इंदौर न्यूज़ (Indore News)

उल्लास की शिवरात्रि, शिवालयों में उमड़ी आस्था

  • अलसुबह से मंदिरों में गूंजा हर-हर महादेव … आज चारों प्रहर पूजन होगा और रात्रि जागरण

इन्दौर। महादेव के दिव्य अवतरण और मां पार्वती के संग वैराग्य छोड़ गृहस्थ जीवन की शुभ रात्रि-महाशिवरात्रि पर्व आज शहर में भक्ति, उल्लास और आस्था के साथ मनाया जा रहा है। अलसुबह से ही शिवालयों में हर-हर महादेव की गूंज सुनाई देने लगी। शहर के सभी मंदिरों और शिवालयों पर ब्रह्म मुहूर्त में ही अभिषेक और पूजा-पाठ का दौर शुरू हो गया। शिवजी का जलाभिषेक और दर्शन करने वालों की लंबी कतारें लग गईं। शहर के विभिन्न मंदिरों व मंडलों में खिचड़ी व ठंडाई का प्रसाद वितरित किया जा रहा है। वहीं शिवलिंग का मनोहारी शृंगार किया गया है। प्राचीन भूतेश्वर महादेव मंदिर पंचकुइया, गोपेश्वर महादेव मंदिर गांधी हॉल, गुटकेश्वर मंदिर किला मैदान, जबरेश्वर मंदिर राजबाड़ा, मनोकामनेश्वर मंदिर नौलखा, गुप्तेश्वर महादेव मंदिर देवगुराडिय़ा, केवड़ेश्वर मंदिर राजधरा, द्वादश ज्योतिर्लिंग मंदिर परदेशीपुरा, इंद्रेश्वर मंदिर पंढरीनाथ, केसरबाग व अन्नपूर्णा मंदिरों सहित शहर के सभी प्रमुख मंदिरों में दर्शनों के लिए भक्तों की भीड़ लगी है। आज सायंकाल गोधूलि बेला में मंदिरों में महाआरती धूमधाम से की जाएगी। श्री गेंदेश्वर द्वादश ज्योतिर्लिंग मंदिर (शिवधाम) पर सुबह 4 बजे ब्रह्म मुहूर्त भस्मारती की गई। मंदिर के राजेश विजयवर्गीय ने बताया कि रात्रि 8 बजे पारंपरिक तांडव आरती की जाएगी।

ैखूब सजे बाणेश्वर महादेव, रुद्राक्ष लेने के लिए लगी कतारें
संस्था नमो नवगृह शनि एवं सत्यमेव जयते द्वारा बाणेश्वर कुंड पर रुद्राभिषेक किया गया। संयोजक केके यादव एवं शिवम यादव ने बताया कि रुद्राक्ष वितरण किया जा रहा है। मंदिर परिसर में भक्तों की लंबी कतारें लगी हैं। भोलेनाथ संग महिलाएं फूलों से होली भी खेलेंगी।


खस की खुशबू से महक उठा कांटाफोड़ शिव मंदिर
कांटाफोड़ शिव मंदिर में खस की वाटिका में शिव परिवार को विराजित किया गया है। पूरा देवालय खस की खुशबू से महक रहा है। ट्रस्ट के विष्णु बिंदल के अनुसार कोलकाता के कलाकारों ने इसे तैयार किया है। भक्तों को कलाकंद, फलाहारी खिचड़ी का वितरण किया जाएगा।

इसलिए मनाई जाती है महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि पर्व शिव के दिव्य अवतरण का मंगल सूचक पर्व है। उनके निराकार से साकार रूप में अवतरण की रात्रि ही महाशिवरात्रि कहलाती है। शिवपुराण के अनुसार शिवजी के निराकार स्वरूप का प्रतीक ‘लिंग’ शिवरात्रि की पावन तिथि की महानिशा में प्रकट होकर सर्वप्रथम ब्रह्मा और विष्णु के द्वारा पूजित हुआ था। महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और देवी मां पार्वती का मिलन हुआ था। फाल्गुन चतुर्दशी तिथि पर भगवान शिव ने वैराग्य छोडक़र देवी पार्वती संग विवाह करके गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था।

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