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संसद सदस्यता के लिए अयोग्य हो चुके राहुल गांधी, कपिल सिब्बल ने समझाया कानून

नई दिल्‍ली (New Delhi) । मोदी सरनेम वाले मानहानि केस (defamation case) में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को सूरत की एक अदालत ने दो साल कारावास की सजा और 15 हजार रुपए जुर्माना भी लगाया। हालांकि अदालत ने राहुल को तत्काल जमानत भी दे दी और ऊपरी अदालत में जाने के लिए 30 दिन का समय भी दिया। राहुल गांधी को कारावास की सजा मिलने के बाद यह बहस तेज हो गई है कि क्या राहुल की सांसदी (Member of Parliament) पर कोई खतरा है? इस मामले में कानूनी दिग्गज और पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने कहा कि राहुल गांधी दो साल की जेल की सजा के साथ एक सांसद के रूप में स्वत: अयोग्य हो जाते हैं, यह सजा अपने आप में “विचित्र” है।

कांग्रेस के पूर्व नेता कपिल सिब्बल और देश के जाने-माने अधिवक्ताओं में एक सिब्बल ने कहा कि कानूनी तौर पर राहुल गांधी सांसद के रूप में अयोग्य हो चुके हैं। “अगर यह (अदालत) केवल सजा को निलंबित कर देती है तो पर्याप्त नहीं है। दोषसिद्धि पर रोक भी होनी चाहिए। वह (राहुल गांधी) संसद के सदस्य के रूप में तभी रह सकते हैं जब दोषसिद्धि पर रोक हो।” सिब्बल के मुताबिक, कानून कहता है कि अगर किसी को दो साल के लिए किसी अपराध में दोषी ठहराया जाता है तो उसकी लोकसभा सीट खाली हो जाएगी।


लिलि थॉमस बनाम यूनियन ऑफ इंडिया केस
कपिल सिब्बल ने 2013 के लिली थॉमस बनाम यूनियन ऑफ इंडिया का मामला भी समझाया। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि “कोई भी सांसद, विधायक या एमएलसी जिसे अपराध का दोषी ठहराया जाता है और न्यूनतम 2 साल की जेल दी जाती है, तो तत्काल प्रभाव से वह सदन की सदस्यता खो देता है”।

जनप्रतिनिधि अधिनियम की धारा
‘जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951′ की धारा 8 (3) कहती है कि अगर किसी सांसद या विधायक को किसी अपराध में दोषी ठहराया जाता है और उसे 2 साल या इससे ज्यादा की सजा सुनाई जाती है, तो उसकी संसद या विधानसभा सदस्यता खत्म हो जाएगी। इसके अलावा वह रिहाई के 6 साल बाद तक चुनाव भी नहीं लड़ पाएगा। इसके अलावा ‘जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951′ की धारा 8 (4) कहती है कि दोषी सांसद या विधायक की सदस्यता तुरंत खत्म नहीं होती। उसके पास तीन महीने का समय होता है। लेकिन, 2013 के लिलि थॉमस बनाम यूनियन ऑफ इंडिया केस में सुप्रीम कोर्ट ने ‘जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951′ की धारा 8 (4) को रद्द कर दिया था

अदालत के फैसले को विचित्र कहा
लेकिन सिब्बल ने सूरत की अदालत के फैसले को “विचित्र” भी कहा। पिछले साल मई में कांग्रेस छोड़कर अपना नया मंच शुरू करने वाले वरिष्ठ नेता ने कहा, “कुछ व्यक्तियों के संबंध में दिए गए एक बयान के लिए, उन्हें दो साल के लिए दोषी ठहराया जाना पूरी तरह से विचित्र है।”

भाजपा के इस रुख के बारे में पूछे जाने पर कि गांधी की टिप्पणी एक जाति और समुदाय के खिलाफ थी, सिब्बल ने पलटवार करते हुए कहा, “कौन सा समुदाय? यह एक व्यक्ति के खिलाफ था। वे कुछ भी कह सकते हैं, लेकिन मैं आपको बता रहा हूं कि यह एक व्यक्ति के खिलाफ था।”

अदालत ने क्या कहा था
अपने फैसले में, सूरत की अदालत ने कहा था कि राहुल गांधी को “सुप्रीम कोर्ट द्वारा चेतावनी और सलाह दी गई थी”, पर उनके आचरण में किसी भी बदलाव का कोई सबूत नहीं है। अदालत ने कहा था, “आरोपी एक सांसद है जो एक सांसद के रूप में लोगों को संबोधित करता है और समाज के एक बड़े हिस्से को प्रभावित करता है और इसलिए इस अपराध का प्रभाव इस मामले में बहुत व्यापक है। उसे कम सजा देना एक बुरी मिसाल कायम करेगा और समाज में एक नकारात्मक संदेश भी लाएगा। इस बात को ध्यान में रखते हुए आरोपी को 2 साल की कैद की सजा दी जा रही है।”

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