वॉशिंगटन। कोविड-19 की रोकथाम के लिए उठाए गए कदमों और बिगड़ते वैश्विक संबंधों के कारण उत्तर कोरिया आज वैश्विक समुदाय से जितना अलग-थलग नजर आ रहा है उतना पहले कभी नहीं रहा। इस स्थिति का ‘देश के अंदर लोगों के मानवाधिकारों पर भी जबर्दस्त असर पड़ा है।’
अलग-थलग उत्तर पूर्व एशियाई देश पर संयुक्त राष्ट्र के एक स्वतंत्र जांचकर्ता ने शुक्रवार को यह टिप्पणी की। टॉमस ओजिया क्विंटाना ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की मानवाधिकार समिति को और पूर्व में किए गए प्रेस कान्फ्रेंस में बताया कि उत्तर कोरिया में खाने का संकट है और लोगों की आजीविका पर असर पड़ा है जिससे बच्चे और बुजुर्गों के लिए भुखमरी का खतरा है।
आत्महत्या और पलायन कर रहे लोग
उन्होंने कहा कि कोविड-19 की रोकथाम के लिए डीपीआरके की सरकार के इस आत्मघाती कदम के कारण लोग आत्महत्या कर रहे हैं और देश से पलायन कर रहे हैं। डीपीआरके में मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष जांचकर्ता के तौर पर छह साल बाद महासभा को अपनी अंतिम रिपोर्ट में क्विंटाना ने कहा, “आवाजाही की स्वतंत्रता पर पाबंदी और राष्ट्रीय सीमाओं को बंद करने से बाजार की गतिविधि बाधित हो गई है जो लोगों के लिए भोजन सहित बुनियादी आवश्यकताओं तक पहुंच बनाने के लिए बेहद जरूरी है।’
बाइडन प्रशासन पर उत्तर कोरिया का आरोप
उत्तर कोरिया ने शनिवार को बाइडन प्रशासन पर आरोप लगाया कि वह बिना सोचे समझे ताइवान का समर्थन करके चीन के साथ सैन्य तनाव बढ़ा रहा है। उसने कहा कि क्षेत्र में अमेरिका की बढ़ती सैन्य उपस्थिति उत्तर कोरिया के लिए संभावित खतरा उत्पन्न कर रही है। सरकारी मीडिया में उत्तर कोरिया के उप विदेश मंत्री पाक म्यांग हो के हवाले से कहा गया कि उन्होंने ताइवान जलडमरूमध्य में युद्धपोत भेजने और ताइवान को आधुनिक हथियार प्रणाली एवं सैन्य प्रशिक्षण देने पर अमेरिका की आलोचना की है।