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अगले साल से महंगे होंगे जूते-कपड़े, एक जनवरी से बदलेगा इनवर्टेड शुल्क ढांचा

नई दिल्ली। कपड़े और जूते खरीदने वाले उपभोक्ताओं (Consumers buying clothes and shoes) को अगले साल से ज्यादा मूल्य चुकाने (pay more than next year) पड़ सकते हैं। जीएसटी परिषद (GST Council) ने कपड़े और जूते उद्योग के इनवर्टेड शुल्क ढांचे में बदलाव (Change in inverted fee structure) की लंबे समय से चली आ रही मांग को स्वीकार कर लिया है। जीएसटी परिषद (GST Council) ने शुक्रवार को हुई बैठक में एक जनवरी, 2021 से नया शुल्क ढांचा लागू (New fee structure to be implemented from January 1, 2021) करने की बात कही है।



केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने कहा कि जूते-चप्पल और कपड़ों पर जीएसटी की नई दर लागू करने पर सहमति बनी है। जनवरी से नया इनवर्टेड शुल्क ढांचा लागू होने के बाद इसकी मौजूदा दरों में बदलाव किया जाएगा। कपड़ा और जूता उद्योग के कारोबारी लंबे समय से ढांचे में बदलाव की मांग कर रहे थे। उनका कहना था कि जूता बनाने के कच्चे माल पर 12 फीसदी जीएसटी है, जबकि तैयार उत्पादों पर जीएसटी दर पांच फीसदी है। इस नुकसान की भरपाई के लिए कच्चे माल पर चुकाए शुल्क को वापस किया जाना चाहिए। हालांकि, परिषद ने नई दरों का खुलासा नहीं किया, लेकिन माना जा रहा कि जूते-चप्पल पर 12 फीसदी जीएसटी हो सकती है। अभी पांच फीसदी जीएसटी वसूला जाता है, जबकि ज्यादा महंगे जूतों पर 18 फीसदी जीएसटी लगता है। इसी तरह, कपड़े पर भी जीएसटी की दरें बढ़ाई जा सकती हैं।

जीएसटी दरों की संख्या घटाने पर मंत्रिसमूह देगा सलाह
वित्तमंत्री ने बताया कि जीएसटी ढांचे में मौजूदा पांच दरों को घटाकर तीन तक सीमित करने पर सुझाव के लिए मंत्रियों का समूह बनाया गया है। यह समूह दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट परिषद को सौंपेगा, जिसमें दरों की संख्या घटाने को लेकर स्पष्ट सुझाव दिए जाएंगे। इसके अलावा ई-वे बिल और फास्टैग में तकनीकी खामियों को दूर करने पर सुझाव के लिए भी एक मंत्रिसमूह का गठन किया गया है।

जीएसटी इनपुट क्रेडिट साल के अंत तक
निर्यात के लिए जीएसटी इनपुट क्रेडिट साल के अंत तक जारी रहेगी। राज्यों को क्षतिपूर्ति भरपाई के एवज में वसूले जाने वाले उपकर की अवधि भी करीब चार साल बढ़ा दी है। राज्यों को भरपाई के लिए केंद्र ने कर्ज लिया था। इसकी भरपाई मार्च, 2026 तक लग्जरी और हानिकारक उत्पादों पर उपकर के जरिये की जाएगी।

तमिलनाडु के मंत्री बोले- पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में लाए तो बर्बाद हो जाएंगे राज्य
तमिलनाडु के वित्तमंत्री पीटी पलानीवेल थियगाराजन ने कहा, पेट्रोल-डीजल पर कर राज्य के राजस्व प्रबंधन के अधिकार का आखिरी निशान है। ये जीएसटी में आए तो राज्य बर्बाद हो जाएंगे। जीएसटी लागू होने के बाद से राज्यों से संविधान प्रदत्त राजस्व से जुड़े राज्यों के ज्यादातर छोटे-मोटे अधिकार छिन गए हैं। ऐसे में कुछ बचे हुए अधिकारों को नहीं छोड़ा जा सकता।

राज्यों को 2022 के बाद घाटे की भरपाई नहीं
बैठक में जीएसटी लागू होने से राज्यों को हो रहे नुकसान की भरपाई के मुद्दे पर भी विचार हुआ। वित्तमंत्री ने बताया कि एक जुलाई, 2017 को लागू जीएसटी एक्ट में कहा गया था कि जीएसटी लागू होने के बाद यदि राज्यों के जीएसटी में 14 फीसदी से कम ग्रोथ होती है तो उन्हें अगले पांच साल तक इस नुकसान की भरपाई ऑटोमोबाइल और टोबैको जैसे कई उत्पादों पर विशेष सेस लगाकर करने की इजाजत होगी। यह पांच साल की अवधधि 2022 में पूरी हो रही है। उन्होंने बताया कि मार्च, 2026 तक सेस की वसूली से राज्यों द्वारा कोविडकाल में लिए गए कर्ज व ब्याज की भरपाई पर ही खर्च किया जाएगा।

 

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