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रामविलास पासवान बनना चाहते थे डीएसपी, बन गए राजनेता


नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का निधन हो गया। उनके बेटे और लोक जनशक्ति पार्टी अध्यक्ष चिराग पासवान ने गुरुवार की शाम को उनके निधन के बारे ट्वीट कर जानकरी दी है। 74 वर्षीय रामविलास पासवान पिछले कुछ महीने से बीमार चल रहे थे और साकेत स्थित अस्पताल में भर्ती थे। उनके पास केन्द्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रालय था।

रामविलास पासवान देश के ऐसे राजनेता रहे जिन्हें जानने समझने की जरूरत है। क्योंकि वह एक ऐसे परिवार से निकले जहां काफी आर्थिक तंगी थी। दलित समाज के इस बड़े नेता के राजनीति में आने का भी दिलचस्प किस्सा है। बिहार में आज तक सरकारी नौकरी का काफी क्रेज है। खासकर शासन और प्रशासन की नौकरी के लिए युवा काफी प्रयासरत रहते हैं।

युवा अवस्था में रामविलास पासवान भी शासन प्रशासन में जाना चाहते थे। उसी उम्र में वे सोचते थे कि अगर उन्हें अपने समाज का उत्थान करना है तो सत्ता का पावर हासिल करना जरूरी है। उनके गांव और परिवार के लोग बताते हैं कि 1969 के मध्यावधि चुनाव की हलचल थी। खगड़िया जिले के अलौली विधानसभा सीट से प्रत्याशी की तलाश हो रही थी। उस दौर में खगड़िया के इलाके में समाजवादियों की संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी प्रसिद्धि पा रही थी।

उसी दौरान यहीं के रहने वाले दलित युवक रामविलास पासवान डीएसपी की लिखित और फिजिकल परीक्षा पास होकर ट्रेनिंग में जाने की तैयारी कर रहे थे। उस दौर में रामविलास पासवान काफी दुबले थे। सरकारी नौकरी हो गई थी इसलिए परिवार के लोग काफी खुश थे। पिता ने नौकरी ज्वाइन करने से पहले शरीर की हालत थोड़ी ठीक करने की सलाह दी। इसके लिए पिता ने रामविलास पासवान को कुछ पैसे भी दिए।

नौकरी ज्वाइन करने के बाद ना जाने कब छुट्टी मिलेगी इस बात को सोचते हुए रामविलास पासवान वे अपने रिश्तेदारों से मिलने बेगुसराय चले गए। यहीं पर उनकी मुलाकात कुछ समाजवादियों से हुई। उन दिनों समाजवादियों को अलौली विधानसभा सीट पर शिक्षित युवा की तलाश थी। युवा रामविलास की प्रतिभा देखकर उन्होंने उन्हें राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया।

बड़ी मशक्कत के बाद रामविलास पासवान को नौकरी मिली थी, इस वजह से उनका मन डगमगा रहा था। वह राजनीति में नहीं जाना चाहते थे। लेकिन समाजवादी नेताओं ने उन्हें समझाया कि राजनीति में जाओगे तो केवल अपना ही नहीं पूरे समाज का भला कर पाओगे। यह बात रामविलास पासवान को अंदर तक झकझोर गई। उन्होंने डीएसपी की नौकरी ज्वाइन नहीं की और अलौली विधानसभा सीट से चुनाव में उतर गए।

संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी एसएसपी ने रामविलास पासवान को चुनाव के मैदान में उतारा। सामने कांग्रेस के नेता मिश्री सदा थे। प्रचार के मामले में रामविलास पासवान मिश्री से काफी पीछे थे क्योंकि इनके पास पैसों की किल्लत थी। जैसे तैसे साइकिल से पूरा चुनाव प्रचार किया गया। हालांकि चुनाव परिणाम आने पर उनका फैसला सही साबित हुआ और वह विधायक बन गए। पासवान को 20330 वोट आये, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के मिश्री सदा को 19424 वोट मिले थे। इस तरह रामविलास पासवान की राजनीति में लॉन्चिंग हो गई।

1. रामविलास पासवान का जन्म 5 जुलाई 1946 को बिहार के खगड़िया जिले के शाहरबन्नी गांव में अनुसूचित जाति परिवार में हुआ था। प्रारंभिक पढ़ाई उन्होंने अपने गृह जिले से ही की। उन्होंने लॉ ग्रेचुएट और मास्टर ऑफ आर्ट्स की पढ़ाई की थी। छात्र राजनीति में सक्रिय रामविलास पासवान ने बिहार पुलिस की नौकरी से अपने कैरियर की शुरूआत की थी।

2. उनकी पहली शादी 1960 में खगड़िया की ही रहने वाली राजकुमारी देवी से हुई थी। हालांकि 2014 में उन्होंने बताया कि 1981 में उन्होंने राजकुमारी देवी को तलाक दे दिया था। उनसे उनकी दो बेटियां हैं उषा और आशा।

3. बिहार की राजनीति के धाकड़ नेता पासवान ने 1983 में अमृतसर(पंजाब) की रहने वाली एयरहोस्टेस और पंजाबी हिंदू रीना शर्मा से दूसरा विवाह किया। उनके पास एक बेटा और बेटी है। उनके बेटे चिराग पासवान भी राजनीति में हैं और बिहार के जमुई लोकसभा सीट से सांसद हैं।

4. बिहार पुलिस की नौकरी छोड़कर राजनीति में उतरे पासवान पहली बार 1969 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से बिहार विधान सभा के लिए विधायक चुने गए थे। उन्होंने हमेशा राज नरैण और जय प्रकाश नारायण को अपना आर्दश माना। छात्र जीवन से ही उन्होंने जयप्रकाश नारायण के समाजवादी आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था।

5. 1975 में इमरजेंसी की घोषणा के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया और उन्होंने इमरजेंसी के दौरान पूरी अवधि जेल में ही गुजारी। 1977 में उन्हें रिहा किया गया।

6.1969 से विधायक से शुरूआत करने वाले रामविलास पासवान 2019 तक यानि 50 साल से लगातार विधायक या फिर सांसद रहे।

7. 1977 में जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने वाले रामविलास पासवान ने हाजीपुर सीट से रिकॉर्ड मत से जीतकर गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉड में अपना नाम दर्ज कराया।

8. कुछ संघर्ष भरे पल के बाद राजनीति में उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। विभिन्न दलों (लोक दल, जनता पार्टी- एस, समता दल, समता पार्टी, जद यू ) में रहने के बाद उन्होंने 28 नवंबर 2000 को दिल्ली में लोक जनशक्ति पार्टी के गठन की घोषणा की।

9. वे 1996 से 2018 तक बनी विभिन्न पार्टियों की लगभग सभी सरकारों में मंत्री रहे। यही वह वजह है कि उनके विरोधी उन्हें मौसम वैज्ञानिक का नाम से पुकारते हैं। तीन दशक से सभी सरकारों में केन्द्रीय मंत्रिमंडल में उनकी उपस्थिति रही।

10. रामविलास पासवान 1996-1998 तक भारत के रेलमंत्री, 2001- 2002 तक केन्द्रीय खनिज मंत्री, 2004-2009 तक केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री भी रहे चुके थे।

 

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