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Sankashti Chaturthi 2021: संकष्‍टी चतुर्थी व्रत आज, पूजा में करें ये काम, भगवान गणेश की बरसेगी कृपा

आज यानि 29 मई को एकदंत संकष्टी चतुर्थी का व्रत है । यह चतुर्थी की तिथि भगवान गणेश जी की पूजा के लिए समर्पित है । इसे एकदंत चतुर्थी भी कहा जाता है. शनिवार के दिन चतुर्थी की तिथि होने से इस दिन गणेश पूजा के साथ शनि देव की पूजा का भी संयोग बना हुआ है। संकष्टी चतुर्थी को भगवान गणेश (Lord Ganesha) की पूजा करके मनचाहा फल हासिल किया जा सकता है और मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीगणेश की पूजा करने से सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। संकटों से विघ्नहर्ता मुक्ति दिलाते हैं।

इस तरह करें पूजा
गणेश भगवान के भक्त संकष्टी चतुर्थी का व्रत कर के मनचाहे फल की कामना करते हैं। इस दिन स्नान आदि से निवृत होने के बाद हल्के लाल या पीले रंग के कपड़े पहनें और फिर भगवान गणेश की तस्वीर या मूर्ती को लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उसके ऊपर रखें। फिर भगवान गणेश की पूजा(Worship) करते वक्त पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुंह करें और दीप जलाकर लाल गुलाब के फूलों से भगवान गणेश का श्रृंगार करें। पूजा में तिल के लड्डू और केले का भोग लगाएं। साथ ही गुड़, रोली, चावल, फूल और तांबे के लोटे में जल भी पूजा में अर्पित करें।



पौराणिक कथा
एक पौराणिक कथा (mythology) के अनुसार भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती एक बार अपने शयन कक्ष में विश्राम कर रहे थे। भगवान शंकर और माता पार्वती ने गणेश जी को द्वार पर बैठा दिया और कहा कि किसी को अंदर न आने दें। माता पिता की आज्ञा पा कर गणेश जी द्वार पर सावधान की मुद्रा में बैठ गए। तभी वहां पर परशुराम जी आ गए और उन्होने भगवान शंकर से मिलने की बात कही, लेकिन गणेश जी ने ऐसा करने से माना कर दिया। इस पर परशुराम जी को क्रोध आ गया और उन्होने अपने फरसे से उनका एक दांत तोड़ दिया। तब से गणेश जी का एकदंत कहा जाने लगा।

बन रहा है शुभ योग
इस बार की एकदंत संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2021 ) बहुत ही विशेष है। पंचांग के अनुसार 29 मई, शनिवार को शुभ योग का निर्माण हो रहा है। शुभ योग को पंचांग के अनुसार उत्तम योग माना गया है। चतुर्थी तिथि का आरंभ 29 मई को प्रात: 06 बजकर 33 मिनट से होगा। तिथि का समापन 30 मई, रविवार को प्रात: 04 बजकर 03 मिनट पर होगा।

चंद्र दर्शन का समय
संकष्टी पूजन में चंद्र दर्शन का विशेष महत्व (Special importance) बताया गया है। इस दिन चंद्रोदय रात्रि 10 बजकर 30 मिनट पर को होगा। संकष्टी व्रत का समापन चंद्रोदय के बाद ही अच्छा माना गया है।

नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।

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