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RBI को दरों को बढ़ाने की रफ्तार अब रोकनी चाहिए, आर्थिक सुधार को हो सकता है नुकसान

नई दिल्ली। आरबीआई को रेपो दर को बढ़ाने की रफ्तार अब रोकनी चाहिए। उसे अमेरिका के केंद्रीय बैंक से अलग फैसला करना होगा। एसबीआई के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्य कांति घोष ने शनिवार को एक कार्यक्रम में कहा कि निकट समय में अमेरिकी फेडरल रिजर्व दरों को बढ़ाने की रफ्तार को रोकने वाला नहीं है। इसलिए आरबीआई को अब इस पर सोचना होगा।

घोष ने कहा, क्या हम अमेरिकी फेडरल के साथ कदम मिला सकते हैं? हमें रुकने और सोचने की जरूरत है कि आरबीआई ने जो पहले दरों में वृद्धि की थी, उसका प्रभाव सिस्टम में कम हो गया है। हमें लगता है कि अमेरिका का केंद्रीय बैंक अभी भी दरों में दो से तीन बार बढ़त कर सकता है। ऐसे में आरबीआई को खुद इस पर सोचना होगा। घोष ने कहा कि आरबीआई ने मई 2022 से ब्याज दरों में 2.5% की बढ़ोतरी की है और यह चक्र चल रहा है।

शुद्ध कर संग्रह 17 फीसदी बढ़कर 13.73 लाख करोड़
चालू वित्त वर्ष में 10 मार्च तक शुद्ध कर संग्रह 17 फीसदी बढ़कर 13.73 लाख करोड़ रुपये हो गया है। यह पूरे वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान की तुलना में 83 फीसदी रहा है। इसमें व्यक्तिगत आयकर और कॉरपोरेट कर भी शामिल हैं। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने शनिवार को बताया कि कुल संग्रह 22.58 फीसदी बढ़कर 16.68 लाख करोड़ रुपये रहा है।


इसमें से एक अप्रैल, 2022 से 10 मार्च, 2023 तक 2.95 लाख करोड़ रुपये करदाताओं को वापस किए गए हैं। यह पिछले वित्त वर्ष में वापस किए गए कर की तुलना में 59.44 फीसदी ज्यादा है। सीबीडीटी ने बताया कि बजट अनुमान की तुलना में यह कर संग्रह 96.67 फीसदी है। जबकि 2022-23 में संशोधित अनुमान के मुकाबले यह 83.19% है। रिफंड के बाद कॉरपोरेट आयकर संग्रह 13.62 फीसदी, व्यक्तिगत आयकर संग्रह 20.06% अधिक है।

एशिया दुनिया में सबसे तेजी से विकसित होने वाला महाद्वीप बनने की राह पर
एशिया में सहभागिता और विश्वास निर्माण उपायों पर सम्मेलन (CICA) के सचिवालय के पर्यावरण विशेषज्ञ उगुर तुरान ने कहा, निस्संदेह, एशिया दुनिया में सबसे तेजी से विकसित होने वाला महाद्वीप बनने की राह पर है। यहां नए व्यापार मार्गों, एक स्थायी प्रणाली को विकसित करने के प्रयास और बढ़ती ऊर्जा, भोजन व सुरक्षा मांगों के सामने हरित परिवर्तन को महत्व दिया गया है। तुरान ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ये सभी ऐसे मुद्दे हैं जो उत्तर एशिया से लेकर हिंद महासागर तक और पूर्वी एशिया से एजियन सागर तक सीआईसीए के सदस्य देशों से गहराई से जुड़े हैं।

हालांकि, महत्वाकांक्षी कार्बन-तटस्थ योजना वाले देश अपने हरित परिवर्तन लक्ष्यों के अनुरूप कितने यथार्थवादी हैं? उगुर तुरान अंतरराष्ट्रीय संगठनों की परियोजनाओं पर एक शोधकर्ता के रूप में चीन और तुर्की में काम कर चुके हैं। पिछले साल 12-13 अक्तूबर को अस्ताना में हुए छठे सीआईसीए शिखर सम्मेलन में, राज्य या सरकार के विशिष्ट प्रमुखों और उच्च-स्तरीय प्रतिनिधियों की ओर से उठाए गए साझा मुद्दों पर चर्चा हुई थी। इसमें भविष्य के लिए सीआईसीए के पर्यावरणीय आयाम के महत्व पर भी विचार विमर्श हुआ था।

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