जबलपुर न्यूज़ (Jabalpur News)

रेलवे लोहा चोरी कांड में एसआई भी निकला चोर

  • एसआई की संलिप्तता का 20 दिन पहले अग्निबाण ने किया था खुलासा
  • ठेकेदार के बयान से सामने आई सच्चाई

जबलपुर। शहपुरा-भिटौनी के बीच लगभग 45 टन से ज्यादा पटरी चोरी के मामले में जबलपुर आरपीएफ थाने में पदस्थ एसआई सुनील मिश्रा की संलिप्तता सामने आने के बाद आरपीएफ ने षड्यंत्र रचने का मामला दर्ज कर गुरुवार रात गिरफ्तार कर लिया। शुक्रवार को उसे न्यायालय में पेश किया गया। बाद में न्यायालय से मिश्रा को जमानत मिल गई। वहीं आरपीएफ अधिकारियों ने संलिप्तता के चलते एसआई को निलंबित कर दिया है। मामले में एसआई का नाम सामने आने के बाद हड़कंच मचा है। दरअसल, पटरी चोरी मामले में एक.एक कर कई बड़े लोगों के नाम सामने आ रहे हैं। जानकारी सामने आने के बाद जबलपुर रेल मंडल, पश्चिम मध्य रेलवे जोन और रेलवे बोर्ड के अधिकारियों को परेशानी में डाल दिया है। अब तक आरपीएफ की जांच में इंजीनियरिंग विभाग के दो कर्मचारी, एक इंजीनियरिंग विभाग का ठेकेदार के अलावा ट्रक ड्राइवर, ट्रक मालिक, फैक्ट्री मैनेजर का नाम सामने आया है। जानकारी अनुसार आरपीएफ ने चोरी के मामले में सबसे पहले उस ट्रक को जब्त किया जिससे चोरी का लोहा भिटौनी से उठाकर कबाड़ के गोदाम तक लाया गया था। इसके बाद इसके ड्राइवर को पकड़ा गया जिससे पूछताछ में जबलपुर रेल मंडल के इंजीनियरिंग विभाग में काम करने वाला रेलवे ठेकेदार सोमू का नाम सामने आया। आरपीएफ ने जब इससे पूछताछ की तो रेलवे के कर्मचारी और आरपीएफ एसआई का नाम आया। इधर उस फैक्ट्री का भी पता लगाया जिसमें चोरी की गई पटरियों को पहुंचाया गया था। जानकारी अऩुसार जल्द ही इस मामले में इंजीनियरिंग विभाग के दो कर्मचारियों को गिरफ्तार किया जा सकता है।


आरपीएफ भी रह गई भौंचक
जांच में जैसे ही आरपीएफ की टीम को अपने एसआई का नाम पता चला तो वह भौंचक रह गई। हालांकि जांच किसी तरह से प्रभावित न हो सके इसलिए एसआई का नाम गोपनीय रखा गया। जांच का दायरा बढ़ा और एसआई के इस चोरी से जुड़े सभी सबूतों को एकत्रित किए गए। इसकी भनक एसआई को नहीं लगी। उसे गिरफ्तार भी रात में ही किया गया ताकि पूछताछ की जा सके। बताया जाता है कि एसआई के साथ निजी ठेकेदार और रेल कर्मचारियों से किस तरह का गठजोड़ था इसकी जांच की जा रही है।

कई चोरियां सामने आईं
आरपीएफ की जांच जहां बढ़ती जा रही है वहीं पश्चिम मध्य रेलवे की विजिलेंस टीम की जांच ठंडे बस्ते में चली गई है। विजिलेंस के अधिकारी खानापूर्ति के तौर पर जांच कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार विजिलेंस पूरी तरह से पश्चिम मध्य रेलवे जोन के अधिकारियों के अधिनस्थ काम करती है। एक के बाद एक हो रहे खुलासे और नई चोरियां सामने आने के बाद अब इन अधिकारियों का तनाव भी बढ़ गया है। इस बीच यदि विजिलेंस अपनी जांच में कोई नई चोरी सामने लाती है जो उसे दबा पाना मुश्किल होगा। चूंकि जोन के कई बड़े अधिकारी सीधे तौर पर इंजीनियरिंग विभाग से जुड़े हैं।

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