संचालनालय नगर तथा ग्राम निवेश ने जारी किए महत्वपूर्ण आदेश, पहले एक समान नियम लागू कर देने से छोटे शहरों और निगमों में आ रही थीं व्यावहारिक परेशानियां
इंदौर। आगामी मास्टर प्लान (master plan) के लागू ना होने तक शासन ने वृद्धि निवेश क्षेत्र के लिए धारा 16 के प्रावधान इंदौर-भोपाल सहित अन्य शहरों के लिए सालभर पहले लागू कर दिए थे। चूंकि इन बड़े शहरों की तुलना में छोटे शहरों में इन प्रावधानों को लागू करने में व्यवहारिक कठिनाई आ रही थी, जिसके चलते संचालनालय नगर तथा ग्राम निवेश ने एक संशोधित आदेश जारी किया है। इसमें इंदौर-भोपाल में तो धारा 16 के तहत पूर्व में जो प्रावधान लागू किए थे वे यथावत रहेंगे, जिसमें न्यूनतम 10 एकड़ जमीन, सडक़ों की चौड़ाई 12 मीटर से लेकर अन्य अनिवार्यताएं लागू की गई हैं। वहीं देवास, पीथमपुर, जबलपुर सहित अन्य क्षेत्रों के लिए विकास अनुज्ञा के लिए संशोधन किए हैं। यहां तक कि इन शहरों में जो वृद्धि निवेश क्षेत्र है वहां पर कृषि उपयोग में स्वीकार गतिविधियों को ही अनुमति दी जाएगी। हालांकि इंदौर में यह प्रावधान लागू नहीं किया है और भोपाल स्तर पर जो कमेटी बनी है उसने पिछले दिनों आधा दर्जन से अधिक प्रोजेक्टों को मंजूरी भी दी है।
इंदौर का आगामी मास्टर प्लान अधर में है। पहले तो 2035 तक के लिए प्लान की तैयारी की गई और पिछले दिनों भोपाल में हुई मीटिंग में लगभग इस बात पर सहमति बन गई कि अब 2041 के मास्टर प्लान को लागू किया जाएगा। वैसे भी अभी 2025 तक प्लान का अमल में आना संभव ही नहीं है। चूंकि इंदौर के नए प्रस्तावित मास्टर प्लान में 79 गांवों को शामिल किया गया है, जो वृद्धित निवेश क्षेत्र कहलाते हैं और इनमें अनुमतियां नगर तथा ग्राम निवेश की धारा 16 के तहत दी जा रही है। हालांकि धारा 16 की कमेटी की बैठकें भोपाल में होती है, जिसके चलते ढेरों प्रोजेक्ट अधर में भी लटके हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि इंदौर के वृद्धित निवेश क्षेत्र, जिसमें 79 गांव शामिल किए गए उसमें 95 हजार एकड़ जमीन शामिल है, जिसमें से 30 हजार पर नक्शे पहले से मंजूर हैं और 65 हजार एकड़ जमीन फ्रिज हो गई, जिसमें धारा 16 के प्रावधानों के तहत अनुमतियां दी जाना है। अभी संचालनालय नगर तथा ग्राम निवेश के मुखिया मुकेशचंद्र गुप्ता ने एक आदेश जारी किया, जिसमें धारा 16 के संबंध में जबलपुर, देवास, पीथमपुर, मडई निवेश क्षेत्रों में विकास अनुमतियों के लिए आवश्यक न्यूनतम क्षेत्र को नए सिरे से परिभाषित किया है। न्यूनतम क्षेत्रफल ढाई एकड़, तो एप्रोच रोड 12 मीटर चौड़ी, जबकि अन्य निवेश क्षेत्रों में यह न्यूनतम क्षेत्रफल डेढ़ एकड़ से कम नहीं होना चाहिए। हालांकि इस आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि उक्त नए प्रावधान इंदौर-भोपाल को छोडक़र लागू होंगे और यहां के लिए 13.06.2022 को धारा 16 के जो आदेश भिजवाए थे वे यथावत रहेंगे। यानी इंदौर और भोपाल में वृद्धित निवेश क्षेत्र में कृषि उपयोग में जो गतिविधियां मास्टर प्लान में स्वीकार्य है उनके अलावा भी अनुमतियां मिल सकेगी। जबकि अन्य शहरों में यह प्रावधान लागू होगा। अभी कई शहरों के मास्टर प्लान प्रचलन में है इसलिए उक्त आदेश जारी किया गया।
अधूरी योजनाओं को पूरा कराएगा रेरा
मध्यप्रदेश भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) द्वारा ऐसी परियोजनाएँ जो लम्बे समय से अधूरी पड़ी हुई हैं अथवा जिनमें काम बंद है, उन परियोजनाओं को पूरा कराने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। ऐसी परियोजनाएँ, जिनमें निर्माण की समयावधि व्यतीत हो चुकी है और जिनका समय-सीमा विस्तार भी समाप्त हो चुका है, उन्हें पूर्ण कराने के लिए प्राधिकरण द्वारा अधिनियम की धारा 8 में नियमित समीक्षा की जा रही है। प्राधिकरण अध्यक्ष एवं सदस्य ने इंदौर में संभागायुक्त और जिला कलेक्टर के साथ बैठकें की है। प्राधिकरण के सचिव द्वारा रतलाम एवं खण्डवा जिलों में अधूरी परियोजनाओं के संबंध में चर्चा की गई है। बैठकों में ऐसी परियोजनाओं को पूरे किए जाने के लिए स्थानीय स्तर पर सघन प्रयास करने के संबंध में गहन विमर्श हुआ
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