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राजीव गांधी के हत्यारे की दया याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा-हम अपनी आंखें बंद नहीं कर सकते


नयी दिल्ली । पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Former PM Rajiv Gandhi) के हत्यारे (Killer) ए. जी. पेरारिवलन (A. G. Perarivalan) की दया याचिका (Mercy Petition) पर राष्ट्रपति के फैसले का इंतजार करने (Waiting for the President’s Decision) की केंद्र सरकार की दलील (Central Government’s Argument) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को कहा कि वह इससे सहमत नहीं है (Do not Agree) और वह इस मामले में अपनी आंखें बंद नहीं कर सकता है (Cannot Close Our Eyes) ।


जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बी आर गवई की पीठ ने कहा कि वह इस मामले में सुनवाई करेगी और इस पर राष्ट्रपति के फैसले का कोई असर नहीं होगा। पीठ ने कहा कि वह याचिकाकर्ता द्वारा उठाये गये मुद्दों की जांच करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील से कहा कि सवाल यह है कि क्या राज्यपाल को दया याचिका को राष्ट्रपति को भेजने का अधिकार है? शीर्ष अदालत ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत राज्यपाल तमिलनाडु के मंत्रिपरिषद् की सलाह के अधीन है।

सितंबर 2018 में तमिलनाडु के मंत्रिपरिषद ने पेरारिवलन की रिहाई की सिफारिश की थी लेकिन राज्यपाल ने दया याचिका का निर्णय राष्ट्रपति पर छोड़ दिया था। पीठ ने कहा कि राज्यपाल को दया याचिका राष्ट्रपति को भेजने का अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पेरारिवलन 30 साल जेल में रह चुका है और अदालत ने पहले भी 20 साल से अधिक कैद की सजा भुगताने वाले उम्रकैदियों के पक्ष में फैसले सुनाये हैं। इस मामले में भी कोई भेदभाव नहीं किया जायेगा।

केंद्र की ओर से पैरवी कर रहे अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल के एम नटराज ने कहा कि राज्यपाल ने दया याचिका राष्ट्रपति के पास भेजी है और अगर राष्ट्रपति इसे वापस राज्यपाल को भेज देते हैं और इस मामले पर बहस करने का कोई लाभ ही नहीं है। उन्होंने साथ ही कहा कि यह राष्ट्रपति निर्णय करेंगे कि राज्यपाल उन्हें दया याचिका भेज सकते हैं या नहीं।पीठ ने लेकिन कहा कि वह इस मामले की सुनवाई करेगी और राष्ट्रपति के निर्णय का सुनवाई पर कोई असर नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही कहा कि कानून की व्याख्या करना अदालत का कर्तव्य है न कि राष्ट्रपति का।

जस्टिस राव ने कहा कि संविधान के खिलाफ अगर कुछ हो रहा है तो अदालत अपनी आंखें नहीं बंद कर सकती है। अदालत को संविधान का पालन करना ही है। जस्टिस गवई ने कहा कि राज्यपाल ने गत साल जनवरी में दया याचिका राष्ट्रपति को भेजी थी और इस पर निर्णय करने के लिये पर्याप्त समय भी दिया गया। यह निजी स्वतंत्रता से जुड़ा मसला है।इस पर केंद्र सरकार के पैरवीकार ने कहा कि पेरारिवलन जमानत पर रिहा है तो पीठ ने कहा कि लेकिन उस पर तलवार अब भी लटक रही है। पीठ ने जेल में पेरारिवलन के अच्छे व्यवहार और उसके कई बीमारियों से ग्रसित होने का उल्लेख करते हुये कहा,”अगर आप इन पहलुओं पर गौर करने को तैयार नहीं है, तो हम इन पर विचार करके उसकी रिहाई का आदेश देंगे। ”

सुप्रीम कोर्ट ने गत नौ अप्रैल को पेरारिवलन की जमानत याचिका मंजूरी की थी। इस मामले की अगली सुनवाई अब अगले सप्ताह मंगलवार को होगी। गौरतलब है कि राजीव गांधी की हत्या तमिलनाडु के श्रीपेरम्बदूर में 21 मई 1991 में आत्मघाती हमले में की गई थी।

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