इंदौर न्यूज़ (Indore News)

इंदौर में 11 महीनों में 1153 मृतक के परिजनों ने आंखें दान की

मरने के बाद भी वो 465 लोगों की अंधेरी जिंदगी में उजाले रोशन कर गए

इंदौर, प्रदीप मिश्रा। वो…खुद भले दुनिया को अलविदा कर गए, मगर नेत्रदान के बाद वह अपनी आंखों से दूसरों की अंधेरी जिंदगी में हमेशा के लिए उजाला कर गए। दान में मिली आंखों के कार्निया ट्रांसप्लांटेशन (Cornea Transplantation) के बाद दृष्टिहीन दिव्यांगों के लिए उनका हर दिन और , हर रात अब दीपावली के दीपों की तरह जगमगा रहा है। इस साल अब तक 1100 से ज्यादा परिजनों ने अपने प्रियजन मृतक की आंखें दान की हैं। इन आंखों से एमवाय हॉस्पिटल (MY Hospital) और शंकर नेत्र चिकित्सालय में 400 से ज्यादा दृष्टिहीनों को कार्निया ट्रांसप्लांट (cornea transplant) कर उन्हें नई रोशनी दी गई।


इस साल जनवरी से अभी नवम्बर तक कार्निया ट्रांसप्लांटेशन से एमवाय हॉस्पिटल में 45 तो शंकर नेत्रालय में 420 दृष्टिहीनों को रोशनी मिल चुकी है। इसके अलावा शहर में एमके इंटनेशनल आई बैंक भी है, जो 2010 से आई बैंक चला रहा है। यह आई बैंक इन 13 सालो में मरणोपरांत दान में मिली 11 हजार से ज्यादा आंखों से कार्निया निकालकर देश के जरूरतमंद आई हॉस्पिटल को भेजती आ रहा है। इस तरह इंदौर के आई हॉस्पिटल और आई बैंक दृष्टिहीन दिव्यांग मरीजों की अंधेरी जिंदगी में सूरज की भूमिका निभा रहे हैं तो वहीं मृतक के परिजनों ने अपना बड़ा दिल करके मानवता का धर्म निभाते हुए इस साल इन 11 महीनों में 1153 परिवारों ने अपने मृतक प्रियजनों की आंखें दान में दी है और यह सब कुछ सम्भव हुआ सामाजिक संस्था मुस्कान की वजह से, जिसने पिछले 13 सालों से लगातार जनजागरण अभियान चलाकर समाज की सोच बदलने में अपना अहम रोल अदा किया है।

एमवाय हॉस्पिटल का आई बैंक गरीब दृष्टहीनों के लिए वरदान
आई डोनेशन मिशन मतलब नेत्रदान अभियान में जुटी शहर के तीन आई बैंक से एक एमके इंटनेशनल आई बैंक दान में मिली आंखों में से कार्निया निकालकर देशभर के अन्य हॉस्पिटल को सिर्फ भेजने भर का काम करता है, वहीं शंकरा नेत्र चिकित्सालय और एमवाय हॉस्पिटल का सरकारी आई बैंक दान में मिली आंखों में से कार्निया निकालकर पंजीबद्ध वेटिंग लिस्ट में शामिल दिव्यांगों की आंखों में अपने-अपने ट्रांसप्लांट सेंटर में कार्निया ट्रांसप्लांट करते हैं। इस मामले में इंदौर में ऑर्गन डोनेशन में अहम भूमिका निभाने वाली मुस्कान संस्था के जीतू बगानी के मुताबिक एमवाय हॉस्पिटल की सरकारी बैंक में निर्धन गरीब जरूरतमन्द दृष्टिहीन दिव्यांगों के लिए वरदान साबित हो रही है, क्योंकि यहां पर कार्निया ट्रांसप्लांटेशन मुफ्त में किया जाता है। ट्रांसप्लांट के बाद भी मरीज को दवाइयां मुफ्त में दी जाती है।

इस साल इस माह तक 1153 आंखें दान की, 465 मरीजों को रोशनी मिली
इस साल 2023 में 11 नवम्बर तक एमवाय हॉस्पिटल के आई बैंक में जहां सिर्फ 45 तो वहीं एमके इंटरनेशनल आई बैंक में इस साल जनवरी से इस माह में 568 और शंकरा नेत्रालय में 540 परिवारों ने अपने मृतक परिजनों की आंखे दान की। इस तरह इस साल, अब तक दान में मिली 1153 आंखों के कार्निया जरूरतमन्द 465 लोगो की आंखों में वेटिंग लिस्ट के अनुसार बारी-बारी से ट्रांसप्लांट किये जा चुके हैं।

एमवायएच आई बैंक के आंकड़े निराशाजनक
एमवायएच आई बैंक की विभागाध्यक्ष डॉक्टर प्रीति रावत के अनुसार साल 2019 में 23, साल 2020 में 5 , साल 2021 में 6, साल 2022 में 10 और इस साल अभी तक 45 कार्निया ट्रांसप्लांट किये जा चुके है। यानी 3 सालों में महज 66 दृष्टिहीन लोगों को ही रोशनी मिली है, जबकि ट्रस्ट के आई बैंक और हॉस्पिटल का आंकड़ा सैंकड़ो में है।

एमके इंटरनेशनल आई बैंक
पिछले 13 सालो में दान में मिली 11 हजार 288 आंखों से कार्निया कलेक्ट करने वाली एमके इंटननेशनल आई बैंक के डाक्टर राजेश गुप्ता ने बताया कि इस आई बैंक की स्थापना तत्कालीन राष्ट्रपति मिसाइलमैन राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने 2010 में की थी । इस आईबैंक का संचालन मुरलीधर किशन गोपाल परमार्थिक ट्रस्ट करता है । यह आई बैंक जरूरतमंद दृष्टिहीनों के लिए देश के कई हॉस्पिटल में आंखों का कार्निया भेजती आ रही है। इन 11 महीनों में 568 कार्निया जरूरतमन्दों को भेज चुकी है।

शंकर नेत्र चिकित्सालय आई बैंक
दूसरी निजी आई बैंक शंकरा नेत्र चिकित्सालय की है, जिन्होंने इस साल नवम्बर तक लगभग 540 मृतकों की आंखों से कार्निया कलेक्ट कर चुके है । यहां कार्यरत आई बैंक इंचार्ज अनिल गौरे के अनुसार , शहर में इसकीं स्थापना मई 2021 में हुई थी। स्थापना वर्ष से लेकर अभी तक दान में मिली आंखों से 981 कार्निया निकाले गए। इनसे अब तक लगभग 2 सालो में 585 दृष्टिहीन मरीजों को रोशनी मिल चुकी है। यह नेत्र चिकित्सालय शंकरा पारमार्थिक ट्रस्ट द्वारा संचालित किया जाता है।

30 फीसदी आंखे ंबेकार हो जाती हैं
नेत्रदान में मिली सिर्फ 70 प्रतिशत आंखों के कार्निया ही काम मे आ पाते है ं। 30 प्रतिशत आंखे के कार्निया काम मे नही आ पाते । कई बार आंखे दान करने वाले मरीज की आंखों में कोई न कोई बीमारी पाई जाती है तो वंही कार्निया निकालने में 6 घण्टे से ज्यादा समय लग जाता है। या आई बैंक में कार्निया के रख रखाव ठीक से नही हो पाता।

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