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पंजाब : स्वर्ण मंदिर के म्यूजियम में लगाई गई पूर्व मुख्‍यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे की फोटो

अमृतसर । शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने मंगलवार को स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) के केंद्रीय सिख संग्रहालय (Central Sikh Museum) में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे दिलावर सिंह (Dilawar Singh) की तस्वीर लगाई. बता दें कि दिलावर सिंह पंजाब पुलिस के उन तीन कांस्टेबलों में शामिल थे, जिन्होंने पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह को मारने की योजना को अंजाम दिया था. इसके अलावा SGPC ने अकाल तख्त के पूर्व प्रधान पुजारी ज्ञानी भगवान सिंह की भी तस्वीर लगाई है.

आत्मघाती हमलावर दिलावर सिंह ने 31 अगस्त, 1995 को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या कर दी थी. बब्बर खालसा इंटरनेशनल नाम के एक आतंकी संगठन में शामिल होने से पहले सिंह पंजाब पुलिस के जवान थे. जरनैल सिंह भिंडरावाले और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारों सहित कई अन्य सिख आतंकवादियों के चित्र पहले से ही संग्रहालय में प्रदर्शित हैं.


दिलावर ने ऐसे दिया था हत्या को अंजाम
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक दोनों तस्वीरों का अनावरण एसजीपीसी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह और सचखंड श्री हरमंदर साहिब के अतिरिक्त प्रमुख ग्रंथी ज्ञानी जगतार सिंह ने किया. बता दें 27 साल पहले यानी 31 अगस्त 1995 की शाम को बेअंत सिंह की हत्या कर दी गई थी. पंजाब के पूर्व पुलिस अधिकारी दिलावर सिंह ने अपनी कमर के चारों ओर विस्फोटकों की एक बेल्ट बांध दी थी, जिससे एक धमाका हुआ था. और फिर मौके पर ही बेअंत सिंह की मौत हो गई थी.

क्यों लगाई गई तस्वीर
गुरबानी कीर्तन और अरदास के बाद, हरजिंदर सिंह ने कहा कि उनकी सेवाओं को ध्यान में रखते हुए, दिलावर सिंह और ज्ञानी भगवान सिंह की तस्वीरें सिख संग्रहालय में प्रदर्शित किए गए हैं. अखबार से बातचीत करते हुए हरजिंदर सिंह ने कहा, ‘शहीद भाई दिलावर सिंह ने उस समय सिखों के खिलाफ किए गए अत्याचारों और घोर मानवाधिकार उल्लंघनों को खत्म कर दिया था. गुरु के आशीर्वाद के बिना आत्म बलिदान का निर्णय संभव नहीं है और जब भी समुदाय पर अत्याचार किया गया, सिखों ने हमेशा बलिदान देकर इतिहास बनाया है.’

बलिदान के लिए सम्मान
इस मौके पर अतिरिक्त प्रधान ग्रंथी ज्ञानी जगतार सिंह ने कहा कि सिख समुदाय हमेशा उन लोगों को याद करता है जिन्होंने इसके लिए बलिदान दिया और सिख धर्म के प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने आगे कहा कि ऐसे व्यक्तित्वों का सम्मान केंद्रीय सिख संग्रहालय में उनके तस्वीरों को प्रदर्शित करके किया जाता है.

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