आचंलिक

पंचाक्षर से सारी बाधाएं दूर होती है : भार्गव

गंजबासौदा। पंडित भार्गव ने शिवपुराण की कथा में कामदेव उत्पत्ति और संध्या चरित्र का वर्णन करते हुए कहा मनुष्य मात्र को संध्या करना क्यों आवश्यक है। पूर्व काल में जब ब्रह्मा जी ने मन कामना काम को उत्पन्न किया उसी समय संध्या नामक एक कन्या भी प्रकट हो गई ब्रह्मा जी ने कामदेव को वरदान दिया था कि तुम्हारे काम बाणो का प्रभाव मेरे द्वारा रचित समस्त समस्त सृष्टि को प्रभावित करेगा। ब्रह्मा जी का वरदान प्राप्त करके कामदेव ने अपने काम बाणों का प्रयोग ब्रह्मा जी दक्ष आदि भाइयों पर कर दिया। जिससे उन सब में काम विकार उत्पन्न हो गया तब धर्म ने परमेश्वर महादेव को पुकारा भगवान शंकर जी ने प्रकट होकर ब्रह्मा जी को अनेक वचनों से समझाया।


ब्रह्मा जी ने काम पर क्रोधित होकर काम को श्राप दे दिया कि तुम अपनी माया का प्रयोग भगवान शंकर पर करोगे तब उनके तीसरे नेत्र द्वारा तुम भस्म हो जाओगे। काम के प्रार्थना करने पर शिव विवाह के समय तुम पुनर्जीवित हो ऐसा संशोधन भी कर दिया। इधर संध्या ने जिस देह से भाई और पिता मोहित हो गए ऐसी देह का त्याग करना ही श्रेष्ठ समझा है ऐसा विचार करके वन को गई इधर ब्रह्मा जी ने अपनी पुत्री के पीछे वशिष्ठ ऋषि को भेजा और उन्हें पंचाक्षर मंत्र का उपदेश दिलाया जिस पंचाक्षर मंत्र के जाप से भगवान शंकर जी को प्रसन्न किया भगवान शंकर जी ने प्रकट होकर उन्हें वरदान मांगने को कहा वरदान में संध्या ने समस्त संसार के कल्याण की कामना के लिए वर मांगा। इस प्रकार संध्या ने संसार के कल्याण के लिए मेधातिथि की अग्नि में से कन्या रूप में प्रकट हुई ऋषियों में श्रेष्ठ वशिष्ठ को उन्होंने पति रूप में प्राप्त किया।

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