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नीलकंठ महादेव मंदिर के बाहर योगी आदित्यनाथ की जीत के लिए बड़ी बहन लगाती हैं प्रसाद की दुकान

नई दिल्ली। ऋषिकेश (Rishikesh) से 36 किलोमीटर दूर नीलकंठ महादेव मंदिर (Neelkanth Mahadev Temple) के बाहर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) की बड़ी बहन प्रसाद की दुकान लगाती हैं। वह रोज मंदिर में अपने भाई की सफलता की प्रार्थना करती हैं। नीलकंठ महादेव मंदिर के बाहर प्रसाद की लगभग 70 दुकानों में से एक दुकान सीएम योगी की बड़ी बहन की भी है। उत्तर प्रदेश में चल रहे चुनावों के बीच शशि प्रतिदिन भाई की विजय के लिए नीलकंठ महादेव से प्रार्थना करना नहीं भूलतीं। शशि कहती हैं कि भाई के मस्तक पर विजय का तिलक देखना ही मेरा सपना है।

इस दुकान पर आने वाले लोग कम ही जानते हैं कि वे जिस दुकान से सामान ले रहे हैं या चाय-नाश्ता (tea and snacks) कर रहे हैं, वह देश के सबसे शक्तिशाली सूबे उत्तर प्रदेश के सीएम की सबसे बड़ी बहन शशि पयाल हैं। बचपन के दिनों को याद करते हुए शशि कहती हैं कि बचपन से ही योगी का स्वभाव अन्य भाई-बहनों से अलग था। वह गंभीर प्रवृति (serious attitude) के थे। हर वर्ष वह रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) पर उन्हें राखी अवश्य भेजती हैं लेकिन यह अलग बात है साल 1994 में योगी आदित्यनाथ के संन्यास लेने के बाद कभी उनकी कलाई पर राखी बांधने का अवसर नहीं मिला। योगी के संन्यास लेने के बाद भी उन्हें उम्मीद थी कि एक दिन भाई लौट आएगा लेकिन दिन बीतने के साथ यह तय हो गया कि अब यह मुमकिन नहीं है।


शशि ने बताया की योगी आदित्यनाथ को उनके हाथ का बना भोजन बहुत पसंद था। लेकिन, अब उनके साथ भोजन किए भी वर्षों बीत गए हैं। शशि ने बताया आखिरी बार योगी से उनकी भेंट 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान हुई थी तब वह विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए ऋषिकेश, यमकेश्वर और रायवाला (Rishikesh, Yamkeshwar and Raiwala) आए थे। इसी दौरान वह अपने गांव पंचूर गए। तब परिवार के सभी लोग गांव में जमा हुए और योगी के साथ समय बिताया था।

आपको बता दे की सादगी का भाव योगी आदित्यनाथ को परिवार से विरासत में मिला है। 7 भाई-बहनों में शशि सबसे बड़ी और योगी पांचवे नंबर के हैं। योगी पौड़ी जिले में यमकेश्वर ब्लाक में पंचूर गांव (Panchur Village) के रहने वाले हैं। 31 वर्ष पहले शशि का विवाह कोठार गांव (Kothar Village) के पूरण सिंह पयाल से हुआ। पति-पत्नी हर दिन कोठार गांव से ढाई किलोमीटर दूर नीलकंठ महादेव मंदिर पैदल ही आते हैं। प्रतिदिन सुबह सात बजे दुकान खोलते हैं और शाम चार बजे तक गांव लौट जाते हैं। शशि के तीन बच्चे हैं, दो बेटे और एक बेटी। एक बेटे का विवाह हो चुका है।

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