं हुआ है. हालांकि, पूर्वाह्न करीब 11 बजे संजना ने प्रसव पीड़ा होने की शिकायत की, जिसके बाद ऑपरेशन किया गया.’’ उन्होंने कहा कि जच्चा-बच्चा, दोनों स्वस्थ हैं.

डॉ. ने बताया कि राजधानी भोपाल के एक निजी अस्पताल में सिजेरियन प्रक्रिया से एक बच्चे का जन्म हुआ. रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर डॉ. ने कहा कि दमोह जिले में दिन में सात लड़कों और छह लड़कियों का जन्म हुआ. धनकुंवर नाम की महिला ने कहा, ‘‘शुभ दिन जन्म लेने के कारण मैंने अपने बेटे का नाम राम रखा है.’’ एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि राज्य भर में सोमवार को जन्मे बच्चों की कुल संख्या का विवरण जुटाने में समय लगेगा.

अयोध्या के राम मंदिर में दोपहर साढ़े बारह बजे रामलला के नवीन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की गयी. वहीं देशभर में, माता-पिता बनने जा रहे कई दंपत्तियों ने अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन 22 जनवरी को प्रसव कराने का चिकित्सकों से अनुरोध किया था. जबकि, उन्हें प्रसव की ‘निर्धारित’ तिथि इस तारीख के पहले या बाद की बताई गई थी. उनका मानना है कि इस दिन जन्म लने वाले बच्चे में ‘मर्यादा पुरूषोत्तम’ राम के गुण होंगे.

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