विदेश

आतंक के मुद्दे पर एक बार फिर झूठा साबित हुआ Pakistan


संयुक्त राष्ट्र । पाकिस्तान में ही रहकर उन्हीं पर हमले करने वाले आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) व बलूचिस्तान में सक्रिय विद्रोही संगठनों को बार-बार भारत पोषित होने का आरोप लगाने वाला पड़ोसी देश एक बार फिर झूठा साबित हुआ है। अपने आरोपों के समर्थन में पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) को डोजियर भी सौंपा था, लेकिन यूएन की विश्लेषणात्मक सहयोग व प्रतिबंध निगरानी टीम की 27वीं रिपोर्ट में पाकिस्तान के आरोपों को कोई तवज्जो नहीं दी गई है। इसे पाकिस्तान के मुंह पर करारे तमाचे की तरह देखा जा रहा है।

हालांकि रिपोर्ट के पैराग्राफ संख्या 68 में इतना अवश्य कहा गया है कि टीटीपी और उससे अलग हुए गुट दोबारा एकजुट हो गए हैं। यह एकता अफगानिस्तान में आयोजित बैठक में अंजाम तक पहुंची और इन गुटों के आपस में एक होने के पीछे अलकायदा की अहम भूमिका रही है। बता दें कि पाकिस्तान की तरफ से इन गुटों के आपस में एक होने की प्रक्रिया भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ की कोशिशों से पूरी होने का आरोप लगाया जाता रहा है। लेकिन यूएन की रिपोर्ट इसके उल्टी ही बात कह रही है।


तीन फरवरी को जारी इस रिपोर्ट में कहा गया कि सदस्य देशों ने अलकायदा और तालिबान के आपसी संबंधों में अहम बदलाव के कम सबूत उपलब्ध कराए हैं। अलकायदा का आकलन है कि अफगानिस्तान में उसका भविष्य तालिबान के साथ नजदीकी संबंधों के साथ-साथ तालिबानी सैन्य अभियानों के देश में सफल होने पर निर्भर है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि सभी जानते हैं टीटीपी ने बहुत समय पहले ही अफगान तालिबान के प्रति वफादारी की कसम ली थी। ऐसे में टीटीपी के अंदर अलगाव को अलकायदा की तरफ से खत्म कराने का प्रयास पूरी तरह समझ में आने लायक तथ्य है।

उधर,सात फरवरी को पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस वार्ता में यूएन रिपोर्ट को पाकिस्तानी दावों की पुष्टि वाला बताया है। हालांकि पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने रिपोर्ट में भारत को लेकर उसके दावों को झुठलाए जाने पर कोई टिप्पणी नहीं की है। इसके बजाय मंत्रालय ने कहा, रिपोर्ट पाकिस्तान के लंबे समय से किए जा रहे दावों को साबित कर रही है कि इस क्षेत्र और पाकिस्तान को टीटीपी, जेयूए, एचयूए और अफगानिस्तान में मौजूद उनके सहयोगियों की तरफ से खतरा है।

कब-कब लगाए झूठे आरोप
अक्तूबर 2020 : पाकिस्तानी पीएम इमरान खान के विशेष सहायक मोइद यूसुफ ने एक भारतीय ऑनलाइन प्लेटफार्म को दिए इंटरव्यू में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) का चार अन्य अलगाववादी संगठनों के साथ विलय कराने के पीछे भारत का हाथ होने का आरोप लगाया। उन्होंने इसके लिए अगस्त, 2019 में भारतीय दूतावास की तरफ से 10 लाख डॉलर से ज्यादा की रकम खर्च करने का भी आरोप लगाया।

नवंबर, 2020 : पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने दावा किया था कि पाकिस्तान अपने यहां आतंकवाद फैलाने में भारत का हाथ होने का डोजियर तैयार कर रहा है। उन्होंने भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ पर अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास के जरिये टीटीपी कमांडरों के साथ बहुत सारी बैठकें करने और हथियार व गोला-बारूद उपलब्ध कराने का आरोप भी लगाया।

नवंबर, 2020 : संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तानी राजदूत मुनीर अकरम ने यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरस को डोजियर सौंपा था, जिसमें भारत पर दो प्रतिबंधित आतंकी समूहों टीटीपी व जेयूए की मदद करने का आरोप था।

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