भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

दंगा प्रभावितों को मना रहे संघ और विहिप के लोग, ‘घर छोड़कर मत जाओ’

  • खरगोन के प्रभावित इलाकों में घरों के बाहर लिखा ‘यह मकान बिकाऊ है’

भोपाल। हाल ही में रामनवमी पर खरगोन में हुए दंगों की आग अब पूरी तरह से बुझ चुकी है, लेकिन जख्म अभी भी सुलग रहे हैं। प्रभावित इलाकों में लोग अभी भी दहशत में हैं। कुछ परिवार घर बेचकर सुरक्षित जगह जाना चाहते हैं। घरों के बाहर अभी भी यह मकान बिकाऊ हैं,लिखा हुआ है। ऐसे परिवारों के बीच राष्ट्रीय स्वयं संघ और विश्व हिन्दु परिषद के लोग भी पहुच रहे हैं और उन्हें घर छोड़कर जाने का फैसला बदलने की गुहार लगा रहे हैं। पीडि़तों से उन्हें एक ही जवाब मिल रहा है कि अबकी तो बच गए फिर दंगा हुआ तो कौन बचाने आएगा।



खरगोन में 46 वर्षों में चार दंगे झेले हैं। पथराव, पेट्रोल बम का सामना करने वाले 30 से ज्यादा परिवारों की हिम्मत दो दंगों में जवाब दे गई और उन्होंने मकान बेच दिए। इनमें बहुसंख्यक लोग ज्यादा हैं। इस बार हुए दंगे के बाद भी प्रभावित इलाकों के 20 से ज्यादा मकानों के बाहर ‘मकान बेचना हैÓ लिखा है। मकानों के सौदे के बोर्ड सबसे ज्यादा संजय नगर में लगे हुए हैं। यहां पिछले साल भी दो पक्षों में विवाद के बाद पथराव हुआ था, हालांकि तब कफ्र्यू नहीं लगा था और सात मकान बस्ती में बिक गए थे। ज्यादातर मकान मुस्लिम परिवारों ने ही खरीदे, क्योंकि दूसरे खरीददार नहीं मिले। 2015 में भी यहां दंगों के दौरान हालात बिगड़े थे और कई लोग मकान बेचकर सुरक्षित स्थानों पर रहने चले गए थे। अब ऐसे परिवारों से विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल जैसे संगठनों के कार्यकर्ता संपर्क कर निर्णय बदलने की कवायद करने में लगे हैं।

दंगाईयों ने हर बार घरों को बनाया निशाना
1992 का दंगा हो या 2015 का। हर बार दंगाइयों ने मकान को नुकसान पहुंचाया। बस्ती के ही कुछ लोग चाहते हैं कि वे मकान औने-पौने दामों पर बेच कर चले जाएं, लेकिन हम ऐसा नहीं करना चाहते तो हमें दंगों के समय नुकसान उठाना पड़ता है। इस बार तो दंगाइयों ने हद ही कर दी। हमारे मकान को आग के हवाले कर दिया। काजीपुरा के माली परिवार ने इस दंगे के पहले मकान बेच दिया। बस्ती वालों ने बताया कि आए दिन घर पर पत्थर फेंके जाते थे। कई बार उसकी शिकायत भी की, लेकिन हल नहीं निकला। उन्होंने बहुत सस्ती कीमत में मकान बेच दिया। इसी मोहल्ले में चार मकानों को पूरी तरह जला दिया गया। वे परिवार भी घर छोड़कर जा चुके हैं।

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