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डायलिसिस के लिए रात भर भटकता रहा मरीज, अस्पताल ने नियम का हवाला देकर झाड़ा पल्ला

भिंड: भिंड जिले के किडनी मरीजों को मूल बहुत सुविधा के लिए भी तरसना पड़ रहा है. स्थानीय मरीज सरकारी अस्पताल में डायलिसिस के लिए यहां के भरोसे रहते है, लेकिन डायलिसिस के लिए यहां उनको कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. इस सरकारी अस्पताल में गंभीर मरीज को भी भर्ती करने के लिए डॉक्टर से रहम की भीख मांगकर भी इलाज मिलना मुश्किल होगा. इसका एक उदाहरण शहर में देखने को मिला. भिंड जिले के जिला अस्पताल में एक मरीज हाई बीपी में डायलिसिस के लिए इधर-उधर रहम की भीख मांगता रहा लेकिन डॉक्टर को रहम तक नहीं आया.


भिंड जिले के सरकारी अस्पताल में डायलिसिस की मशीन मौजूद है, लेकिन सुविधा के नाम पर भगवान भरोसे चल रही है. यहां गंभीर मरीज को भी ना पलंग मिलेगा और ना ही कोई सुविधा. जिला अस्पताल में सुविधा तो सभी हैं लेकिन लेने के लिए आपको सिफारिश लगानी पड़ेगी. इसका जीता जागता उदाहरण देर रात को देखने को मिल जाएगा. इधर सिविल सर्जन अनिल गोयल का कहना है कि जिला अस्पताल में डायलिसिस कराने वाले मरीजों को कुछ प्रोसिस से गुजरना पड़ता है. उसे पूरा करना होता है. अगर सीरियस मरीज है उसे तुंरत इलाज दिया जाता है.

भिंड जिला अस्पताल में रात के स्टाफ नही होने की वजह से समय पर मरीज को इलाज नही मिल पाया. दरअसल तीन दिन पहले ckd के मरीज अमित शर्मा की अचानक तबीयत बिगड़ गई और उसे परिजनों ने जिला अस्पताल में डायलिसिस के लिए लाए. जैसे ही मरीज अस्पताल में पहुंचा यहां डॉक्टर ने डायलिसिस करने से मना कर दिया. ऐसे में डॉक्टर ने बीपी नापा तो हाई बीपी हो चुका था. करीबन दो घण्टे डायलिसिस के लिए इधर उधर गुहार लगाता रहा लेकिन किसी ने नही सुनी.

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