भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

उपेक्षा से दुखी कप्तान ने Modi Government के फैसले पर उठाए सवाल

  • पूर्व राज्यपाल ने ओबीसी आरक्षण को लेकर किए ट्वीट

भोपाल। मप्र भाजपा (MP BJP) के कद्दावर नेता एवं पूर्व राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी (Kaptan Singh Solanki) पार्टी में लंबे समय से उपेक्षा के शिकार हो रहे हैं। संगठन में बैकपुट (Backput) पर जा चुके सोलंकी ने हाल ही में मोदी सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) पर लिए गए फैसले को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने ट्वीट के जरिए अपना विरोध दर्ज किया है साथ ही मोदी सरकार को सलाह भी दी है कि सरकार को जनमत की इज्जत करना चाहिए। उन्होंने ट्वीट (Twit) में लिखा है कि लोकसभा और राज्यभा में बिना चर्चा किये विधेयक पास होना लोकतंत्र की रुग्णता का परिचायक है। सांसदों के महत्वपूर्ण सुझावों से देश वंचित रह जाएगा, जनमत की इज्जत करें। पार्टी के किसी भी नेता ने सोलंकी के ट्वीट पर किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी है।
मोदी सरकार (Modi Government) ने हाल ही में मेडिकल में पिछड़ा वर्ग के लिए 27 फीसदी आरक्षण का फैसला किया है। जिस पर कप्तान सिंह सोलंकी ने ट्वीट (Twit) में लिखा है कि लोकसभा और राज्यभा में बिना चर्चा किये विधेयक पास होना लोकतंत्र की रुग्णता का परिचायक है। सांसदों के महत्वपूर्ण सुझावों से देश वंचित रह जाएगा, जनमत की इज्जत करें। उन्होंने दूसरे ट्वीट (Twit) में लिखा है केन्द्र की नीट परीक्षा में 27+10+15+7.5 को उच्चतम न्यायालय मानेगा क्या ? ये 50 फीसदी से ज्यादा हो रहा है, साथ ही मेरिट को कमतर आंकना क्वालिटी को कम करना है।

पेगासस जासूसी पर भी खड़े किए सवाल
कप्तान सिंह सोलंकी ने इससे पहले भी पेगासस जासूसी मामले को लेकर भी सोलंकी ने तीखी प्रतिक्रिया ट्विटर पर व्यक्त की थी। तब उन्होंने ट्वीट में लिखा था कि लोकतंत्र में परस्पर विश्वास तथा निजता की रक्षा करना बहूत जरुरी है। पेगासस की जासूसी की रिपोर्ट के सबूत न हो तब भी असलियत का खुलासा करना सरकार का दायित्व बनता है।

कभी तूती बोलती थी, अब कोई पूछता तक नहीं
कप्तान सिंह सोलंकी मप्र भाजपा के संगठन महामंत्री रह चुके हैं। उस समय उनकी संगठन और सरकार में तूती बोलती थी। कैबिनेट के फैसलों तक में उनका दखल रहता था। मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक सोलंकी के यहां हाजिरी लगाते थे। प्रदेश भाजपा में उनकी इच्छा के बिना पत्ता तक नहीं हिलता था। अब उनकी कोई पूछ-परख नहीं हो रही। तबादलों से लेकर अन्य सिफारिशों तक को भी मंत्री गंभीरता से नहीं लेते हैं। उनके समर्थकों ने भी मुंह फेर लिया है। उनके कंधों पर चढ़कर शिवराज मंत्रिमंडल में कद्दावर मंत्री बने चेले ने भी उनसे मुंह मोड़ लिया है।

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