इंदौर न्यूज़ (Indore News)

मल्टी का नक्शा पास कराकर प्लॉट बेच डाले

  • मालवा वनस्पति घोटाले में प्रशासन की जांच से उजागर हुआ अवैध कमाई का बड़ा खेल
  • फर्जीवाड़े से मंजूर अभिन्यास होंगे निरस्त… रेरा भी दर्ज करेगा प्रकरण

इंदौर। मालवा वनस्पती जमीन घोटाले में प्रशासन ने एक बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर किया है, जिसके जरिए 126 करोड़ रुपए की अवैध कमाई का बड़ा खेल पकड़ाया। 9.584 हैक्टेयर जमीन पर नगर तथा ग्राम निवेश और निवेश से फ्लेटेड औद्योगिक उपयोग की अनुमति दी और मौके पर अलग-अलग आकार के भूखंडों को बेच दिया। मल्टी के मंजूर अभिन्यास की जगह भूखंड बेचने के इस फर्जीवाड़े में कूचरचित दस्तावेजों का सहारा लिया गया। कलेक्टर मनीष सिंह को मिली शिकायत के बाद उन्होंने तीन अधिकारियों की टीम बनाकर जांच करवाई, जिसमें 20 पेज की रिपोर्ट में यह चौंकाने वाला फर्जीवाड़ा सामने आया, जिसके चलते अब मंजूर अभिन्यास तो निरस्त होंगे ही, वहीं रेरा से अनुमति ना लेने, पंजीयन ना करवाने के चलते विभिन्न धाराओं में भी प्रकरण दर्ज किए जाएंगे, जिसमें 3 साल की सजा से लेकर 10 गुना तक जुर्माने का प्रावधान है।
उल्लेखनीय है कि मालवा वनस्पती एवं कैमिकल्स प्रा.लि. की भागीरथपुरा स्थित जमीन विवादित रही है। तत्कालीन कलेक्टर ने भी इस जमीन को सरकारी घोषित कर दिया था, लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट में ढंग से शासन-प्रशासन तथ्य नहीं रख पाया, जिसके चलते प्रशासन का आदेश खारिज हो गया था, जिसमें अब नए सिरे से अपील भी की जाएगी, वहीं कलेक्टर मनीष सिंह को अभी यह शिकायत मिली कि इस जमीन पर विकासकर्ता फर्म ने धोखाखड़ी की है और भूखंड के स्थान पर मल्टी फ्लेटेड इंडस्ट्रीयल बिल्डिंग का अभिन्यास नगर तथा ग्राम निवेश से मंजूर करवाया और उसी आधार पर फिर नगर निगम से भी भवन अनुज्ञा प्राप्त कर ली गई। अधिक विक्रय योग्य क्षेत्र प्राप्त करने के लिए कूटरचित दस्तावेजों, रजिस्ट्री में गोलमोल जानकारी के जरिए यह फर्जीवाड़ा किया, जिसके चलते विकासकर्ता को लगभग 126 करोड़ की अवैध कमाई उजागर हुई। हालांकि यह भी कमाई कलेक्टर गाइडलाइन के आधार पर गणना की गई है, बाजार दर तो इससे अधिक ही है। कलेक्टर द्वारा करवाई गई जांच से यह पता चला कि मालवा वनस्पति की तरफ से डायरेक्टर पांडूरंग ने भागीरथपुरा की जमीन सर्वे नं. 81, 82 (पार्ट), 83, 84/2, 85 (पार्ट), 86/1/1 (पार्ट), 86/2, 86/3 (पार्ट) एवं 87/1/1 (पार्ट) की कुल रकबा 11.484 हैक्टेयर मेंसे 9.584 यानी लगभग 25 एकड़ जमीन पर फ्लेटेड फैक्ट्री उपयोग हेतु 07.12.2018 को स्थल अनुमोदन करवाया गया। नगर तथा ग्राम निवेश के अभिन्यास मंजूरी के बाद नगर निगम ने 13.05.2019 को फ्लेटेड औद्योगिक उपयोग की भवन अनुज्ञा दी। जांच कमेटी ने पाया कि मौके पर भूखंड की बजाय प्लींथ लेवल तक का काम चल रहा है और जिसके चलते एमओएस, सडक़ों की चौड़ाई से लेकर अन्य अधिकतम क्षेत्र हासिल किया गया, जो कि स्वीकृत एफएआर से लगभग दो गुना होना है। इंदौर के मास्टर प्लान में फ्लेटेड फैक्ट्री के दिए गए मापदण्डों का भी उल्लंघन किया गया। जबकि विकासकर्ता को फ्लेटेड फैक्ट्री की अनुमति के मुताबिक अलग-अलग मंजिलों पर प्रकोष्ठों का पंजीयन करवाकर विक्रय करना था, लेकिन इसकी बजाय भूखंडों की रजिस्ट्री करवाई गई।
अधिक बिक्री क्षेत्र हासिल करने का मकसद
नगर तथा ग्राम निवेश द्वारा दी गई अनुमति की शर्त क्र. 8 में यह स्पष्ट किया गया कि यह अनुमति अस्थांतरणीय और अभिमान्य उपयोग के अलावा अन्य उपयोग के लिए मान्य नहीं होगी और शर्त क्र. 16 में भूमि का उपविभाजन एवं निर्मित क्षेत्रफल का ही विक्रय किया जा सकेगा, लेकिन इसका उल्लंघन करते हुए एमओएस, पार्किंग सहित सडक़ और अन्य क्षेत्र को बचाते हुए विकासकर्ता ने अवैध कमाई के लिए अधिक विक्रय क्षेत्र हासिल किया। नगर निगम ने भी फ्लेटेड फैक्ट्री की अनुमति दी थी, जिसके मुताबिक ही विकासकर्ता को निर्माण करना था, लेकिन इसका भी उल्लंघन किया गया, जिसके चलते अब निगम और नगर तथा ग्राम निवेश दी गई अनुमतियों को निरस्त करेगा।
इंदौर में पहली बार इस तरह की जालसाजी
इंदौर में वैसे भी जमीनी जादूगर कई तरह के करतब दिखाते रहे हैं। सरकारी, सीलिंग, नजूल से लेकर गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनों के भी बड़े-बड़े घोटाले उजागर होते रहे हैं, लेकिन यह अपनी तरह की पहली ऐसी जालसाजी है, जिसमें विकासकर्ता ने अभिन्यास मंजूरी से लेकर रजिस्ट्री में कूटरचित दस्तावेजों का इस्तेमाल किया। अधिकारियों का कहना है कि इसस तरह की रजिस्ट्री पहले कभी देखने को नहीं मिली, जिसे बड़ी होशियारी से तैयार किया गया, जिसमें गोलमोल तरीके से कहीं भूखंड, तो कहीं फ्लेटेड एरिया बेचने की बात कही गई। रजिस्ट्री में प्रत्येक भूखंड के दो क्षेत्रफल लिखे गए। फिलहाल प्रशासन ने यहां रजिस्ट्रियों पर भी रोक लगा रखी है।
तीन अफसरों की कमेटी ने पकड़ी धांधली
कलेक्टर मनीष सिंह को पिछले दिनों प्रकाश माहेश्वरी द्वारा शिकायत की गई थी कि गारमेंट्स औद्योगिक पार्क में भूखंड के स्थान पर मल्टी फ्लेटेड इंडस्ट्रीज बिल्डिंग का नक्शा मंजूर करवाया गया है। इस पर कलेक्टर ने तीन अधिकारियों की जांच कमेटी बनाई, जिसमें अपर कलेक्टर अजयदेव शर्मा, मुख्य नगर निवेशक निगम विष्णु खरे और संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश एसके मुदगल शामिल किए गए, जिन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट में 126 करोड़ रुपए की अवैध कमाई का भंडाफोड़ किया।

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