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Report: दुनिया में रोज एक अरब टन अनाज हो रहा बर्बाद, भूखे सो रहे 80 करोड़ लोग

वाशिंगटन (Washington)। दुनियाभर (World) में हर दिन एक अरब टन (One billion tons) से अधिक भोजन बर्बाद (food grains wasted every day) हो जाता है, वहीं करोड़ों लोग भूखे सोने को मजबूर हैं। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) (United Nations Environment Program -UNEP) की फूड वेस्ट इंडेक्स 2024 रिपोर्ट (Food Waste Index 2024 Report) के मुताबिक, 2022 में 1.05 अरब टन भोजन बर्बाद हो गया। करीब 20 फीसदी भोजन (20 percent food) कूड़े में फेंक दिया जाता है।


खेत में उपज से लेकर थाली तक पहुंचने तक 13 फीसदी अनाज बर्बाद हो जाता है। कुल मिलाकर उत्पादन प्रक्रिया के दौरान लगभग एक तिहाई भोजन बर्बाद हो जाता है। इसके चलते रोजाना 80 करोड़ लोग भूखे रह जाते हैं। यूएन पर्यावरण कार्यक्रम की कार्यकारी निदेशक इंगेर एडरसन ने कहा कि बाजार में उपलब्ध खाद्य उत्पादों का लगभग पांचवां हिस्सा बर्बाद हो जाता है। ज्यादातर भोजन परिवारों की ओर से बर्बाद कर दिया जाता है।

वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बुरा असर
खाने की बर्बादी वैश्विक त्रासदी एंडरसन ने कहा, भोजन की बर्बादी एक वैश्विक त्रासदी है। दुनियाभर में भोजन की बर्बादी के कारण वर्तमान में लाखों लोग भूखे हैं। यह समस्या न केवल वैश्विक अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डालती है, बल्कि जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के नुकसान पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है। संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों के तहत दुनिया का लक्ष्य 2030 तक बर्बाद होने वाले भोजन की मात्रा को आधा करना है।

दुनिया में भोजन की बर्बादी सबसे ज्यादा घरों में हो रही
रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में सबसे अधिक भोजन घरों में बर्बाद होता है, इसकी वार्षिक मात्रा 63.1 करोड़ टन है। यह बर्बाद हुए कुल भोजन का लगभग 60 प्रतिशत है। भोजन बर्बादी की मात्रा खाद्य सेवा क्षेत्र में 29 करोड़ टन और फुटकर सेक्टर में 13.1 करोड़ टन है। रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में हर व्यक्ति सालाना औसतन 79 किलो खाना बर्बाद करता है। यह दुनिया के हर भूखे व्यक्ति को प्रतिदिन 1.3 आहार के बराबर है।

अमीर और गरीब देशों की स्थिति एक जैसी
यूएनईपी 2021 से भोजन की बर्बादी की निगरानी कर रहा है। उसका कहना है कि समस्या अमीर देशों तक सीमित नहीं है। अनुमान है कि उच्च, उच्च मध्यम और निम्न मध्यम आय वाले देशों के बीच प्रति व्यक्ति वार्षिक खाद्य अपशिष्ट दर में केवल सात किलोग्राम का अंतर है।

ग्रामीण क्षेत्रों में कम बर्बादी
शहरी और ग्रामीण आबादी के बीच भोजन की बर्बादी की दर में महत्वपूर्ण अंतर देखा गया है। उदाहरण के लिए मध्यम आय वाले देशों में ग्रामीण आबादी अपेक्षाकृत कम भोजन बर्बाद करती है। इसका एक संभावित कारण यह है कि गांवों में बचा हुआ भोजन जानवरों को खिलाया जाता है और उर्वरक के रूप में भी उपयोग किया जाता है। वहीं, शहरों में बचे हुए भोजन को सीधा कचरे में फेंक दिया जाता है।

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