उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News)

आज सुबह जिला अस्पताल में देखा जबलपुर की तरह आग लगेगी तो क्या करेंगे

  • जबलपुर अग्निकांड के बाद फिर हलचल…ऐसा ही होता है उज्जैन में
  • कई निजी अस्पतालों में अभी भी चल रही लापरवाही

उज्जैन। कल जबलपुर के निजी अस्पताल में आग लग गई थी और कई लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी। इस हादसे ने एक साल पहले फ्रीगंज के एक निजी अस्पताल में हुए अग्निकांड की याद ताजा कर दी। जिला अस्पताल में आरएमओ और अन्य अधिकारी भी वार्डों में आग से सुरक्षा के उपकरणों और आपात स्थिति से निपटने के इंतजाम जांचने पहुंच गए। हालांकि अभी कई निजी अस्पतालों में आग से निपटने के पुख्ता इंतजाम नहीं है। जिला चिकित्सालय में अग्रिकांड से बचने के लिए पर्याप्त संसाधन मिले हैं और निकासी भी है। प्रायवेट अस्पताल में संसाधन कम है और पूर्व में घटना भी हो चुकी है। कल सोमवार की दोपहर जबलपुर के लाईफ लाईन निजी हॉस्पिटल में आग लग गई थी और यहां आग से सुरक्षा के इंतजाम नहीं होने के कारण दर्दनाक हादसा हो गया था। आग इतनी भीषण थी कि अंदर भर्ती मरीज और लोगों को बाहर आने तक का समय नहीं मिला। जो लाग बाहर थे और अंदर बचाने पहुंचे थे वे लोग भी झुलस कर रह गए थे। इस घटना ने एक साल पहले फ्रीगंज स्थित पाटीदार अस्पताल में हुए अग्निकांड को फिर याद दिला दिया।



उक्त हॉस्पिटल में जब आग आयसीयू से शुरू हुई थी तो कोरोना के कारण यहां सभी 80 बेड पर मरीज भर्ती थे। आग से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं होने के कारण यह हादसा हुआ था और भर्ती मरीजों का पास की बिल्ंिडग से भागना पड़ा था। इस दुर्घटना में 4 मरीज गंभीर झुलस गए थे। जिन्हें उपचार के लिए इंदौर रैफर किया गया था। इनमें से भी कुछ मरीजों की मौत हो गई थी। कल जबलपुर में हुई दर्दनाक घटना के बाद आज सुबह जिला अस्पताल के आरएमओ डॉ. भोजराज शर्मा और अन्य अधिकारी अस्पताल के वार्डों में पहुंचे और उन्होंने यहां लगे अग्निशमन यंत्रों की जांच की। इसके अलावा उन्होंने जिला अस्पताल की पहली और दूसरी मंजिल पर यह भी जांचा कि जबलपुर जैसी घटना अगर यहां हो तो अस्पताल में भर्ती मरीजों और लोगों को किस तरह आपात स्थिति में आसानी से बाहर निकाला जा सके। डॉ. भोजराज शर्मा ने बताया कि जिला अस्पताल में लगे सभी आग से सुरक्षा के उपकरण चालू हैं और आपातकालीन परिस्थितियों में निर्गम की व्यवस्था भी निर्धारित है। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष पाटीदार अस्पताल में हुए अग्निकांड के बाद अधिकारियों ने शहर के कई निजी अस्पतालों में आग से सुरक्षा के इंतजामों की जांच की गई थी। इसमें यह भी जांचा गया था कि कौन से निजी अस्पतालों ने नियमित फायर ऑडिट कराया है या नहीं। ऐसे 18 निजी अस्पतालों और अन्य संस्थाओं को नोटिस भी जारी किए गए थे। हालांकि कुछ दिन बाद यह मामला ठंडा पड़ गया था और अभी भी कई निजी अस्पतालों से लेकर 9 मीटर ऊंचे व 50 वर्गमीटर क्षेत्रफल वाली बिल्डिंगों में फायर सेफ्टी सिस्टम नहीं लगे हुए हैं। इसकी संबंधित विभागों को फिर से जांच शुरू करनी चाहिए।

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