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प्राइवेट स्कूल बंद कर सकते हैं ऑनलाइन क्लासेज, 15 लाख स्टूडेंट्स पर पड़ेगा असर


नई दिल्ली। कोविड-19 के दौरान प्राइवेट स्कूलों के लिए फीस बड़ा मसला बन चुका है। महीनों से काफी स्टूडेंट्स से फीस नहीं मिलने की वजह से अब कई स्कूलों का कहना है कि बिना फीस लिए ऑनलाइन क्लासेज चलाना बहुत मुश्किल है। दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल असोसिएशन ने बुधवार को फैसला लिया कि उससे जुड़े स्कूल भी अब राजस्थान की तर्ज पर ऑनलाइन क्लासेज नहीं पढ़ाएंगे। बाकी स्कूल असोसिएशन भी इस मसले पर विचार कर रही हैं। इस संबंध में दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों के बड़े असोसिएशन-अनऐडेड रिकग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल्स की एक्शन कमिटी की 9 नवंबर को मीटिंग है।

प्राइवेट स्कूलों का कहना है कि पिछले 6-7 महीनों से ज्यादातर पैरंट्स से उन्हें फीस नहीं मिल रही है। कोविड के बीच दिल्ली सरकार ने प्राइवेट स्कूलों से ट्यूशन फीस के अलावा बाकी चार्ज लेने पर भी पाबंदी लगाई है। दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल असोसिएशन के प्रेजिडेंट आर. सी. जैन का कहना है कि जल्द ही असोसिएशन से जुड़े स्कूल ऑनलाइन क्लासेज बंद करेंगे। जब टीचर्स को सैलरी ही नहीं दे पा रहे हैं, तो उन्हें अब कितने दिन ऑनलाइन क्लासेज जारी रखने के लिए कहा जा सकता है। 6-7 महीने से ज्यादातर समय से पैरंट्स फीस देने से बच रहे हैं। जैन का दावा है कि ऑनलाइन क्लासेज बंद करने के फैसले से 80% स्कूलों के 15 लाख स्टूडेंट्स की पढ़ाई पर असर पड़ेगा।

हालांकि, अनऐडेड रिकग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल्स की एक्शन कमिटी के सेक्रेटरी भरत अरोड़ा का कहना है, इस मसले पर 9 नवंबर को एक्शन कमिटी की कई स्कूल असोसिएशन के साथ मीटिंग होगी। स्कूलों को मिल रही फीस को देखते हुए एक्शन कमिटी फैसला लेगी कि ऑनलाइन क्लासेज जारी रखी जाएं या नहीं। वैसे, हमारे सर्वे के मुताबिक डीडीए लैंड पर बने स्कूलों को 50% से लेकर 70% स्टूडेंट्स से और प्राइवेट लैंड वाले स्कूल और दूरदराज के स्कूलों को 20-25% पैरंट्स से ही ट्यूशन फीस मिल रही है।

प्राइवेट लैंड पब्लिक स्कूल्स ट्रस्ट के नैशनल जनरल सेक्रेटरी चंद्रकांत सिंह कहते हैं कि 7 नवंबर को हमारी मीटिंग है। हो सकता है कि हम भी ऑनलाइन क्लासेज बंद करने या नवंबर में आंदोलन को लेकर फैसला लें। फीस नहीं आएगी तो ऑप्शन ही क्या है? सरकार को शिक्षा के लिए आर्थिक मदद देनी चाहिए, चाहे गरीब बच्चों की फीस भरकर ही।

सरकार दे पेंडिंग खर्च, तो मुश्किल होगी कम
प्राइवेट स्कूल असोसिएशंस का यह भी कहना है कि अगर प्राइवेट स्कूलों में ईडब्ल्यूएस/डीजी (इकनॉमिकली वीकर सेक्शन/डिसएडवांटेज ग्रुप) कैटिगरी के स्टूडेंट्स की फ्री पढ़ाई के लिए सरकार पेंडिंग फंड अगर जारी कर दे, तो आधे से ज्यादा स्कूलों की अभी की परेशानी कम हो जाएगी। इसे लेकर मंगलवार को एक्शन कमिटी ने शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों से मुलाकात भी की। एक्शन कमिटी के सेक्रेटरी भरत अरोड़ा कहते हैं कि सरकार जल्द बकाया 90 करोड़ का ईडब्ल्यूएस रीइम्बर्स्मेन्ट जारी कर दे तो कई स्कूलों की मुश्किलें आसान होंगी। यह राशि सैंक्शन हो गई है। सरकार ने सितंबर में 2018-20 के लिए स्कूलों को बकाया 150 करोड़ रुपये जारी किए थे, जिससे कई स्कूलों को कुछ राहत मिली।

एफोर्डेबल प्राइवेट स्कूल्स असोसिएशन (एप्सा) के प्रेजिडेंट लक्ष्य छाबड़िया कहते हैं कि ऑनलाइन क्लासेज बंद करने पर हमने कोई फैसला नहीं लिया है। मगर सरकार को स्कूलों को पिछले कई साल से बकाया ईडब्ल्यूएस कोटे का बकाया करीब 450-500 करोड़ रुपए तुरंत जारी करना चाहिए, जिससे कि महामारी के दौरान भी ये खड़े रह सकें। बजट स्कूलों की हालत फीस ना मिलने से बदतर हो चुकी है।

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