भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

केन बेतवा लिंक परियोजना में बरियापुर में नया बांध बनाने का प्रस्ताव

  • 115 साल पुराने बांध व नहरों को नए सिरे से बनाकर बढ़ेगी जलभराव व सिंचाई क्षमता

भोपाल। केन-बेतवा लिंक परियोजना के तहत छतरपुर के बरियारपुर बांध से निकली नहरों व पुराने बांध का कायाकल्प होगा। इस पर करीब साढ़े चार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। उत्तरप्रदेश सिंचाई विभाग ने शासन को प्रस्ताव भेजा है। ढोढऩ बांध से बरियारपुर हेड में बैराज बनाकर जो पानी स्टोर होगा, इससे किसानों को पूरे साल सिंचाई के लिए पानी मिलेगा। करीब 221 किलोमीटर लंबी नहर से 62 लाख लोगों को पेयजल मिलेगा और 10.62 हेक्टेअर क्षेत्र में सिंचाई होगी। इतना ही नहीं इस बैराज में 10.3 मेगावाट बिजली बनेगी। जबकि 27 मेगावाट सौर ऊर्जा तैयार होगी।
केन नदी में रनगवां बांध के अलावा दो बीयर बरियारपुर और गंगऊ बने हैं। लेकिन यह करीब ब्रिटिश शासन काल में बनाए गए ते। केन-बेतवा लिंक परियोजना के जरिए एक बार फिर ये बांध व नहरें किसानों के लिए उपयोगी साबति होंगी। परियोजना के तहत अब केन नदी में बरियारपुर के पास बैराज बनेगा। इसमें बारिश का पानी स्टोर होगा। सिंचाई विभाग प्रखंड तृतीय ने साढ़े चार करोड़ रुपए का शासन को प्रस्ताव भेजा है। बरियारपुर हेड जीरो किलोमीटर से पनगरा टेल तक मुख्य नहर का कायाकल्प किया जाएगा। उत्तर प्रदेश के चार जिले इससे लाभान्वित होंगे। मुख्य नहर के कायाकल्प में पूरे नहर पक्की की जाएगी। करण होगा ताकि बानी बर्बाद न हो। नहर की पूरी सड़क पर सीसी रोड निर्माण होगा। माइनर आदि का कार्य किया जाएगा। बीयर हाइड्रोलिक लगाया जाएगा।


सिंचाई विभाग ने मरम्मत रोकी
इधर, सिंचाई विभाग की टेक्निकल कमेटी ने 115 वर्ष पुराने बरियारपुर बांध की मरम्मत करने से हाथ खड़े कर दिए हैं। कमेटी ने केंद्रीय जल आयोग को भेजी रिपोर्ट में कहा है कि इसकी मरम्मत कराना खतरे से खाली नहीं है। इसकी क्षमता घटती जा रही है। अब डाउन स्ट्रीम पर नया बांध बनाने की जरूरत है। इसके लिए प्रस्ताव भेजा है। बरियारपुर बांध की क्षमता 12.50 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) है। इससे मुख्य केन नहर निकली है। इसी बांध की मदद से जिले में लगभग 1100 किलोमीटर लंबी नहरों से सिंचाई की जाती है। केन नदी पर लगभग 650 मीटर लंबी दीवार खड़ी है। इसके अंदर सुरंगनुमा आरपार रास्ता है। दीवार के ऊपर 8.23 फीट लंबे, 8 फीट चौड़े और 8 फीट ऊंचे भारी भरकम लोहे के फाटक लगे हैं। इन्हीं को खड़ा करके पानी रोका जाता है। बारिश में जब बांध उफान मारता है, तब इसकी दीवार से लाखों क्यूसेक पानी रात-दिन भारी प्रेशर के साथ बहता है।

केंद्रीय जल आयोग की टीम करेगी सर्वे
बरियारपुर बांध काफी जर्जर हो गया है। विभाग मरम्मत के नाम पर हर साल लाखों रुपए खर्च करता है। केन-बेतवा परियोजना के तहत इस बांध को भी नया बनाने के लिए रिपोर्ट केंद्रीय जल आयोग को भेजी गई है। अब केंद्रीय जल आयोग की टीम कभी भी बांध का सर्वे करने आ सकती है। नया बांध बनने से पानी के भंडार की क्षमता बढ़ेगी। फाटक भी ज्यादा लंबे चौड़े बनेंगे। बारिश का पानी बर्बाद नहीं होगा। फाटक खोलने बंद करने में दिक्कत नहीं आएगी। मौजूदा बांधों में फाटक खड़े करने या गिराने के लिए कर्मचारी व मजदूरों को काम कम करना पड़ेगा।

इनका कहना है
नहर और बरियारपुर वीयर का प्रपोजल तैयार कर दो माह पहले शासन को भेजा जा चुका है। उम्मीद है कि जल्द ही धनराशि स्वीकृत हो जाएगी। पहली किस्त आते ही सितंबर या अक्टूबर माह से काम शुरू होने की संभावना है। सब कुछ ठीक रहा तो दो वर्ष के अंदर परियोजना धरातल पर नजर आएगी।
श्यामजी चौबे, अधीक्षण अभियंता, सिंचाई विभाग, चित्रकूटधाम मंडल

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