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राम-लक्ष्मण का जिक्र कर जयशंकर बोले- हर देश को मजबूत और भाई जैसे दोस्त की आवश्यकता

नई दिल्ली: केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम (Thiruvananthapuram) में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राजनयिक स्थितियों को समझाने का उन्होंने अनोखा उदाहरण दिया. विदेश मंत्री ने महाकाव्य रामायण की उपमाएं दीं. उनका कहना है कि राष्ट्रों को पड़ोसी देशों के द्वारा परखा सकता है, ठीक उसी तरह जैसे भगवान राम की परीक्षा परशुराम ने ली थी. उन्होंने आगे और उदाहरण देते हुए कहा कि जिस तरह से भगवान राम को लक्ष्मण की जरूरत होती थी, उसी तरह हर देश को मजबूत यानी लगभग भाई जैसी दोस्ती की जरूरत होती है.

विदेश मंत्री जयशंकर (Foreign Minister S Jaishankar) संघ परिवार के प्रमुख संगठन भारतीय विचार केंद्रम (Bharatiya Vichar Kendram) की ओर से आयोजित तीसरे पी परमेश्वरनजी मेमोरियल लेक्चर दे रहे थे. जयशंकर ने महाकाव्य के प्रसंगों का हवाला देते हुए कहा कि भगवान राम (lord ram) ने धनुष मोड़ने की बड़ी परीक्षा पास की और आज की दुनिया में देश भी इसी तरह की परीक्षा से गुजरते हैं.

‘मजबूत अर्थव्यवस्था की परीक्षा भारत ने पास कर ली’
उन्होंने कहा, ‘जब राष्ट्रों का उत्थान होता है तो राष्ट्रों के साथ बिल्कुल ऐसा ही होता है. आइए हम अपने देश को देखें. मजबूत अर्थव्यवस्था होने के कारण हमने एक परीक्षा पास कर ली है. एक परमाणु परीक्षण करके और एक परमाणु शस्त्रागार विकसित करके हम एक और परीक्षा पास कर लेते हैं. यह एक धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने जैसा है, एक परमाणु धनुष. यह एक टेक्नोलॉजी परीक्षण हो सकता है.’


विदेश मंत्री ने कहा, ‘राम को क्या चाहिए? उन्हें एक लक्ष्मण की आवश्यकता है. एक लक्ष्मण स्थिति की मांग के मुताबिक आपके संकल्प को मजबूत कर सकते हैं. जब स्थिति की मांग हो और भगवान राम क्रोधित हों तो वह उन्हें शांत कर सकते हैं. सीता का अपहरण होने पर उन्होंने अपना संकल्प मजबूत किया इसलिए हर देश को ठोस, लगभग भाई जैसे दोस्तों की जरूरत है.

महाकाव्य के पात्र हनुमान को एक “महान राजनयिक” करार देते हुए उन्होंने कहा कि हर कोई जानता है कि उन्होंने खुद को कैसे संचालित किया और अच्छा मूल्यांकन किया. उन्होंने यह भी कहा कि जो राष्ट्र अहंकारी हैं और मानते हैं कि वे इतने मजबूत हैं कि उन्हें कोई नहीं हरा सकता, वे रावण के समान हैं.

जयशंकर ने रावण के अहंकार का भी किया जिक्र
उन्होंने कहा कि रावण को वरदान मिला था कि इंसानों के अलावा उसे कोई नहीं हरा सकता क्योंकि उसे लगता था कि इंसानों से कोई फर्क नहीं पड़ता. लोगों के द्वारा बड़ी शक्तियों को नीचे गिराया गया है. जिन्होंने सोचा था कि ‘ओह, ये लोग मायने नहीं रखते’. अपनी ताकत की खोज करना विकसित भारत का हिस्सा है.

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