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कलाकारों एवं शिल्पकारों का प्रोत्साहन समाज की जिम्मेदारीः राज्यपाल

– स्व-सहायता समूहों के उत्पाद खरीदने के लिए आगे आएं नागरिक : मंगुभाई पटेल

भोपाल। राज्यपाल मंगुभाई पटेल (Governor Mangubhai Patel) ने कहा कि कलाकृतियाँ दिल, दिमाग और हाथ के समन्वय का चमत्कार होती हैं। सृजित उत्पाद ईश्वर की कृपा का परिणाम होता है। कलाकार और शिल्पकारों का प्रोत्साहन (Promotion of Artists and Craftsmen) समाज की जिम्मेदारी (society’s responsibility) है। दीपावली उत्सव (Diwali festival) पर कलात्मक उत्कृष्टता (artistic excellence) के निर्मल गुणवत्तापूर्ण उत्पादों (quality products) के क्रय का अवसर नगरवासियों के लिए सौगात है। उन्होंने भोपाल के नागरिकों का आह्वान किया कि वे स्वयं मेले में खरीदारी करें। साथ ही दूसरों को स्व-सहायता समूहों के उत्पाद क्रय करने के लिए प्रेरित भी करें।

राज्यपाल पटेल शुक्रवार को हाट बाजार में उमंग-2K22 राष्ट्र स्तरीय प्रदर्शनी-सह-बिक्री के उद्घाटन के बाद संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हुनर, हिम्मत और हौसलों के साथ देश के 20 से अधिक राज्य से आए स्व-सहायता समूहों के अधिक से अधिक उत्पादों को क्रय किया जाए। यह हर दृष्टि से लाभकारी है। मेले में उपलब्ध विभिन्न राज्यों के मिलावट रहित, उत्कृष्ट गुणवत्ता के उत्पाद बड़े प्रतिष्ठानों की तुलना में कम कीमत पर मिलेंगे।


उन्होंने कहा कि राष्ट्र स्तरीय प्रदर्शनी-सह-बिक्री के आयोजन में आशा और अपेक्षा के साथ आए स्व-सहायता समूहों के शिल्पकार और कारीगरों को प्रोत्साहन मिलेगा। सतत आजीविका प्राप्त होगी। गाँवों में खुशहाली आएगी। उन्होंने प्रदर्शनी-सह-बिक्री के आयोजन अवधि में नगर में मेले की जानकारी के नियमित प्रचार-प्रसार की आवश्यकता बताई। राज्यपाल ने मेला में विभिन्न स्टॉलों का भ्रमण कर उत्पादों की जानकारी ली।

उन्होंने मेला में मंडला जिले की बैगा जनजाति के 12 महिला समूह की ओर से रामबाई, सुकृतिबाई को 45 लाख रुपये एवं शिवपुरी जिले की सहरिया जनजाति के 12 महिला स्व-सहायता समूह के लिए रामवति और राजकुमारी को 36 लाख रुपये के प्रतीकात्मक चेक भेंट किए।

राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के संयोजक तरसेम सिंह जीरा ने कहा कि स्थानीय संसाधनों के अधिकतम दोहन द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मज़बूती में स्व-सहायता समूह का महत्वपूर्ण योगदान है।

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के मुख्य महा प्रबंधक विनोद कुमार मिश्रा ने कहा कि मेला के आयोजन से उपभोक्ता तक उच्च गुणवत्ता के उत्पाद पहुँचते हैं। स्व-सहायता समूहों में आत्म-विश्वास, उद्यमिता और गुणवत्ता के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ती है। मेला रूरल इकोसिस्टम के लिए मील का पत्थर है।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के क्षेत्रीय निदेशक नीरज निगम ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मज़बूती के लिए स्व-सहायता समूहों के वित्त-पोषण को निरंतर बढ़ाने पर बल दिया।

नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक निरूपम मेहरोत्रा ने बताया कि स्व-सहायता समूहों के उत्पादों के विपणन में सहयोग के लिए रूरल हॉट, रूरल मार्ट के साथ ही जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैगिंग में भी नाबार्ड सहयोग कर रहा है। मेला में 20 राज्य के स्व-सहायता समूह के 100 स्टॉल लगे हैं। (एजेंसी, हि.स.)

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