भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

नए अभयारण्य खोलने का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में

  • टाइगर स्टेट में तेजी से बढ़ रही है बाघों की संख्या

भोपाल। टाइगर स्टेट का तमगा मिलने के बाद प्रदेश में शुरू हुई 11 नए अभयारण्य गठन की प्रक्रिया पर पूर्ण विराम लग गया है। राज्य सरकार ने नए अभयारण्यों की जरूरत को सिरे से खारिज करते हुए इस प्रक्रिया को रोक दिया है। इनमें से पांच अभयारण्य के प्रस्ताव कैबिनेट की मंजूरी के लिए जा चुके थे तो शेष छह अभयारण्यों के प्रस्ताव भी लगभग तैयार थे।
पिछले दिनों वन मंत्री विजय शाह ने साफ कहा है कि प्रदेश में कोई नया अभयारण्य नहीं खोला जाएगा। आठ साल के अथक प्रयास के बाद प्रदेश दोबारा टाइगर स्टेट बना है। वर्ष 2018 के बाघ आकलन (टाइगर एस्टीमेशन) में प्रदेश 526 संख्या के साथ देश में पहले स्थान पर रहा है। इसके साथ ही सरकार की जिम्मेदारी भी बढ़ी है। विशेषज्ञों ने साफ कहा था कि बाघों की संख्या बढऩे का मतलब है, ज्यादा निगरानी और बाघों के लिए नए क्षेत्रों का विकास। इसी सलाह पर पूर्ववर्ती कमल नाथ सरकार ने 11 नए अभयारण्यों के गठन का प्रस्ताव तैयार किया था। नाथ सरकार अभयारण्यों के गठन पर आखिरी फैसला ले पाती, इससे पहले ही सरकार गिर गई। हालांकि शिवराज सरकार ने पहले दिन से ही इसे प्राथमिकता में नहीं रखा। बाघ आकलन की रिपोर्ट 2019 में आई थी, तभी विशेषज्ञों ने कहा था कि प्रदेश के नेशनल पार्क और अभयारण्यों में बाघ क्षमता से अधिक हो गए हैं।
ऐसे में नए क्षेत्र तैयार करने होंगे। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बीते नौ महीने में घटी घटनाओं ने विशेषज्ञों की आशंका को सही साबित किया है। ऐसी घटनाएं दूसरे इलाकों में भी घटी हैं। पार्क के बफर क्षेत्र में बाघों ने आधा दर्जन ग्रामीणों को मौत के घाट उतार डाला है। यदि बांधवगढ़ की ही बात करें तो वहां क्षमता 70 बाघों की है और वर्तमान में 124 हैं। इस कारण बाघ बफर क्षेत्र से बाहर निकलकर नजदीक के गांव तक पहुंच रहे हैं।

आमदनी भी बढ़ानी थी
नए अभयारण्यों का गठन सिर्फ बाघों की सुरक्षा के लिए ही नहीं था, बल्कि सरकार को पर्यटन बढ़ाकर आमदनी भी बढ़ानी थी। वर्तमान में प्रदेश में 11 नेशनल पार्क और 24 अभयारण्य हैं, जिनसे हर साल औसतन 27 करोड़ रुपये राजस्व मिलता है। तत्कालीन सरकार ने इसे 200 करोड़ रुपये तक ले जाने का लक्ष्य रखा था। वहीं विश्व प्रसिद्ध धरोहर भीमबेटका और भोजपुर मंदिर से पहुंचने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़ाने के लिए रातापानी अभयारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने का प्रस्ताव भी तैयार किया था।

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