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यूक्रेन के इन दो शहरों में घुसेगी पुतिन की सेना, 2014 से अशांति, 14 हजार लोग गंवा चुके जान


कीव/मॉस्को। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के दो शहरों- डोनेत्स्क और लुहांस्क को स्वतंत्र क्षेत्रों के तौर पर पहचान देने की बात कही है। इसके बाद उन्होंने इन दोनों शहरों में अपनी सेना भेजकर अलगाववादियों को खुली मदद देने का भी एलान कर दिया। पुतिन के इस कदम से पश्चिमी देशों में हलचल मच गई है।

यूरोपीय देशों, अमेरिका और ब्रिटेन ने रूस और यूक्रेन के इन दोनों क्षेत्रों पर सख्त प्रतिबंध लगाने की चेतावनी भी जारी कर दी है। इस बीच यह जानना जरूरी है कि आखिर इन दोनों क्षेत्रों की रूस और यूक्रेन के लिए क्या अहमियत है? यहां कब से युद्ध की स्थिति बरकरार है और आखिर पश्चिमी देशों के लिए क्यों रूस का यह कदम परेशान करने वाला साबित होगा?

क्या है डोनेत्स्क और लुहांस्क की स्थिति?
पूर्वी यूक्रेन में रूस की सीमा से लगे डोनेत्स्क की गिनती एक समय यूक्रेन के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र के तौर पर होती थी। यह डोनबास राज्य का मुख्य शहर है, जहां कई अहम खनिजों का भंडार है। यह शहर यूक्रेन के बड़े स्टील उत्पादक केंद्रों में से है। यहां की जनसंख्या करीब 20 लाख है। वहीं, लुहांस्क जिसे पहले वोरोशिलोवग्राद के नाम से जाना जाता था, यूक्रेन के लिए कोयले का अहम भंडार है। यह शहर भी डोनबास क्षेत्र का हिस्सा है और रूस के साथ सीमा साझा करता है। इस शहर का उत्तरी हिस्सा ब्लैक सी से लगता है।


इस क्षेत्र को लेकर रूस और यूक्रेन में तनाव क्यों?
डोनेत्स्क और लुहांस्क, जिस डोनबास प्रांत का हिस्सा हैं, वह रूस और यूक्रेन के बीच तनाव की मुख्य जड़ रहा है। दरअसल, सोवियत संघ के विघटन के बाद डोनबास क्षेत्र यूक्रेन का हिस्सा बना। उधर, रूस का कहना है कि डोनबास की अधिकतर जनता रूसी भाषा बोलती है और इसलिए उसे यूक्रेन के राष्ट्रवाद से बचाया जाना जरूरी है।

क्या है डोनेत्स्क और लुहांस्क में तनाव?
डोनेत्स्क और लुहांस्क यूक्रेन के दो ऐसे राज्य हैं, जहां रूस समर्थक अलगाववादियों ने यूक्रेन सरकार के खिलाफ लगातार युद्ध छेड़ रखा है। बागियों ने इन दोनों शहरों को गणतंत्र भी घोषित किया है। साथ ही, लंबे समय से इन्हें यूक्रेन से अलग स्वतंत्र क्षेत्र घोषित कराने की कोशिश में हैं। पुतिन ने भी सोमवार (21 फरवरी) को साफ तौर पर अलगाववादियों को समर्थन देते हुए इन दोनों क्षेत्रों में अपने सैनिकों को मदद के लिए भेजने का आदेश दिया है।

रूस की तरफ से 2014 में क्रीमिया पर कब्जा करने के ठीक बाद इन दोनों ही शहरों में रूस समर्थक अलगाववादियों ने कब्जा करने की कोशिश की और ज्यादातर इलाके पर नियंत्रण हासिल भी कर लिया। लेकिन यूक्रेन ने इन दोनों क्षेत्रों में सेना भेजकर अलगाववादियों को रोकने की भरपूर कोशिश की। डोनेत्स्क और लुहांस्क को यूक्रेन में बनाए रखने के लिए यूक्रेन के सैनिक पिछले आठ साल से अलगाववादियों का सामना कर रहे हैं। यूक्रेन की सेना और अलगाववादियों की जंग में अब तक 14 हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं।

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