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मप्र में 65 साल हो सकती है रिटायरमेंट की आयु, लोकसभा चुनाव से पहले पूरा हो सकता है भाजपा का ‘संकल्प’

भोपाल। प्रदेश में 6 साल बाद एक बार फिर रिटायरमेंट की आयुसीमा बढ़ाने की तैयारी है। इसको लेकर मंत्रालय में फाइल चल पड़ी है। सरकार रिटायरमेंट की सीमा 62 से बढ़ाकर 65 साल करने जा रही है, जिसका फायदा प्रदेश के 4 लाख से ज्यादा अधिकारी एवं कर्मचारियों को मिलेगा। संभवत: लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले मोहन सरकार इस पर फैसला ले सकती है। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने संकल्प पत्र में सेवानिवृत्ति में एकरूपता करने का वादा किया था, जिसे पूरा किया जा रहा है।


मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शपथ लेने के बाद पहली बैठक में संकल्प पत्र 2023 में शासकीय सेवकों से जुड़े मसलों को पूरा करने के निर्देश दे दिए थे। 11 जनवरी को राज्य कर्मचारी कल्याण समिति के अध्यक्ष (कैबिनेट दर्जा) रमेश शर्मा ने मप्र के शासकीय सेवकों की सेवानिवृत्ति की आयुसीमा में एकरूपता लाने के लिए आयु 62 से बढ़ाकर 65 करने के लिए नोटशीट भेजी। साथ ही उन्होंने पदोन्नति नहीं होने की वजह से सरकारी विभागों में कैडर गड़बड़ाने और खाली पदों का भी जिक्र किया।

मंत्रालय में सरपट दौड़ रही फाइल
रिटायरमेंट की आयुसीमा बढ़ाने की पहल मुख्यमंत्री कार्यालय ने ही शुरू की। इसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने वित्त विभाग से अभिमत मांगा है। वित्त से अभिमत आने के तत्काल बाद सेवानिवृत्ति में एकरूपता के प्रस्ताव को कैबिनेट में लाया जा सकता है। बता दें कि अभी तक प्राध्यापक, चिकित्सक, स्टाफ नर्स एवं अन्य सेवाओं में सेवानिवृत्ति की आयुसीमा 65 साल है। अब सभी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 साल करने की तैयारी है। इससे पहले 2018 के विधानसभा चुनाव के पहले जून में रिटायरमेंट की आयुसीमा 60 से बढ़ाकर 62 साल की गई थी।

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