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PAK: बिलावल भुट्टो ने देश के आर्थिक हालात से ध्यान हटाने के लिए दिया PM मोदी पर बयान!

नई दिल्ली। पाकिस्तान (Pakistan) की बेहद खस्ता आंतरिक हालात (crispy interior) के चलते वहां की सियासत में भूचाल (political earthquake) देखने को मिल रहा है। माना जा रहा है कि जटिल सियासी और आर्थिक स्थिति (economic condition) से ध्यान बंटाने के लिए ही पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो (Foreign Minister Bilawal Bhutto) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) पर आपत्तिजनक टिप्पणी की। विभिन्न मोर्चों पर भारत (India) से हो रही तुलना और जनता के बढ़ते दबाव के चलते ध्यान बंटाने की कोशिश हो रही है। जानकारों का कहना है कि इमरान खान का अपनी दो प्रांतीय सरकारों को बलि चढ़ाने का दांव पाकिस्तान के मौजूदा संकट को चरम पर पहुंचा सकता है। पाकिस्तान में बढ़ती महंगाई, कर्ज का बोझ और अराजकता की हालत से भारत भी सतर्क है।

कूटनीतिक जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान में जिस तरह के हालात हैं उससे भारत विरोधी ताकतें और आतंकी गुट भी बेलगाम हो सकते हैं। हालांकि, कर्ज के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के आगे गिड़गिड़ा रही पाकिस्तानी हुकूमत गंभीर पशोपेश में है, क्योंकि एक गलत कदम इसकी हालत को बद से बदतर बना सकता है। एक पूर्व राजनयिक ने कहा कि मौजूदा पाकिस्तान सरकार सीमित इलाको में सिमटी हुई है।


प्रांतीय सरकारों में इमरान खान का दबदबा है। ऐसे में खैबर पख्तूनख्वा और पंजाब में सरकार भंग करने के इमरान के दांव का मतलब है पाकिस्तान में 66 फीसदी असेंबली सीटें खाली हो जाएंगी। इससे पाकिस्तान में राजनीतिक संकट बड़ा हो जाएगा। पूरी लोकतांत्रिक व्यवस्था चरमरा जाएगी। तुरंत चुनाव की मांग कर रहे इमरान इस दांव से बड़ा दबाव बनाने में सफल होंगे। लेकिन जानकार मानते हैं पाकिस्तानी सेना की भूमिका को नजरंदाज करना मुश्किल होगा। हाल ही में पाकिस्तान में नए सेना अध्यक्ष बने हैं। मौजूदा सरकार उनसे अच्छा रिश्ता बनाकर चल रही है। ऐसे में अगर सेना ने कोई कदम उठाया तो हालात अप्रत्याशित रूप से बदल सकते हैं।

जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान की महंगाई, खस्ता आर्थिक हालत और बदइंतजामी के चलते राजनीतिक चर्चा में भारत को लेकर बाते हो रही हैं। वहीं आम लोग भी भारत की तुलना में कई गुना महंगाई को मुद्दा बना रहे हैं। बाढ़, कोविड, राजनीतिक अस्थिरता और वित्तीय कुप्रबंधन की वजह से संकट में फंसे पाकिस्तान की हालत बिगड़ती जा रही है। आर्थिक संकट पाकिस्तान की मौजूदा सरकार को इमरान के आगे झुकने पर मजबूर कर सकता है। ऐसे में भारत विरोधी बयान और कश्मीर को लेकर पाकिस्तानी हुक्मरानों की बयानबाजी तेज हो सकती है।

सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान में जारी मौजूदा अस्थिरता की वजह से ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ बातचीत लगातार टल रही है। कर्ज की अगली किस्त को लेकर ये बातचीत नवंबर में ही होनी थी। लेकिन राजनीतिक अस्थिरता की वजह से आर्थिक मदद देने से पहले दूसरी अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाएं भी आईएमएफ की हरी झंडी का इंतजार कर रही हैं। जानकार मानते हैं कि निरंतर राजनीतिक टकराव की वजह से देश की पूरी व्यवस्था कमज़ोर हो चुकी है, लेकिन राजनीतिक टकराव में कमी आने के कोई संकेत नहीं दिख रहा। पाकिस्तान के लिए गंभीर बात यह भी है है कि मौजूदा हालात में पाकिस्तान को कोई राहत मिलती नजर नहीं आती।

पिछले महीने ही सैयद असीम मुनीर अहमद शाह पाकिस्तान के नए सेना प्रमुख बने थे। उन्होंने कमान संभालते ही कहा था कि भारत को मुंहतोड़ जवाब देंगे। जानकार कह रहे हैं अब शहबाज शरीफ और बिलावल भारत के खिलाफ बोलकर अपनी वफादारी दिखाएंगे। बिलावल का बयान भी इसी कड़ी में देखा जा सकता है और इन सबके मूल में वहां की आंतरिक स्थिति है।

पाकिस्तान में मुश्किल से छह अरब डॉलर विदेशी मुद्रा भंडार है। इससे कुछ हफ्तों तक ही आयात बिल चुकाया जा सकता है। पाक सरकार देश के भीतर हर मोर्चे पर नकाम हो रही है। ऐसे में जनता को खुश करने के लिए ध्यान बंटाने के कई फॉर्मूले सामने आ सकते हैं। फिलहाल भारत को पूरी तरह से सतर्क निगाह बनाए रखना होगा। गौरतलब है कि पाकिस्तान सरकार ने इमरान खान और उनकी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ की तत्काल चुनाव कराने की मांग को खारिज कर दिया है। सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) ने कहा कि चुनाव केवल अगस्त 2023 में होंगे जब सरकार अपना कार्यकाल पूरा कर लेगी। लेकिन, इमरान दबाव बनाए हुए हैं।

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