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Republic Day 2023: भारत का संविधान कैसे हुआ तैयार? गणतंत्र दिवस पर जाने इससे जुड़ी ये खास बातें

नई दिल्‍ली (New Delhi) । 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान (The constitution of India) लागू हुआ था और देश एक संविधान व लोकतांत्रिक (constitutional and democratic) राष्ट्र बन गया। तब से इस दिन को प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस के तौर पर मनाया जाता है। भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा और पुराना लोकतंत्र संविधान है। भारतीय संविधान में जितनी विविधताएं हैं, उतनी दुनिया के किसी संविधान में नहीं है। सबसे बड़ा लिखित संविधान होने का गौरव भारत (India) के संविधान को प्राप्त है। आज भी भारत के लिखित संविधान की मूल प्रति को सुरक्षित रखा गया है। यह हाथ से बने कागज पर लिखा संविधान है, जिसके कागज को दशकों से संभालकर रखा गया है।

हमारे संविधान ने भारत के हर नागरिक (Citizen) के लिए उनके अधिकार और कर्तव्य निर्धारित किए हैं। आजादी के लगभग तीन साल बाद भारत का संविधान लागू हुआ। यानी संविधान के निर्माण में लगभग दो साल से अधिक वक्त लगा। आइए जानते हैं कि भारत के संविधान को कैसे और किसने तैयार किया? भारत के संविधान का इतिहास, निर्माण प्रक्रिया जानें सब कुछ।

भारत का संविधान कैसे तैयार हुआ?
1950 से पहले तक देश में भारत सरकार अधिनियम एक्ट (1935) लागू था, जिसे 26 जनवरी 1950 को हटाकर भारत का संविधान लागू कर दिया गया। हालांकि देश की आजादी से पहले ही संविधान के निर्माण की तैयारी शुरु हो गई थी। 9 दिसंबर 1946 को संविधान के निर्माण के लिए पहली बैठक हुई। वहीं आजादी के बार 29 अगस्त 1947 को संविधान सभा की ड्राफ्टिंग समिति का गठन किया गया।

संविधान सभा
उस समय ड्राफ्टिंग समिति में कुल सात सदस्य थे, जिन्होंने संविधान का एक मसौदा तैयार किया था। ये सदस्य थे- डॉ. भीम राव अमबेडकर (अध्यक्ष), एन गोपाल स्वामी आयंगर, अलादी कृष्णस्वामी अययार, डॉ. के एम मुंशी, सैयद मोहम्मद सादुल्लाह, एन माधव राव, और टी टी कृष्णमचारी। साथ ही संविधान सभा ने बी एन राव को संवैधानिक सलाहकार के तौर पर नियुक्त किया था।


संविधान सभा के कुल सदस्य
हालांकि संविधान सभा के कुल सदस्य 379 थे, जिसमें से 15 महिलाएं थीं। संविधान की ड्राफ्टिंग समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव आंबेडकर थे। आंबेडकर ने अल्पसंख्यकों के अधिकारों के विषय में संबंधित अनुच्छेदों पर बहस के दौरान अपना नजरिया सबके सामने रखा।

संविधान बनने में कितना समय लगा?
भारत के संविधान के निर्माण में 2 साल, 11 माह, 17 दिन का समय लगा। संविधान पर समिति के 15 महिलाओं समेत 284 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए। इस दौरान कई बार संविधान का मसौदा पेश किया गया।

संविधान का पहला मसौदा
समिति ने संविधान का पहला मसौदा फरवरी 1948 में प्रकाशित किया गया। चर्चा के लिए आठ महीने का समय निश्चित हुआ। मसौदे पर सार्वजनिक टिप्पणी, आलोचनाएं और सुझाव दिए गए, जिसके बाद ड्राफ्टिंग समिति ने दूसरा मसौदा तैयार किया। दूसरा मसौदा अक्तूबर 1948 में प्रकाशित किया गया।

संविधान का अंतिम मसौदा
वहीं भारतीय संविधान का अंतिम मसौदा डॉ. बी आर आंबेडकर ने 4 नवंबर, 1948 को संविधान सभा में पेश किया। इस दौरान संविधान की धाराओं पर विचार विमर्श हुआ। बाद में 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा में भारत का संविधान पारित किया और दो महीने बाद 26 जनवरी 1950 को संविधान को लागू किया। इसे लागू करने के लिए दो महीने का समय इसलिए लगा, क्योंकि 26 जनवरी 1930 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत को पूर्ण स्वराज घोषित किया था। इसी दिन को गणतंत्र दिवस के तौर पर भारत ने मनाने का फैसला करते हुए संविधान लागू किया।

संविधान की प्रस्तावना
भारत के संविधान की प्रस्तावना में संविधान के उद्देश्य दिए गए हैं। जब भी विभिन्न धाराओं के बीच न्यायाधीश को कोई फैसला लेने में परेशानी आती है तो संविधान की प्रस्तावना सही रास्ता दिखाती है। भारतीय संविधान की प्रस्तावना अमेरिकी संविधान से प्रेरित है। इसके अलावा संविधान में एक उद्देशिका, 395 आर्टिकल और 8 अनुसूचियां शामिल हैं। संविधान के लागू होने के बाद से अब तक इसमें 103 संशोधन किए जा चुके हैं।

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