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रूस-यूक्रेन युद्ध से भारत की जीडीपी और डिमांड रिकवरी पर असर पड़ने की संभावना


नई दिल्ली । रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukrain War) से भारत (India) के सकल घरेलू उत्पाद (GPD) वृद्धि पर असर पड़ने की संभावना है (Likely to Impact) । इससे जीडीपी के साथ ही डिमांड रिकवरी (मांग में सुधार) (Demand Recovery) पर भी प्रभाव पड़ने की संभावना है।


इस संकट के कारण कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, कोयला, निकल, तांबा, एल्युमीनियम, टाइटेनियम और पैलेडियम की अतर्राष्ट्रीय कीमतों में वैश्विक उछाल आया   है। यह भी आशंका है कि उच्च कमोडिटी लागत विनिर्माण और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों को भी प्रभावित करेगी, जो विकास और रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण योगदानकर्ता हैं।विनिर्माण क्षेत्र पहले से ही, अपनी अतर्राष्ट्रीय मांग और आपूर्ति बाधाओं में वृद्धि के कारण महंगी वस्तुओं की लागत से जूझ रहा है। इसके अलावा, भारत इन कीमती और औद्योगिक वस्तुओं का एक प्रमुख आयातक है।इसके अतिरिक्त, कम विनिर्माण वृद्धि का देश की जीडीपी वृद्धि के साथ-साथ रोजगार सृजन पर सीधा असर पड़ेगा।

आईसीआरए की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, “हमें उम्मीद थी कि वित्त वर्ष 2023 में भारत की जीडीपी में 8 प्रतिशत की वृद्धि होगी, जो पहली छमाही में अपने कम आधार से बढ़ी है, हालांकि ये सरकार के बजटीय कैपेक्स पर आकस्मिक रूप से शुरू हो रहा है।” नायर ने कहा, “हालांकि, लंबे समय तक भू-राजनीतिक तनाव और उच्च कमोडिटी की कीमतें बड़े नकारात्मक जोखिम पैदा करती हैं।” इससे पहले, फरवरी के लिए मौसमी रूप से समायोजित आईएचएस मार्ट इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) रिपोर्ट में भारतीय निर्माताओं द्वारा सामना की जाने वाली औसत इनपुट लागत में और वृद्धि दर्ज की गई थी। इसने कहा कि खरीद मूल्य मुद्रास्फीति तेज रही, लेकिन छह महीने के निचले स्तर पर आ गई। इस अतिरिक्त लागत भार का एक हिस्सा उच्च बिक्री शुल्क के रूप में दिया गया, हालांकि वृद्धि की दर मामूली थी।

घरेलू पेट्रोल, डीजल और उर्वरक की कीमतों में अपेक्षित वृद्धि से अर्थव्यवस्था पर प्रभाव को कम करने के लिए उत्पाद शुल्क में कटौती की आवश्यकता हो सकती है।हालांकि, इस कदम से केंद्र को सिर्फ ईंधन उत्पाद शुल्क में कटौती पर कर राजस्व के 90,000 करोड़ रुपये तक का खर्च उठाना पड़ सकता है, जो कि वित्त वर्ष 2023 के बजट कैपेक्स के संदर्भ में खर्च करने की क्षमता को प्रभावित करेगा।

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के विश्लेषक पारस जसराय ने कहा, “अगर सरकार ईंधन की कीमतों को कम करने के लिए उत्पाद शुल्क में कटौती के साथ आगे बढ़ती है, तो यह केंद्र सरकार के राजकोषीय घाटे को और बढ़ा सकती है और ब्याज दर में और वृद्धि कर सकती है, जो पहले से ही 6.8 प्रतिशत (10 मार्च, 2022) है।”
जसराय ने कहा, “इसके परिणामस्वरूप, केंद्र को अपनी कैपेक्स योजनाओं में कटौती करनी पड़ सकती है। 8 मार्च, 2022 की हालिया नीलामी में 10-वर्षीय एसडीएल प्रतिफल भी 7.24 प्रतिशत तक चढ़ गया है। उधार की उच्च लागत राजकोषीय घाटे पर अपनी सीमा बनाए रखने के लिए राज्यों की कैपेक्स योजनाओं को बाधित करेगी।”

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