आचंलिक

लक्ष्मण बाग के महंत के लिए रीवा में जुट रहे देश भर के शंत

रीवा। लक्ष्मण बाग संस्थान के महंत नियुक्ति मामले के लेकर संस्थान से जुड़ देश भर के संत लक्ष्मण बाग में जुटने लगे हैं। मंगलवार को काशी से स्वामी श्री श्री 1008 जगतगुरु गोपालाचार्य जी महराज स्वयं अपने समस्त शिष्यों के साथ संत महात्माओं के साथ लक्ष्मणबाग पहुंचे तो आरा बिहार से स्वामी प्रपन्नाचार्य जी महराज भी आए। इसके साथ ही कई अन्य संतजन पहुंचे। यहां संतों की बैठक हुई जिसमें जगतगुरु गोपालाचार्य जी महराज ने कहा कि लक्ष्मण बाग संस्थान का महंत इसके नियम व मर्यादाओं के तहत यहां से दीक्षित संत को बनना चाहिए। लक्ष्मण बाग संस्थान में पहुंचकर स्वामी गोपालाचार्य जी ने भगवान जगतनाथ को अपनी तरफ से भोग प्रसाद अर्पण किया और संत महात्माओं से चर्चा किये। इस दौरान उन्होंने कहा कि लक्ष्मण बाग रीवा राजवंश की स्थापित गद्दी है, जिसको बड़े ही सम्मान पूर्वक मर्यादित तरीके से तत्समय के रीवा महाराजा ने स्थापित किया है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है यहां के महंत की गद्दी में केवल लक्ष्मण बाग से दीक्षित आचार्य ही गद्दी में विराजमान हो सकता है।


वह व्यक्ति जो लक्ष्मण बाग गुरु परंपरा से अलग हो वह किसी प्रकार गद्दी में स्थापित नहीं हो सकता, चाहे कोई भी हो। यह नियम रीवा के तत्कालीन महाराजा द्वारा बनाया गया था। महाराज ने कहा कि श्री राघवाचार्य जी परम विद्वान है इसमें कोई शंका नहीं, परंतु लक्ष्मण बाग संस्थान से दीक्षित नहीं है इसलिए इनको इस गद्दी में स्थापित करना राजवंश के नियमों को तोडऩा कहलाएगा। हजारों शिष्यों की गतिविधि आहत होगी। हम सभी का परम कर्तव्य है की नियम मर्यादा को सर्वोपरि रखकर ही कार्य करें। इसी में सभी का मंगल है। स्थगित पट्टाभिषेक कार्यक्रम के आयोजक में रीवा निवासी भागवत वक्ता बाला वेंकटेश शास्त्री का नाम होने पर आपत्ति की और कहा कि वह आयोजक कैसे हो सकते हैं। कार्यक्रम आयोजक तो लक्ष्मण बाग संस्थान स्वयं होगा जिसके अध्यक्ष जिला दंडाधिकारी हैं। उन्होंने कहा कि कलेक्टर की उपस्थिति में ही नए उत्तराधिकारी का चयन होना चाहिए। इस दौरान वाराणसी से माधवाचार्य जी,बिट्टू बाबा महाराज व अन्य संत अनुपम त्रिपाठी, अभिषेक सिंह, राहुल व्यास, शिवेन्द्र त्रिपाठी एवं रीवा – सतना से सैकडो़ आचार्य-पुजारी धर्म प्रेमी समाज सेवी आदि उपस्थित रहे। उक्त जानकारी व्याकर्णाचार्य आचार्य वर्धमान उरमलिया (पंकज) ने जरिए प्रेस विज्ञप्ति दी।

जो यहां की परंपरा जानता हो उसी का हो पट्टाभिषेक
गोपालाचार्य जी महराज ने कहा कि पट्टभिषेक उसी का हो जो लक्ष्मण बाग संस्थान से पूर्ण दिक्षित हो। जो यहां की परंपरा को जानते और समझते हों। यहां पर सभी अव्यवस्थाओं को समाप्त कर उचित और अच्छी व्यवस्था बना सकें। यहॉं संस्कृत विद्यालय को पुन:प्रारंभ कर नियमित संचालित कर सकें, यहां पर किसी भी प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान अच्छे से प्रारंभ हो और निर्विघ्न संपन्न हो। अव्यवस्था को लेकर दुख जताते हुए कहा कि संपूर्ण भारतवर्ष में सुप्रसिद्ध लक्ष्मण बाग संस्थान अपना पुराना स्वरूप पुन: प्राप्त कर सके इस दिशा में काम होना चाएि। शक्ति एवं शक्तियों का प्रयोग जन कल्याण के लिए होना चाहिए यही धर्म है। यहां पर जो आयोजन हो रहा था वह पूर्ण रूप से अवैध था। आयोजक ने किसी का भी नाम लिखने से पहले उनसे कोई चर्चा नहीं की यह भी गलत है।

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