विदेश

शंघाई में लोगों का अपार्टमेंट में रहना हुआ मुश्किल, कोरोना के केस आते ही ‘दुश्‍मन’ बन रहे पड़ोसी


बीजिंग। चीन में कोरोना वायरस (Corona Virus in China) के मामले बढ़ रहे हैं। इसी के साथ लॉकडाउन के तनाव ने शंघाई में निवासियों के बीच पैदा हुई दूरी को सामने ला दिया है। इस मुसीबत की घड़ी में जहां एक तरफ सभी को एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए, इसके उलट, युवा बूढ़ों के सामने, स्थानीय लोग बाहरी और सबसे बढ़कर कोरोना पॉजिटिव कोरोना निगेटिव के खिलाफ खड़े दिखाई दे रहे हैं। शंघाई के 2.5 करोड़ लोगों में से ज्यादातर लोग अपार्टमेंट बिल्डिंगों में रहते हैं।

कोरोना वायरस के प्रसार के दौरान तब लोगों में नए सांप्रदायिक बंधन बने जब लोगों ने आपस में सामान के बदले सामान लिया, समूह में खरीदारी की और भोजन के काउंटर लगाए। लेकिन करीब चार सप्ताह के बाद भी लॉकडाउन के खत्म होने की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है, जिसके बाद लोगों में निराशाएं भी देखने को मिली हैं, जो अक्सर वी चैट ग्रुप में दिखते हैं।

एक विवाद तब देखने को मिला जब एक महिला को केंद्रीय क्वारंटाइन सेंटर ले जाया गया था, जहां उसकी रिपोर्ट निगेटिव आई। महिला ने अपने पड़ोसी पर अधिकारियों से उसकी रिपोर्ट करने का आरोप लगाया। वीचैट ग्रुप में कोरोना टेस्ट के परिणामों को साझा करना और पॉजिटिव मामलों के बारे में खुल कर बताना कोई नया नहीं है। महिला ने नाम बताने से इनकार करते हुए कहा, “ग्रुप चैट में वो पूछ रहे थे कि क्या कोविड पॉजिटिव लोग अभी भी यहाँ हैं?”

बिल्डिंग मैनेजमेंट दिखा रहा मनमाना रवैया
एक अमेरिकी नागरिक के भी मिक्स्ड रिजल्ट आने के बाद उसे क्वारंटीन में भेजने की बात कही गई थी। उसने जब एक समूह के साथ कोरोना जांच कराई तो उसके साथ-साथ तीन अन्य लोगों के भी मामले पॉजिटिव आए, जिसके बाद उन्हें क्वारंटीन में भेजा गया, लेकिन जब उसने घर पर कोरोना जांच की तो वह निगेटिव आया।


एक अन्य विदेशी नागरिक को भी अपार्टमेंट के लोगों ने सिर्फ इसलिए पॉजिटिव बता दिया, क्योंकि उसकी जांच रिपोर्ट उसके हेल्थ एप पर अपलोड न हो सकी। बिल्डिंग के मैनेजमेंट ने उसके परिवार की सभी जरूरी चीजें, यहां तक भोजन डिलीवरी तक को ब्लॉक कर दिया था। हालांकि जब उन्होंने घर पर किए टेस्ट को बिल्डिंग मैनेजमेंट को दिखाया तब जाकर उनकी सारी जरूरतों की आपूर्ति फिर शुरू हो सकी।

विदेशियों के खिलाफ हो रही टिप्पणी
इन बिल्डिंगों में रहने वाले उम्रदराज लोग एक भी मामले के प्रति संवेदनशील हैं, जिसके कारण कोरोना के केस सामने आते ही वह अधिकारियों से उसे कंपाउंड से बाहर करने को कहते हैं। बिल्डिंग में रहने वाले एक व्यक्ति ने कहा, “बीमारी को लेकर मीडिया में बहुत बढ़ा-चढ़ा कर बताया गया है। क्योंकि बूढ़े लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है इसलिए वह युवाओं की तुलना में वायरस से ज्यादा डरते हैं।”

कुछ लोगों तो क्वारंटीन सेंटर से निकलने के बाद उनके घरों में घुसने से मना कर दिया गया, और उन्हें होटलों में ठहरने को कहा गया है। पॉजिटिव पाई गई एक अन्य विदेशी महिला ने कहा कि वह क्वारंटीन सेंटर जाने की जगह अपने अपार्टमेंट में ही थी, लेकिन उसके पड़ोसियों ने जबरन उसे वहां से निकलने को कहा। उन्होंने उस तक कोई भी ग्रोसरी का सामान पहुंचने नहीं दिया। बाद में उन्होंने उससे माफी भी मांगने को कहा। एक व्यक्ति ने तो उसे विदेशी कचरा तक कह डाला, वहीं कुछ लोगों ने उसकी मानसिक स्थिति को लेकर अफवाहें फैलाईं।

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