नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महाराष्ट्र (Maharashtra) के विधान परिषद चुनाव में (In MLC Election) वोट डालने के लिए (To Vote) अस्थाई रूप से रिहाई देने (To Grant Temporary Release) की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विधायकों (NCP MLAs) नवाब मलिक (Nawab Malik) और अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) की अर्जी (Application) सोमवार को खारिज कर दी (Refuses) । इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने गत सप्ताह दोनों विधायकों की याचिका खारिज की थी, जिसके बाद दोनों ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी।
महाराष्ट्र में विधानसभा परिषद चुनाव की वोटिंग शुरू होने से पहले सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सी टी रविकुमार और सुधांशु धूलिया की अवकाश पीठ ने राकांपा विधायकों को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह जन प्रतिनिधि अधिनियम के अनुच्छेद 62(5) की व्याख्या कर सकता है ताकि यह जाना जा सके कि गिरफ्तार विधायक और सांसद राज्यसभा और विधान परिषद चुनाव में मतदान कर सकते हैं या नहीं। यह अनुच्छेद कैदी को वोटिंग करने की अनुमति नहीं देता है।
याचिककर्ताओं की वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने दलील दी कि अगर विधायकों को वोट नहीं देने दिया गया तो इसका मतलब होगा कि उस पूरे विधानसभा क्षेत्र को वोट नहीं करने दिया गया। विधायक निर्वाचित प्रतिनिधि हैं इसीलिए वे सिर्फ व्यक्ति नहीं होते बल्कि अपने पूरे क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस पर सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहत ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उदाहरण देते हुए कहा कि अनुच्छेद 62(5) का पालन किया जाना चाहिए।
सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा कि मसला यह है कि याचिकाकर्ता जेल में है या नहीं। खंडपीठ ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता हिरासत में होते तो वोटिंग करने में मनाही नहीं थी लेकिन चूंकि यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है तो यहां अनुच्छेद 62(5) लागू होता है।
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